सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
थॉट लैब से कर रहे सकारात्मक संकल्पों का सृजन नकारात्मक विचारों से मन की सुरक्षा करना बहुत जरूरी: बीके सुदेश दीदी यहां हृदय रोगियों को कहा जाता है दिलवाले आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ समाज थीम पर होंगे आयोजन ब्रह्माकुमारीज संस्था के अंतराष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू दादी को डॉ अब्दुल कलाम वल्र्ड पीस तथा महाकरूणा अवार्ड का अवार्ड एक-दूसरे को लगाएं प्रेम, खुशी, शांति और आनंद का रंग: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी
बाबा पढ़ा रहा है, मैंने ताउम्र खुद को विद्यार्थी समझा - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
बाबा पढ़ा रहा है, मैंने ताउम्र खुद को विद्यार्थी समझा

बाबा पढ़ा रहा है, मैंने ताउम्र खुद को विद्यार्थी समझा

आध्यात्मिक

शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। जिसका मुरली से प्यार है वो मास्टर मुरलीधर है। सिर्फ मेरा संबंध सच्चाई का शक्तिशाली हो। मदद तो बाबा देता है लेकिन जो मदद बचपन में देता है वो अब तो नहीं देगा। बच्चा समझ के चलाएगा क्या? जब छोटे होते हैं तो बाबा बहुत मदद करता है। फिर बड़े होने पर तेरा-मेरा, स्वभाव-संस्कार आदि सब आता है। फिर आता है हमारी याद कहां तक है? जो बाबा ने हमें टीचर के रूप में पढ़ाया, वो हमारी स्टडी कहां तक है? आज दिन तक हमारी स्टूडेंट लाइफ है। दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं जहां हम लोगों जैसी दिनचर्या हो। जितना हमारे संकल्प शुद्ध, शांत, श्रेष्ठ हैं तो दृढ़ आटोमेटिक
होते हैं। शुद्ध और शांत वाला संकल्प जरूर राइट आएगा, जिसमें हमारी कोई सेवा समाई होगी। सेवा दूसरों की है, लेकिन मैं संकल्प चलाऊं, यह आवश्यक नहीं है। उससे शुद्ध शांत रहूं जिसको बाबा ने कहा- मनोबल। जितना मनोबल है उतना अच्छा और खुद के लिए जरूरी है। वो शक्ति जितना जमा करो उतना दिनभर में काम आती है। रूहानी राहत में रहने देती है। लेकिन अगर मैं कहीं भी एनर्जी वेस्ट करती हूं तो किसी को भी अनुभव नहीं करा सकती हूं। बुद्धि की लाइन क्लीयर नहीं होगी तो दूसरी आत्मा को ऐसा अनुभव कैसे होगा। तो एक है बाबा के बच्चे हैं। छोटे हैं तो बाबा मदद करता है। दूसरा है जितना याद में रहते हैं उतना मदद करता है। जितना पढ़ाई में अच्छे रहेंगे, उतनी मदद है। कभी कोई भी स्टेज पर जाएंगे बाबा हमारी लाज रखेगा। आजकल कई बातों में बाबा की सकाश मिल रही है। जैसे खुद का सांस रूक जाए तो ऑक्सीजन देते हैं। कभी हमारे से नहीं होता है तो बाबा सकाश देता है। कुछ बच्चेयोग्य नहीं हैं फिर भी बाबा की सकाश कार्य करा लेती है। वो भी मिलती है अंदर की सच्चाई से। किसको सच्चा बनने में टाइम लगा है। सदा सच्चा होकर रहना आसान बात नहीं है। देह-अभिमान सच्चा बनने नहीं देता है। लेकिन कोई-कोई बच्चे अति सच्चे होते हैं जो जरा भी मिक्स नहीं कर सकते हैं। ऐसी बिरली आत्माओं को बाबा की अंदर गुप्त सकाश बहुत मिलती है। जितना पुरुषार्थ है उतनी मदद है। बाबा अपनी सेवा कराने अर्थ मदद करता है। मददगार जो बनते हैं उनको मदद मिलती है। बाबा ने हम बच्चों को निमित्त बनाकर हाथ में ग्लोब दे दिया है। अब फिर कहते हैं बेहद में ये सेवाएं फैलाओ। ग्लोब के ऊपर बैठो, साक्षी होकर देखो- क्या हो रहा है। वो तभी होगा जब छोटी-छोटी बातों से
अपने को छुड़ाएंगे। छोटी-छोटी बातें ठीक हो जाएंगी- ये गैरंटी है, विश्वास है। विश्वास तभी बैठता है जब मेरी अपनी भावना प्योर हो, निश्चय हो। विश्वास बड़ी चीज है खुद में और भगवान में विश्वास हो। विश्वास होता है बुद्धि से और भावना होती है दिल से।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *