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जीवन में अपनाएं श्रेष्ठ योग का मार्ग….. - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
जीवन में अपनाएं श्रेष्ठ योग का मार्ग…..

जीवन में अपनाएं श्रेष्ठ योग का मार्ग…..

समस्या-समाधान

शिव आमंत्रण आबू रोड । आपको जीवन में अगर श्रेष्ठ मार्ग अपनाना है तो श्रेष्ठ योगी जीवन का भी मार्ग अवश्य अपनायें। ऐसे नहीं बस नाम के लिए इस मार्ग पर चलने लगे और फिर कुछ गड़बड़ होने लगे मन हिलने लगे, कहीं बुद्धि भटकने लगे, उससे नुक़सान हो जाएगा, बदनामी भी हो सकती हैं इसलिए अच्छी तरह निर्णय लेकर पवित्रता का मार्ग अपनाना है। ये नहीं बस हमें सेंटर पर समर्पित होना है सेवा करनी है,बहुत अच्छी बात है पर सच्ची सेवा श्रेष्ठ योगी ही कर सकेंगे ये जोड़ लेना।बहुत अच्छा चिंतन करके अपने भय को दूर करेंगे,अपने निर्णय को स्ट्रॉन्ग बनाएंगे। योग करेंगे बहुत अच्छा।बाबा ने जो आज तक योग की युक्तियाँ बताई हैं उन सबका अभ्यास करेंगे हैं यूट्यूब पर भी है। कई कुमारियों को तक़लीफ़ होती है की माँ बाप फ़ोर्स करते हैं की शादी तो करनी ही है,हम तुम्हें कब तक संभालेंगे,तुम अपना ठिकाना निश्चित करो। कई तो साफ़ कहते हैं कि सेंटर में जाके रहो,हमें ख़ुशी होगी नहीं तो शादी करो। वो जानते हैं कि दुनिया बहुत गंदी है, ऑफिसों में भी कितना गंदा माहौल रहता है, लोग अच्छी तरह जानते हैं। अगर आप अपने प्योरिटी में बहुत स्ट्रांग है तो आपके प्योर वाइब्रेशन दूसरों के मन के विचारों को भी बदल देंगे।अगर आप घर में रहकर अभ्यास करती हैं मैं इस घर की ईस्ट देवी हूँ। मैं इस घर में पवित्रता की देवी हूं। तो आपकी जो वाइब्रेशन होंगे वे आपके परिवार वालों पर गहरा असर डालेंगे और वे आपको शादी करने के लिए बार-बार विवश नहीं करेंगे। ऐसा अनेकों का अनुभव हो चुका है। लेकिन अपने ही मन में दुविधा होती है। व्यर्थ संकल्प होते हैं करूं या न करूं इधर जाऊँ या इधर जाऊं, तो ये दुविधा दूसरों में भी दुविधा पैदा करती है। माँ बाप भी सोचते हैं कल ये इस मार्ग पर चल पाए यह न चल पाए। कोई बुरी चीज हो गई। हमारी नाक काट जाए तो, वो सोचते हैं हमें ये तो नहीं करना है। तो आप अगर ख़ुद में बहुत स्ट्रांग रहेंगी, आप अपनी प्योरिटी में स्ट्रांग होंगी, पवित्रता की इस ईस्ट देवी बन जाएंगी,अपनी अपवित्र कामनाओं को जीत लेंगी तो कोई भी आपको शादी करने के लिए नहीं कहेगा यह सूक्ष्म रहस्य आपको समझ लेना चाहिए। आपको ये भी देख लेना है मेरे इस जन्म में मेरे संस्कारों पर किस चीज़ का प्रभाव रहा है, सूक्ष्म गति है यह बहुत मैंने क्या क्या स्वप्न देखे हैं जीवन में,क्या बनना चाहते हैं, मैंने क्या क्या कल्पना की थी उन पर विचार कर लो।ये तो कल्पना नहीं की होगी कि भगवान आएगा, वो हमें अपना बनाएगा हमें शक्तियां देगा, हमें बहुत प्यार करेगा ।हम योगी बनेंगे लेकिन जब बाबा के बने तो ये सब संकल्प मनुष्यों को चलने लगते हैं, उमंग उत्साह हो जाती है बहुत। तो यदि आप समर्पित करती है अपने को तो ये बहुत बड़ा भाग्य होगा लेकिन जिन उमंगों के साथ आप समर्पित हो वही उमंग आपके पूरे जीवन में चलती रहे। इस पर सबको बहुत ध्यान देना है। कई लोग बड़े उमंग रखते हैं समर्पित होने की बाबा का घर उन्हें बहुत प्यारा लगता है और खीच होती है,बहुत अच्छी बात है ये पवित्र आत्माओं के संस्कार होते हैं, लेकिन फिर धीरे धीरे सेवाओं में रहते हुए आपसी संगठन में रखते हुए जब हम एक दूसरे को देखने लगते हैं। अपने को देखना भूल जाते हैं तो ये ईश्वरीय नशा उमंग उत्साह भी धीरे धीरे कम होने लगता है।कन्याओं को अकेलापन बहुत भासता है पूछ लो अपने से कोई साथी चाहिए जिससे बातचीत कर सकें जिससे मन बहला सके,लेकिन सभी साथी स्वार्थी हैं। आजकल इसलिए ऐसे किसी साथी के चक्रव्यूह में उलझने की ज़रूरत नहीं है नहीं तो उसे निकालना बेहद मुश्किल होता है। हम डिपेंडेंट हो जाते हैं एक दूसरे पर तो जो इच्छा होती है कोई साथी चाहिए जीवन में कोई साथी हो उसका बहुत अच्छा उत्तर है लेकिन आप जब वो अनुभव करेंगे तभी आपको क्लियर होगा और वो है भगवान को अपना खुदा दोस्त बना लो, माता पिता बना लो शिक्षक सतगुरु बना लो, एक-एक चीज पर चिंतन करें।

ये मंत्र बना लो कि मैं बहुत भाग्यवान आत्मा हूँ…

हमें हमेशा स्वमान के नशे में रहना होगा। मेरे साथ स्वयं भगवान है, मैं उससे कुछ भी बातें कर सकती, उसका एक सुंदर रिस्पॉन्स मेरे पास आएगा। अगर योग युक्त अच्छे से होंगे, शिव बाबा से बात करते रहेंगे तो कभी भी न मन उदास होगा, न अकेलापन भासेगा। अपने अंदर गुणों को बहुत बढ़ाते चलें। कुमारी जीवन में भी हमें अपने साथ कुछ गुण लेके चलना है। जैसे जीवन में दृढ़ता हो, बहुत ज्यादा निर्भयता हो, अपने सत्यता की शक्ति में विश्वास हो। जो मिले उसमें संतुष्ट रहना। जो कुछ मिल रहा है उस पर पूर्ण संतुष्ट, तो सबकुछ अच्छा-अच्छा मिलने लगेगा बहुत ख़ुश रहना सीखें, बहुत महान बनें, बहुत हल्के बनें, बहुत स्ट्रांग बन जाएं। आप सफलता के साथ गीत गाते हुए बाबा के साथ इस महान कार्य को संपन्न करेंगी। बाबा ने हम सभी के मस्तक पर श्रेष्ठ भाग्य की लकीरें खींच दी हैं। दिखाई देती हैं सबको? खींची हुई है। हम बाबा के पास जिस क्षण आए, तभी सोया हुआ भाग्य तो जग गया था। अब भाग्य आगे बढ़ा रहे हैं दिनोंदिन। ये मंत्र बना लो मैं बहुत-बहुत भाग्यवान हूँ। अगर मनुष्य इसी स्मृति में रहने लगे कि मैं पदमापदम भाग्यवान हूँ तो अनेक समस्याएं खत्म होने लगेंगी।

हम बात को सोच-सोचकर बड़ा बना देते हैं
मनुष्य परेशान क्यों है, क्योंकि सोचते ज्यादा हैं। बात छोटी सी होती है, परेशानी ज़्यादा है। सोच-सोचकर इसलिए हमें अपनी सोच को ठीक करने के लिए मुरलियों की बातों पर बहुत ध्यान देना चाहिए। कौन-कौन सा भाग्य हमें प्राप्त है, कौन-कौन सा भाग्य मिलने जा रहा है, क्या पूरे ही कल्प हम बहुत भाग्यवान रहे हैं? भाग्यवान मनुष्य की पहचान आप देखो किसी व्यक्ति को बहुत लोग कहेंगे बड़ा भाग्यवान है। उस व्यक्ति को जो खुशी हैं, संपन्नता है, संतुष्टता है, सबकुछ सहज मिलता है। कई लोग मेहनत करते हैं मिलता ही नहीं और कई लोगों को सब कुछ सहज मिल जाता है। भाग्यवान वो है जिसका परिवार सुखी, बच्चे चरित्रवान है

बाबा हमारे जीवन में समां गया है
पहला भाग्य जो किसी को नहीं मिलता, द्वापर से किसी को क्षणिक दर्शन तो हुए होंगे, साक्षात्कार करा देता है बाबा वो भी ज्योति का साक्षात्कार उससे तो भक्तों को संतुष्टि नहीं होती। किसी को विष्णु के हुए, महादेव के हुए, श्रीकृष्ण के हुए फिर अनेक शिव शक्तियों के हुए ये सब होते रहे। हमारा डायरेक्ट कनेक्शन हो गया, केवल वो हमें मिला ही नहीं, हमारा होकर हमें मिल रहा है। हमारे जीवन में समा गया है। हमारा साथी बन गया। जब संसार को ये पता चलेगा सोचो क्या होगा? लोग सब जगह जाना छोड़ आपके ही चरणों में लेट जाएंगे। आपके चरण धोकर पीने लगेंगे। ज्ञान सरोवर, पांडव भवन, शान्तिवन तो बाद में यह स्थान महान तीर्थ बन जाएंगे। यह श्रेष्ठ वाइब्रेशन ऐसे अनुभव होंगे लोगों को, यहां का पानी पीया रोग ठीक हो गए, मिट्टी ले गए मस्तक पे लगा ली ठीक हो गया। यह सबकुछ तो ये सुंदर समय अब हमारे सामने आ रहा है।

हमें श्रेष्ठ भाग्य मिला, श्रेष्ठ ज्ञान मिला
दूसरा श्रेष्ठ भाग्य मिला है श्रेष्ठ ज्ञान। इसकी भी तो द्वापर से हमें तलाश थी। ऋषियों ने ग्रंथ लिखे, वेद लिखी पर सत्य ज्ञान की खोज बनी ही रही। बहुत कुछ लिखा गया। लोगों ने यह भी मान लिया कि इन ग्रंथों में संपूर्ण ज्ञान है। ये भगवान की ओर से फरिश्तों की ओर से आए हैं लेकिन संपूर्ण ज्ञान की फिर भी खोज रही। अगर संपूर्ण ज्ञान मनुष्यों को मिल गया होता तो क्या होता? एक तो खोज न होती, रोज ये गायन न होता मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो। मुझे ज्ञान का तीसरा नेत्र प्रदान करो। हे प्रभु मुझे राह दिखाओ। ये सब नहीं होता। यह कोई कम भाग्य है। संपूर्ण सत्य को हमने जान लिया, जीवन रोशन हो गया है। जीवन की राहें मिल गई हैं।

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