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पहले अपवित्रता को जलाना होगा तब ही पवित्रता का रंग चढ़ेगा… - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
पहले अपवित्रता को जलाना होगा तब ही पवित्रता का रंग चढ़ेगा…

पहले अपवित्रता को जलाना होगा तब ही पवित्रता का रंग चढ़ेगा…

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शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। सभी स्थिर हो जाएं और आंखें बंद कर लें। मन से शांति स्तंभ पहुंच जाएंगे। मैं आत्मा शांति स्तंभ के सामने बैठी हूं और मुझमें शांति की प्राण ऊर्जा भर रही है। ज्ञान की ऊर्जा, शक्ति की उर्जा, पवित्रता की ऊर्जा, शांति स्तंभ के इर्दगिर्द जो प्राण ऊर्जा प्रभावित है, एक विशिष्ट ऊर्जा है मैं उसकी अनुभूति कर रही हूं। अब मैं आत्मा हिस्ट्री हॉल में एक विशिष्ट सुगंध, एक अनोखी ऊर्जा शरीर में अविरल धारा बह रही हैं, रोम-रोम पुलक से भर रहा है। बाबा का कमरा जहां एक अदिति जीवन ऊर्जा है, प्राण ऊर्जा है, डिवाइन अनुभूति कर रही हूं। मेरे संपूर्ण शरीर में सिर से पैर तक प्राण ऊर्जा प्रभावित हो रही है। शरीर में लाइटनेस, हल्का पन अनुभव हो रहा है। बाबा की कुटिया प्रचंड, आलोक से भर रहा है। यहां प्रचंड, आलोक का वायुमंडल है, मेरा संपूर्ण शरीर लाइट से भर रहा है। मेरे शरीर में प्रकाश ही प्रकाश चमक रहा है, दिव्य प्रकाश से भर रहा है।शरीर का एक-एक अंग दिव्य प्रकाश से आलोकित हो रहा है। अब मैं आत्मा मेडिटेशन हॉल में पहुंच गई हूं। जहां पर एक विशिष्ट ऊर्जा कहीं नहीं है। वह अमृतवेला का संगठित योग, मुरली क्लास का संगठित योग, नुमाशाम संगठित योग की ऊर्जा का अनुभव कर रही हूं। अब मैं आत्मा मधुबन के आंगन में पहुंच जाती हूं। जो सृष्टि की महान आत्माएं जड़ हैं, तना हैं, श्रेष्ठ रचना हैं, वहां पर चलते-फिरते फरिश्तों की ऊर्जा है, उस ऊर्जा को मैं अनुभव कर रही हूं। अब मैं आत्मा ओम शांति भवन में पहुंच जाती हूं, जहां की हवाओं में परमात्मा प्रभु की ऊर्जा है, परमात्मा के महावाक्य से सारा भवन झूम उठा है, यहां विचित्र ऊर्जा है। मैं यहां की ऊर्जा पूरे शरीर में प्राण वायु को भरती जा रही हूं। अब मैं आत्मा मधुबन के आंगन में पहुंच जाती हूं। जो सृष्टि की महान आत्माएं जड़ है, तना है, श्रेष्ठ रचना है, वहां पर चलते-फिरते फरिश्तों की ऊर्जा है, उस ऊर्जा को मैं अनुभव कर रही हूं। अब मैं आत्मा ओम शांति भवन में पहुंच जाती हूं, जहां की हवाओं में परमात्मा प्रभु की ऊर्जा है, परमात्मा के महावाक्य से सारा भवन झूम उठा है, यहां विचित्र ऊर्जा है। मैं यहां की ऊर्जा पूरे शरीर में प्राण वायु को भरती जा रही हूं। अब मैं आत्मा ओम शांति भवन के नीचे बैठ जाती हूं, जहां सभी एक ही लक्ष्य, एक ही पुरुषार्थ के ऊपर पुरुषार्थी हैं। असंभव से संभव की ओर यात्रा में लीन है, ऊर्जा से परिपूर्ण हैं। मेरे मन, मेरी बुद्धि, मेरा संस्कार अत्यंत दिव्य है। मेरे रोम रोम में एक निष्कलंक, पवित्रता, अखंड, ब्रह्मचर्य को धारण करने वाले मैं शक्ति हूं, मैं एनर्जी हूं, मैं उर्जा का अवतार हूं। मैं इस सृष्टि का केंद्र हूं। बाबा के महावाक्य- पहले होली बनने के लिए अपनी अपवित्रता को जलाना है, जब तक अपवित्रता को समाप्त नहीं करेंगे, तब तक पवित्रता का रंग चढ़ नहीं सकता। पवित्रता की दृष्टि से रंग का उत्सव मना नहीं सकते। भिन्न-भिन्न उमंग-उत्साह से एक ही परिवार के, एक ही संबंध के अर्थात् भाई-भाई की दृष्टि से उत्सव मना नहीं सकते। 15 मार्च 1984 की मुरली है- पानी में दो चीजें होती हैं इंफॉर्मेशन और मेमोरी। पानी रिटर्न करता है, याददाश्त होती है, पानी में सूचनाएं होती हैं। इस सारी सृष्टि में 90% पानी है। हमारे शरीर में भी 90% पानी है। पानी एक सुपर कंप्यूटर है, इससे सबकुछ जुड़ा हुआ है। सृष्टि का सारा पानी एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। पानी में ऊर्जा है, लाइट है, पानी में जो हम थॉट, संकल्प देंगे उस पर पानी कार्य करेगा। संकल्प से पानी
को चार्ज करने की 10 विधियां हैं जो अगले अंक में जानेंगे।

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