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डायबिटीज के दुष्प्रभाव - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
डायबिटीज के दुष्प्रभाव

डायबिटीज के दुष्प्रभाव

अलविदा-डायबिटीज़

आबू रोड – लो ब्लड शुगर (Low blood suger) निदान – जब-जब रक्त में शुगर की मात्रा कम हो जाती है, अनेकानेक परिलक्षित होते हैं जैसे की घबराहट होना, आंखों के सामने अंधेरा छा जाना, खूब पसीना होना आदि- आदि। पर ये लक्षण और भी कुछ कारणों से भी दिखाई देते हैं। इसलिए हमें सटीक निदान करने की आवश्यकता जरुरी है ताकि हम इसका उपचार भी सही तरीके से और समय से कर सके।

लो ब्लड शुगर (Low blood suger) का सही निदान हम रक्त में सुगर की मात्रा को चेक करके ही कर सकते हैं। इसके लिए हमारे पास दो विकल्प होते हैं- एक तो हम अपना ग्लूकोमीटर से हम चेक करें। दूसरा पैथालोजी लेबोरेटरीज में जाकर अपना रक्त निकलवाकर परिक्षण की जा सकती है।

लेबोरेटरी में कभी कभी चेक कराना सम्भव नहीं होता है, और रिपोर्ट मिलने में समय लगता है। इसलिए अपना ग्लूको मीटर में चेक कर लेना ज्यादा उपयोगी है परन्तु कभी कभी ग्लूकोमीटर को अगर समय प्रति समय कालिब्रेशन (calibration) नहीं किया गया है, तो गलत रीडिंग भी दिखा सकता है। इसलिए तीन-चार महिने में एक बार अपना ग्लूकोमीटर कालिब्रेशन कराते रहें और लेबोरेटरी में हम जाकर अपना सुगर चेक कराते हैं। तुरन्त अपना ग्लूकोमीटर भी साथ लेकर जाएं और स्वयं गलूको मीटर से शुगर चेक करे तथा लेबोरेटरी की रीडिंग के साथ टैली (मिलान) कर लें। अगर 10 वा 20 मिग्रा. का अन्तर है तो ठीक है परन्तु ज्यादा अन्तर होने से हम धोखें में रह सकते हैं।

अगर रक्त में शुगर की मात्रा 70 मिग्रा से कम है तो हम उसे लो ब्लड शुगर (Hipoglycemia) कह सकते हैं। जब-जब रक्त की मात्रा कम हो जाती है हमारे vital organi जैसे की मस्तिष्क (brain), हृदय (Heart), वृक्क (Kidney) आदि को भी शुगर की मात्रा कम पहुंचने के कारण फिर अनेकानेक लक्षण दिखाई देते हैं। शुगर की मात्रा रक्त में जैसे-जैसे कम होती जाती है तो क्या-क्या लक्षण दिखाई दे सकते हैं उसका विवरण निम्न प्रकार का है।

रक्त में शुगर की मात्रा और उसके लक्षण

  • 80 मिग्रा’- इन्सुलिन का क्षरण कम होना।
  • 70मिग्रा’-गलुकागन हॉरमोन का क्षरण बढ़ जाना।
  • 60 मिग्रा’-धड़कन तेज हो जाना, घबराहट होना, पसीना निकलना, बी.पी बढ़ जाना
  • 50 मिग्रा’- समय, स्थान का सुदबुध खोना, सामने के व्यक्ति को न पहचानना।
  • 40 मिग्रा’- नींद का अनुभव होना, उंघते रहना।
  • 30 मिग्रा’- बेहोश होना।
  • 20 मिग्रा’- मिर्गिबात का शुरू होना।
  • 10 मिग्रा’- मृत्यु।

बिन्दु

1- यह शुगर की मात्रा जब लेबोरेटरी में चेक किया जाता है तब ही सटीक होता होता है, ग्लूकोमीटर में व्यतिक्रम हो सकता है।

2- अगर किसी को बार-बार लो ब्लड शुगर (Hipoglycemia) होता है तो कुछ समय के बाद उसे कोई भी लक्षण अनुभव नहीं होता और व्यक्ति अचानक बेहोश हो भी जाता है।

3- अगर किसी का शुगर की मात्रा लम्बे समय तक बढ़ा हुआ रहता है और सही उपचार के कारण शुगर जब सामन्य हो जाता है तो भी लो ब्लड शुगर का लक्षण महसूस होने लगता है। इसलिए जब भी लक्षण के कारण मन में शंका है कि रक्त में शुगर की मात्रा कम हो गया है तो तुरन्त ही ग्लूकोमीटर से चेक कर लेना उचित है। बिना चेक किए अगर कुछ न कुछ खाना मुख में लेते हैं तो शुगर की मात्रा पुन: बढ़ जाती है। अब हम अगले लेख से जानेंगे कि लो ब्लड शुगर का उपचार क्या है।

क्रमश:…

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