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दिल्ली से लेकर अमेरिका के डॉक्टर्स हारे - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
दिल्ली से लेकर अमेरिका के डॉक्टर्स हारे

दिल्ली से लेकर अमेरिका के डॉक्टर्स हारे

बातचीत
  • राजयोग के प्रयोग से ब्रेन का ट्यूमर हुआ ठीक
  • नई दिल्ली के जीबी पंत हॉस्पिटल में प्रो. कॉर्डियोलाजिस्ट डॉ. मोहित गुप्ता ने विज्ञान को दी चुनौती

शिव आमंत्रण,, नई दिल्ली। ब्रेन में ट्यूबर के बाद तीन साल दर्द में गुजरे। आखिर में डॉक्टर्स ने ऑपरेशन करना तय किया। लेकिन ऑपरेशन के छह माह बाद फिर ट्यूमर नजर आया। दिल्ली से लेकर अमेरिका के डॉक्टर्स की टीम ने हाथ खड़े कर दिए। दूर-दूर तक कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। राजयोग मेडिटेशन के प्रयोग ने सदा-सदा के लिए ब्रेन में ट्यूमर के सेल्स को खत्म कर दिया। यह देखकर डॉक्टर्स अचंभित रह गए। यह कहना है नई दिल्ली के जीबी पंत हॉस्पिटल में प्रो. कॉर्डियोलाजिस्ट डॉ. मोहित गुप्ता का। डॉ. गुप्ता ने अपने जीवन में राजयोग मेडिटेशन का प्रयोग कर साइंस को भी चुनौती दे दी। साथ ही योग के प्रयोग से यह साबित किया कि यदि पूरे विश्वास के साथ राजयोग किया जाए तो शरीर और मन की हर बीमारी से मुक्त हो सकते हैं। आइए डॉ. मोहित से जानते हैं उनके जीवन का अद्भुत अनुभव…………..
20 मार्च 2003 का वह दिन जिसने मैंने जीवन काे सदा के लिए बदल दिया। शाम के करीब 5.30 बजे मैं हॉस्पिटल से दो दिन बाद घर आया था। शाम 7.30 बजे अचानक तबीयत बिगड़ गई। पिताजी हॉस्पिटल लेकर गए और अगले दिन जब होश आया तो आईसीयू में पाया। रातभर डॉक्टर्स ने मेरे ब्रेन को डायग्नोसिस किया और पाया कि ब्रेन में एक इन्फेक्टेड मांस का टुकड़ा है, जिसे ट्यूबर क्लोसिस बताया। उस समय इस बीमारी के लिए पूरे विश्व में 19 दवाइयां उपलब्ध थीं जिनमें से 18 दवाइयां मेरे शरीर पर काम नहीं करती थीं। रोज मुझे 16 टेबलेट्स खानी पड़ती थीं। आठ सुबह और आठ शाम को। इतने इंजेक्शन लगे कि मेरे हिप्स छलनी हो गई। इस पूरी यात्रा में एक बात जो खास थी कि मुझे दर्द जरूर होता था लेकिन मैंने एक भी क्षण दु:ख की अनुभूति नहीं की।

तीन साल दर्द के बाद 2005 में हुई सर्जरी :- डॉ. गुप्ता ने बताया कि तीन साल असहनीय दर्द के बाद 20 जून 2005 में ब्रेन की सर्जरी की गई। इसके बाद मुझे लगा कि अब मैं पूरी तरह ठीक हूं। लेकिन एक संकल्प मेरे दिमाग में बार-बार आता था कि आखिर ऐसा हुआ क्यों? एक कॉर्डियोलाजिस्ट जिसने जीवन में जो चाहा, जब चाहा सब प्राप्त हुआ। जब मैंने खुद के बारे में गहराई से समझा तो पाया कि कहीं न कहीं मैंने राजयोग जीवन शैली अपनाने के बाद भी बैलेंस, संयम को खो दिया।
छह माह बाद फिर से ब्रेन में सेरिबैलम :- ऑपरेशन को छह माह ही हुए थे कि फिर से मेरे ब्रेन में एक ट्यूमर आ गया। भारत से लेकर अमेरिका के डॉक्टर्स की टीम ने जांचें कि और कहा कि मेडिसिन के अलावा कोई उपाय नहीं है। मेडिसिन लेते हुए मुझे दो साल हो गए लेकिन कोई असर नहीं हो रहा था। उस वक्त मुझे राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करते हुए 15 साल हो चुके थे। मैं नियमित राजयोग ध्यान करता था।

संयम होता है जीवन का आधार :- मेरा अनुभव है कि संरम जीवन का आधार होता है। आज इमरजेंसी की स्थिति में हमारी लाइफ चल रही है। सबेरे से लेकर शाम तक हम दौड़ते रहते हैं। मैंने पारा कि आज यदि हमें अपनी लाइफ को चैंज करना है तो अपनी सोच को चैंज करना होगा। विश्वास की शक्ति सबसे बड़ी शक्ति आज यदि हम जीवन में किसी भी क्षेत्र में, किसी भी काम में हम पूरे अंतर्मन से उसमें विश्वास नहीं करते हैं। आज हम साइंस और जेनेटिक के एक्सपीरिमेंट अपने हॉस्पिटल में कर रहे हैं।

दादी गुलजार की प्रेरणा से बदला जीवन… मैं परेशान होकर तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजरोगिनी दादी हृदरमोहिनी (दादी गुलजार) के पास गया और सारी प्राब्लम बताई। इस पर दादी ने मुस्कुराते हुए कहा कि मोहित तुम राजयोगी हो, क्यों नहीं इस बीमारी पर योग का प्रयोग करते हो। उन्होंने कहा कि ब्रह्ममुहू र्त में उठकर पानी को चार्ज करो, उसे सकाश दो कि इसमें परमात्मा की शक्तिशाली किरनें पड़ रही हैं और मेरी बीमारी ठीक हो रही है। मैं पूरी तरह से स्वस्थ हो गया हूं। पीना शुरू किया। इस दौरान मेरे साइंटिस्ट दोस्त ने कहा कि मोहित साइंस के जमाने में तुम किस चीज में विश्वास कर रहे हो। लेकिन मैंने दादी की बात पर पूरे विश्वास, आस्था और लगन से नियमित पानी को चार्ज करके पीने का प्रयोग जारी रखा। मैंने डेढ़ साल तक कोई स्कैन नहीं कराया। न किसी डॉक्टर को दिखाया। इस दौरान दोस्त कहते रहे तुम्हें टेस्ट कराना चाहिए। लेकिन मैंने कोई टेस्ट नहीं कराया। अप्रैल 2007 में जब ब्रेन की जांच कराई तो पूरी तरह से यह ट्यूमर गायब हो चुका था।

मेडिटेशन से दोनों ब्रेन में आती है कम्पलीट हार्मनी :- साइंस ने यह प्रूफ किया है कि मात्र 15-20 मिनट के मेडिटेशन से हमारे
ब्रेन में बदलाव आ जाता है। लेफ्ट ब्रेन और राइट ब्रेन में समन्वय, बैलेंस आ जाता है। मात्र 25 मिनट के मेडिटेशन से दोनों ब्रेन के अंदर कम्पलीट हार्मनी (सद्भाव) आ जाती है। ऐसा सिस्टम ज्यादा पावरफुल होता है। ये योग की शक्ति है, योग की पराकाष्टा है। कर्म से सिर्फ हमें 50 फीसदी सफलता मिल सकती है, क्योंकि हमारा लेफ्ट ब्रेन कर्म के अंदर एक्टीवेट होता है। लेफ्ट ब्रेन एनालिटिकल (विश्लेषारात्मक) और लॉजिकल (तार्किक) है। राजयोग मेडिटेशन और योग का प्रयोग हमारे राइट ब्रेन को एक्टीवेट करता है। साथ ही समन्वरता लाता है। संपूर्ण हीलिग के साथ हर क्षेत्र में सौ फीसदी सफलता मिलती है। हमारी बॉडी के आर्केस्टा की तरह कार्य करती है। जब एक संकल्प आत्मा और मन से पावरफुल जाता है तो हमारे शरीर के 50 खरब सेल्स अपनी इंटेलीजेंस को युज करते हुए हमें हील कर देते हैं लेकिन इसका आधार है विश्वास। जब राजयोग पर विश्वास करके इसे युज करते हैं तो संपूर्ण लाभ मिलता है।

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