– रेडियो मधुबन की हिंसा को नो वर्कशॉप गांधीनगर में आयोजित
– टीम के सदस्यों ने महिलाओं को हिंसा से बचने के लिए किया जागरूक
शिव आमंत्रण,आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ के सामुदायिक रेडियो स्टेशन रेडियो मधुबन (107.8 एफएम) द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक अभियान हिंसा को नो के तहत गांधीनगर में वर्कशॉप आयोजित की गई। इसमें रेडियो मधुबन की हिंसा को नो टीम और सिटी थाने से निर्भया टीम ने महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाव और जागरूक होने के लिए जरूरी बातें बताईं।
वर्कशॉप में सिटी थाने से निर्भया टीम की कांस्टेबल सुलोचना ने महिलाओं को निर्भया स्क्वॉड की जानकारी दी। साथ ही आवश्यकता होने पर कानून की सहायता कैसे ले सकते हैं, इसके बारे में बताया। उन्होंने महिलाओं को आबू रोड महिला हेल्पलाइन नंबर 9530431405 के उपयोग के बारे भी जानकारी साझा की। महिलाओं को बताया कि घर में लड़का-लड़कियों के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए। उन्हें समान प्यार और सम्मान देना चाहिए। लड़कियों को दबाव में ना रख उनकी बातों को पूरा सुनकर विश्वास दिलाना है कि हम तुम्हारे साथ हैं, आप आगे बढ़ो |
हिंसा को नो प्रोजेक्ट की हैड बीके कृष्णा बहन ने बताया कि महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों को जरूर समझें, तकनीकी रूप से भी आत्मनिर्भर बनें ताकि वे अपनी बच्चियों को साइबर क्राइम जैसे अपराधों से बचा सकें। रेडियो मधुबन छह महीने से महिलाओं को जागरूक करने के लिए हिंसा को नो अभियान के तहत आबू रोड के गांधीनगर क्षेत्र , लूनियापुरा, मोरथला और उमरनी गांव में वर्कशॉप का आयोजन कर जागरूक कर रहा है। इसके अंतर्गत घरेलू हिंसा के जागरूकता वाले रेडियो कार्यक्रमों का प्रसारण और उपरोक्त चार गांवों में प्रति सप्ताह हिंसा को नो वर्कशॉप का आयोजन किया जाता है। इसमें विषय विशेषज्ञ द्वारा वर्कशॉप कराई जाती है। इस अभियान के बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। कार्यक्रम में गांधीनगर की महिलाओं के साथ सिटी थाने के कांस्टेबल संतोष, हिंसा को नो अभियान की सदस्य नीता और पवन भी उपस्थित रहे।
हिंसा को नो अभियान का उद्देश्य-
महिलाओं को हिंसा से बचाना, उन्हें जागरूक करना, सशक्त बनाना और अपने साथ गलत हो रहे व्यवहार को न कहने या रोकने के लिए आत्म विश्वास पैदा करना ही इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है। मात्र छह माह में ही अभियान के चलते महिलाओं में जहां आत्म विश्वसा जागा है वहीं वह अपनी बात अब खुलकर रखने लगी हैं। आबू रोड के गांधीनगर क्षेत्र, लूनियापुरा, मोरथला और उमरनी गांव में महिलाओं के ग्रुप बनाए गए हैं। एक ग्रुप में 20 से 40 महिलाएं हैं। इन ग्रुप को एक यूनिक नाम दिया गया है। प्रत्येक गांव में हर सप्ताह महिला अधिकारों पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। इसमें महिलाएं बडे़ ही उमंग-उत्साह के साथ भाग ले रही हैं।