सच क्या है
बीके पुष्पेन्द्र संयुक्त संपादक, शिव आमंत्रण् नवरात्र पर्व। नवरात्र अर्थात् नव+रात्रि। नव से आशय नई, नवीन, मंगलकारी शुरुआत। रात्रि से आशय अंधकार, अज्ञान। नवरात्र सिखाता है कि जीवन में छाई अज्ञान-अंधकार और आसुरीयता रूपी रात्रि को सदा-सदा के लिए खत्म कर नव शुरुआत की जाए। मन के किसी कोने में छिपे आसुरीयता रूपी विकारों (द्वेष, […]
शिव आमंत्रण,आबू रोड/राजस्थान। भारत में परम्परागत तरीके से नवरात्र मनाया जाता है। नवरात्र का भावनात्मक अर्थ है दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा-अर्चना और नवरात्र का आध्यात्मि अर्थ है नव या नए युग में प्रवेश करने से ठीक पहले की ऐसी घोर अंधियारी रात्रि, जिसमें शिव, अवतरण लेकर मनुष्यात्माओं के पतित अवचेतन […]
नौ दिन ही नियम-संयम क्यों, जीवनभर क्यों नही शिव आमंत्रण। शक्ति, ऊर्जा, ताकत, बल। संपूर्ण ब्रह्मांड शक्ति (एनर्जी) से ही चल रहा है। जीवन को उच्च गुणवत्तापूर्ण जीने के लिए मुख्य पांच शक्तियों का संतुलन और समन्वय जरूरी हैशारीरि क शक्ति, मानसिक शक्ति, अर्थ शक्ति, आत्मिक शक्ति और परमात्म शक्ति। हम शारीरिक शक्ति और […]
शिव आमंत्रण। आध्यात्म अर्थात् आत्मा का अध्ययन। परमात्म शक्ति से आत्मिक शक्तियों को जागृत करना। आध्यात्म की धारा नित, निरंतर, नूतन, नए प्रयोगों और अनुभवों पर आधारित होती है। आत्मिक चेतना का अभ्यास जितना गहराईपूर्ण और अनुभवयुक्त अवस्था की ओर बढ़ता है तो अनुभवों की माला उनती ही महीन और मजबूत बनती जाती है। आध्यात्म […]
हम सभी प्राय: स्वर्णिम संस्कृति के बारे में कल्पना करते हैं, उसमें जीना चाहते हैं और उस संस्कृति को अपनी यादों में चिरस्मृति के रूप में संजो कर रखना चाहते हैं। स्वर्णिम दुनिया के संकल्प मात्र से मन में एक खुशी-आनंद की सिहरन दौड़ जाती है और अंत:करण से निकलता है काश! उस दुनिया का […]
अंतर्मन-संदेह या चिंता से नकारात्मक विचार से अपना विश्वास कमजोर न करें… प्रतिदिन कम से कम पांच मिनट मेडिटेशन जरूर करें… आ कर्षण के नियम का अर्थ यह नहीं है कि हमें वही मिलता है जो हम चाहते हैं, इसका अर्थ है कि हम वही पाते हैं जो हम हैं। हमें यह याद रखने की […]
भय, डर, फीयर। आज हर कोई किसी न किसी प्रकार के भय में जी रहा है।किसी को मृत्यु का भय है तो किसी को असफलता, निंदा, भविष्य, मान-सम्मान, करीबी रिश्ते खो जाने, अपमान, भूत-प्रेत फिर सबसे बड़ा भय है… ‘ लोग क्या कहेंगे ‘। इसे सामाजिक भय भी कह सकते हैं। अपने मन और विचारों […]
एक व्यक्ति जीवन से बहुत परेशान हो उठा। बहुत दु:खी, एक समस्या, दूसरी समस्या तीसरी समस्या, संसार, गृहस्थ, क्या करूं सोच रहा था। जहां देखो वहां कठिनाई, जहां देखो वहीं मुसीबतें। वो एक जैन गुरू के पास गया और आपबीती सुनाई। उस गुरू ने सारी बातें उसकी सुनी और उससे कहा एक गिलास पानी लेकर […]
स्वचिंतन, आत्मचिंतन, स्वनिरीक्षण। स्वचिंतन अर्थात् स्व+चिंतन। खुद (आत्मा) का चिंतन, मनन और अवलोकन। चिंतन की गहराई और एकात्मता जितनी सूक्ष्म होगी, विचारों रूपी अमृत उतना गहराई पूर्ण और अनुभव युक्त होगा। एकांत और एकाग्रता इसकी पहली शर्त है। आध्यात्म पथ के राही के लिए स्वचिंतन प्राणवायु की तरह है। कितने ही वेद, ग्रंथ, शास्त्रों का […]
शिव आमंत्रण आबू रोड। जीवन में जब कोई विशेष कार्य हवन-पूजन, आराधना, यज्ञ-जप-तप, ज्ञान-ध्यान की शुरुआत करते हैं तो तन-मन की पवित्रता पर विशेष जोर दिया जाता है। प्रकृति, पृथ्वी और आत्मा का मूल स्वरूप भी पवित्रता है। सात दिव्य गुणों में पवित्रता भी आत्मा का एक दिव्य गुण है। सृष्टि के आदि में प्रत्येक […]
सम्पत सिंह ने व्यापार में अच्छे पैसे कमाने के बाद फनवर्ल्ड के पास एक पाँच बीघा जमीन खरीदी, जिस पर एक दोमंजिला सुन्दर सा घर और चारों तरफ पेड़, पौधे और हरियाली रहने दी। उसमें सम्पत ने एक छोटा सा स्विमिंग पूल बनाया। स्विमिंग पूल के पास एक पचास साठ साल पुराना आम का पेड़ […]
मनुष्य में जो चेतना है वो अनेक गुणों और शक्तियों से भरपूर है । विज्ञान ने भी अपनी खोज में यह पाया है कि यह सारा संसार ऊर्जा के सुक्ष्म कणों से मिलकर बना है । ये कण अविनाशी और अनंत है, जो केवल अपना स्वरूप बदल सकते हैं परंतु नष्ट नहीं होते हैं । […]