शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। जो परमात्मा बाबा सभी को याद प्यार देता है। ऐसा बाबा तो सतयुग मेंं भी नहीं मिलेगा। रोज भगवान हमको याद करे- कम बात है क्या और ऐसा मीठा याद प्यार तो कोई भी नहीं देता जो इतना टाइटल दे करके याद-प्यार दे। मिलेगा, कोई ढूँढकर आओ सारे कल्प मेंं चक्र लगाओ, मिलेगा। नहीं न मिला, न मिलेगा लेकिन हम नशे से कहेंगे कि हमको तो मिला है, मिलेगा नहीं। यह नशा चढ़े उतरे नहीं क्योंकि टाइम बहुत कम है। कभी भी कुछ भी हो सकता है। वर्तमान समय देखने मेंं आता है कि अलबेलापन बहुत रूपों मेंं आता है। सभी मेंं समझ तो बहुत अच्छी आ गई है। एक-एक प्वाइंट पर बहुत अच्छा भाषण कर सकते हैं। प्वाइंटस है, समझ है लेकिन चाहते भी नहीं होता है। उसका कारण – अलबेलापन है। मुझे करना ही है वह नहीं है, करना है लेकिन देखेंगे, सोचेंगे, समय आयेगा, कर लेंगे। अभी ऐसा अलबेलापन नहीं चाहिए।अलबेलापन भी कई प्रकार का है, औरों को देख करके भी अलबेलापन आता है। अभी तो सब चल रहे हैं। अभी कौन सम्पूर्ण बना है, बड़े-बड़े ही नहीं बना है, हम तो हैं ही पीछे। अभी बड़े तो पास हो जायेंगे, रह कौन जायेगा अलबेलापन वाले। बड़ों की भी कोई किस समय गलती हो सकती है, अभी बाबा के पास का सर्टिफिकेट किसको भी नहीं दिया है। एक बार मम्मा ने कहा देखो तुम सोचती हो – यह बड़ा महारथी भी ऐसा करता है, मैंने किया तो क्या हुआ। एक तो जिस समय वह गलती करता है उस समय वह महारथी है ही नहीं, पुरुषार्थी है। कभी महारथी है, कभी गलती करता है तो नीचे भी आता है और दूसरा मानों हमने उसकी कमी देखी, वह भी तो अपनी कमी को छोड़ रहा है ना, तो वह अपनी कमी को निकाल रहा है और हम उसकी निकाली हुई चीज अपने मेंंधारण कर रहे हैं। मम्मा ने कहा कि किसकी गलती देख करके अपने मेंं धारण करना या व्यर्थ संकल्प चलाना, इसमेंंटाइम भी वेस्ट किया और खुद भी नीचे गिरे। इसके लिए तुम ऐसी सीन सामने लाओ जैसे बहुत गन्दा एक गटर बह रहा है और कोई गटर का पानी बहुत मौज से पी रहें हैं। यानी दूसरे की छोड़ने वाली खराब जो वह खुद ही छोड़ रहा है और आ ले रहे हो। मम्मा मिसाल देती थी तो जब भी हमेंं किसी की कमी दिखाई देती थी तो हम कहते थे, यह तो गटर का पानी है। कई जो सोचते हैं कि यह तो चलता है, टाइम पर हो ही जायेगा। बस एक मास थोड़ा बन्धन है, एक मास के बाद मैं फ्री हो
जाऊँगी। अरे एक मास के बाद तुम होगी या नहीं होगी भरोसा है। कोई तारिख लेकर आया है क्या? हमने देखा है कि बहुत करके जो कहते हैं एक मास के बाद फ्री हो जाऊँगी, एक मास के बाद उसके सामने और ही दूसरी बड़ी बात आ जाती है। यह तो भरोसा ही नहीं है कि हम मास भर रहेंगे भी या नहीं। तो अलबेलापन हमेंं अलर्ट होने नहीं देता है।
याद और सेवा में अलर्ट रहेंगे तो अलबेलापन से दूर रहेंगे
December 11, 2023 आध्यात्मिकखबरें और भी