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मेरे साथ पति का एक्सीडेंट में मेरा बचना मुझे गिल्ट फिल करा रहा था - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
मेरे साथ पति का एक्सीडेंट में मेरा बचना मुझे गिल्ट फिल करा रहा था

मेरे साथ पति का एक्सीडेंट में मेरा बचना मुझे गिल्ट फिल करा रहा था

बातचीत

शिव आमंत्रण, आबू रोडदो साल से ब्रह्माकुमारीज से जुड़ी हूं। परमात्मा के साथ उन अनुभवों को शेयर कर रही हूं जिनकी वजह से मेरे लाईफ ही बदल गया। जब मैं अपनी लाईफ में बहुत ही निराश और हताश हो गयी थी तब बाबा की नजर मुझ पर पड़ी। बाबा ने मेरा हाथ थाम लिया और कहा बच्चे ये तेरा नया जन्म है। पास्ट को फुलस्टॉप लगाओ और आगे बढ़ जाओ। बाबा का दिया ये नया जन्म बाबा की सेवा अर्थ ही लगे यही जीवन का लक्ष्य है। 2017 में मेरे पति ने एक एक्सिडेंट में अपना शरीर छोड़ दिया था। उस दौरान मैं भी उनके साथ थी। मेरी कंडीशन उस समय ज्यादा क्रिटिकल थी। मेरे भी चांसेज बचने के बहुत कम थे लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजुर था तो मैं बच गयी। लेकिन जब मुझको होश आया तो मुझे ये भी नहीं पता था कि मेरे जो युगल हैं वो शरीर छोड़ चूके हैं। लेकिन जब मुझे होश आया तो मुझे वो सब कुछ फेस करना पड़ा। मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि ये मेरे साथ हुआ क्या? मेरे साथ इतना ज्यादा गिल्ट आ गया कि मैं क्यों बच गयी वो क्यों चले गये। मैं ही क्यों बची? इतना गिल्ट आ रहा था मेरे अन्दर और क्वेश्चन उठ रहे थे कि हमारे ही साथ ऐसा क्यों हुआ! और जो क्यूश्चन उठ रहे थे वे उठने भी स्वाभाविक थे क्योंकि जो मेरे यूगल थे वो बहुत ही आध्यात्मिक और पुजापाठी थे और दानपुन्न करने में बहुत आगे थे मन्दिर में बजरंगबली जी की बड़ी मुर्ती लगवानी हो, साई बाबा के भण्डारे लगवाने हो और दूसरों की मदद के लिए सबसे आगे। ये मुझे लग रहा था कि ये मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ। भगवान अच्छे इंसानों के साथ ही ऐसा क्यों करता है? यही बातें मेरे मन में चल रही थी। इन सब बातों को लेकर मैं बहुत ही परेशान रहने लगी। इतनी ज्यादा परेशान रहने लगी कि मेरी मानसिक संतुलन बहुत ज्यादा बिगडऩे लगी और मैं प्रेशर में आ गयी फिर मेरा काफी ट्रीटमेंट भी चला और घर वाले भी मेरी वजह से अशांत थे क्योंकि मैं शांत ही नहीं हो रही थी। घर वालों ने कहा कि चलो हवन कराते हैं किसी पंडित जी को दिखाते हैं ताकि इसका मन शान्त हो। हर तरह की कोशिश की गयी मैं इस हादसे से उबर पाऊं पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।मेरा मन जो था वो शांत नहीं हो रहा था बिलकुल भी। उसी दौरान एक बार मैं शिवानी दीदी की क्लास देख रही थी। मुझे कुछ खास इंटेरेस्ट नहीं था बस देख रही थी। हमने उस जगह को चेंज करके जिस सोसाइटी में हम लोग आए तो वहां पर पता चला कि नीचे क्लब हाउस था जहां पर गीता पाठशाला चलती है। कुछ भाई-बहन मिलकर गीता पाठशाला चलाते हैं। मुझे लगा कि मुझे वहां पर जाना चाहिए। मै वहां गयी, वहां की दीदी जी ने मुझे कोर्स कराया। मैंने अभी कोर्स पूरा कम्पलीट नहीं किया था कि मुरली क्लास सुननी शुरू कर दी थी थोड़ीथोड़ी। तीन चार चैप्टर ही किये थे लेकिन जब सीढ़ी वाला चित्र दीदी करा रही थीं तो जब मैं वो चैप्टर कर रही थी तो मैं कई साल पीछे पहुंच गयी। कई सालों से एक ही सपना बहुत ज्यादा आता था। एक ही सपना जो बार बार आता था। जब सीढ़ी वाला कोर्स का चित्र देख रही थी तो ओ! हो! उस टाइम मुझे ज्ञान नहीं था कि ब्रह्मा बाबा कौन हैं और इसके संबंध में मुझे ज्ञान ही नहीं था। उतरती कला का सही मतलब मुझे ज्ञान में आकर पता चला। मीनाक्षी, उत्तरप्रदेश

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