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मैं निर्विघ्न आत्मा हूं की स्मृति से विघ्नों का सामना कर सकेंगे - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
मैं निर्विघ्न आत्मा हूं की स्मृति से विघ्नों का सामना कर सकेंगे

मैं निर्विघ्न आत्मा हूं की स्मृति से विघ्नों का सामना कर सकेंगे

आध्यात्मिक

शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। हम मास्टर सर्वशक्तिवान हैं, यह स्मृति में लाओ तो स्मृति से समर्थी आती है। कर्म कान्सेस नहीं बनो, इमर्ज करो मैं कौन हूं, किसका बच्चा हूं, बाबा क्या है, मैं कौन हूं, इस स्मृति से साथ का भी अनुभव करेंगे, नशा भी अनुभव करेंगे और जो आपका संकल्प है उसमें सफलता आ जाएगी। अव्यक्त बापदादा की पालना कोई कम नहीं है। सूक्ष्म रूप से बाबा बहुत मदद करता है तो उसका फायदा उठाओ। फायदा उठाने आता है ना? बाबा ने जो स्मृतियां दी हैं, रोज बाबा टाइटल देता है उसे ही याद रखो तो नशा चढ़ेगा। जैसे बाबा कहता है आप मेरी आंखों के तारे हो, तारा आंखों में समाया होता है। तुम मेरे बच्चे कल्प-कल्प के सिकीलधे हो, कभी कहेगा विश्व के मालिक हो, कभी कहेगा दिव्यगुणधारी हो, कितने टाइटिल, कितने वरदान बाबा देता है। उसमें भी कितना बल होता है। मुरली को अगर मन में रिवाइज़ नहीं किया तो याद नहीं रहेगा। हमारी आयु बड़ी है या बुद्धि बिज़ी रहती है। चलो तीन पेज़ भूल जाएं वरदान तो याद रख सकते हैं। वरदान भी मानो भूल गया, एक अक्षर तो याद रख सकते हैं- मेरा बाबा, बस। वह तो याद आ सकता है। बाबा याद आया तो वर्सा आएगा ही। बीज में झाड़ समाया हुआ है लेकिन दिल से कहो-मेरा बाबा, मुख से वर्णन करना उच्चारण करना वह अलग चीज़ है। तो इमर्ज करो, स्मृति में लाओ। समझो कोई विघ्न आता है, बाबा ने हमको कहा तुम मेरे निर्विघ्न बच्चे हो। बाबा ने मेरे को क्या बनाया। मैं निर्विघ्न आत्मा हूं। अगर यह स्मृति आई तो विघ्न को सामना करने की शक्ति आ जाएगी। इसलिए अपने अन्दर रिवाइज़ करो, स्मृति में लाओ, बस। दिलाराम हमारी दिल लेने वाला दिलवर है, रहवर है। दिलवर है दिल की बात को अच्छी तरह से जानने वाला। रहवर है रास्ता दिखा रहा है। साथ ले चल रहा है। साथ और समीपता का अनुभव हो तो भी सतयुग में साथ आएंगे। समीप आना भी बड़ा भाग्य है। राज्य नहीं तो भाग्य तो है। राज्य करने वालों के समीप आने का भी भाग्य है। वहां भी तो साथी होंगे। समीप आने के लिए सच्ची भावना सच्चा प्यार चाहिए। विश्वास पक्का। कोई मेरा विश्वास ढीला कर नहीं सकता है, संशय आ नहीं सकता। साथ वाला अच्छी तरह से जानता है। अंग-संग साथ रहने वाला न जानें, बाहर वालों का दोष नहीं। जो समीप हैं, साथी हैं, वह जानते हैं। समीप आए कैसे? निमित्त कोई विशेषता से, कोई सेवा से समीप आ गए। बाबा ने पकड़ लिया। बाबा पहले अंगुली पकड़ता, अंगुली से पहाड़ उठाया, अंगुली प्रीत वाली होगी तो सहयोग देगी। प्रीत के बिगर सहयोग की अंगुली भी नहीं दे सकते। अंगुली हाथ के बिगर तो कटकर नहीं आएगी। अंगुली आई माना बाबा ने हाथ ले लिया। फिर कहता तुम मेरी भुजा हो। हाथ भुजा के बिगर आ नहीं सकता। भगवान की भुजा बन गया तो फिर कहां जाएगा।

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