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अपना संस्कार परमात्मा पिता समान बनाना है - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
अपना संस्कार परमात्मा पिता समान बनाना है

अपना संस्कार परमात्मा पिता समान बनाना है

समस्या-समाधान

शिव आमंत्रण, आबू रोड।प्रभु पालना में पलने वाली हम बहुत महान, बहुत भाग्यवान आत्मायें हैं। बाबा कहते हैं, बच्चे जरा सवेरे से रात तक देखो बाप तुम्हारी पालना कर रहे हैं। कोई मनुष्य गरीबी में पलता है, कैसा जीवन रहता है? कोई साधारण परिवारों में पलता है। चाहते हुए भी नहीं पढ़ पाते, कैसा रहता है? कोई साहूकारों के घर पलता है। कोई राजाओं के घर। सबके अंदर को हम जानते हैं। और हम पल रहे हैं भगवान की पालना में। सवेरे बाप तुम्हें उठाता है और उठाते भी क्यों हैं? कहते, आओ बच्चे, मैं तुम्हें चार्ज कर
दूँ, तुम्हें भरपूर कर दूं। फिर पढ़ाने आते हैं। सारे मन का अंधकार संशय मिटा डालता है। स्मृति दिलाता है। रोज याद दिलाता है। तुम चिंता मत करो, मेरे को तेरे में बदल दो, बेफिक्र बादशाह बन जाओ। रोज याद दिलाता है- मैं हजार भुजाओं सहित तुम्हारे साथ हूँ, फिर ब्रह्माभोजन खिलाते हैं। रात को सुलाने आते हैं। बाबा ने कहा- कोई बच्चा दु:खों में आसू बहाते हैं, तो वो उनके आंसु पोंछने आता है। सारा दिन साथ रहता है। बाबा कहते हैं- जब भी बच्चे बुलाते हैं, मैं आ जाता हूँ, छत्रछाया बन जाता हूं, मदद करता हूं। सोचो भगवान के केयर में चल रहे हैं हम सब। अपने श्रेष्ठ भाग्य को याद करके मन को आनन्दित कर दें और संकल्प करें- उनके पालना का रिटर्न हमें देना है। स्वयं के जीवन को बहुत श्रेष्ठ बनाकर, हमें बाप समान बनना है, हमें अपने संस्कारों को बदल देना है। हमारा संस्कार पवित्रता का है। दूसरों को सुख देना, दूसरों को मदद करना, उन्हें शुभ भावना और शुभ कामना देना हमारा संस्कार है। स्वचिंतन करना हमारा संस्कार है। परचिंतन करना नहीं। न ईष्र्या, द्वेष, न तेरे-मेरे की है। न टकराव की है और न क्रोध अभिमान की है। अपने संस्कारों को चेक करें। यदि हमें बाबा का नाम रोशन करना है, यदि हमें बाबा को प्रत्यक्ष करना है तो उन जैसे संस्कार बनाने ही पड़ेंगे। ताकि हमें देखकर लोग समझ लें इनका बाप कैसा रहा होगा। कैसा होगा हमारा दिव्य संस्कार। जो अनेक आत्माओं को हमारी ओर आकर्षित करेंगे। फिर हम उन्हें बाबा की ओर ले चलेंगे। चेक करना मेरा कौन-सा संस्कार मुझे कष्ट दे रहा है? या दूसरों को परेशानी में डाल रहा है? ऐसा तो नहीं मेरा तंग रहने का संस्कार है? या तंग करने का संस्कार है? ऐसा तो नहीं कटु वचन बोलने का संस्कार है? असत्य वचन कहने का संस्कार है? दूसरों को श्रापित करने का संस्कार है? जितना हो सके हर एक आत्मा के लिए दिल से दुआएं देते चलें। इसका भला हो
जाए, इसका कल्याण हो जाए। हम तो इष्ट देव-देवियां हैं। सबको वरदान देने वाले। सबको प्यार भरी दृष्टि देने वाले। हमारे संस्कार बाप जैसा होना ही चाहिए। वह समय जल्दी ही समीप आएगा। जिन्होंने अपना संस्कार ऐसा सुन्दर बनाया होगा, उन्हें देखकर अनेक मनुष्य को बाबा का साक्षात्कार होगा। उनके इष्ट देव-देवियों का साक्षात्कार होगा। तो आइये, आज
सारा दिन इस स्वमान में रहेंगे, हम प्रभु पालना में पल रहे हैं, वो सदा हमारे साथ रहते हैं। उनकी छत्रछाया हमारे सिर पर है और आज विशेष अभ्यास करेंगे। अपने सामने अपने स्वरुप को देखेंगे और अपने को संकल्प देंगे- यह है मेरा असली स्वरूप। फिर अपने पूज्य स्वरुप को देखेंगे और संकल्प करेंगे… यह है मेरा असली स्वरूप। बस यह है मेरा असली संस्कार तो संस्कार बदल जाएंगे। हम बाप समान बन जाएंगे।

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