शिव आमंत्रण/ आबू रोड। कालचक्र के वर्तमान समय में विश्व में हो रही विनाशकारी घटनाओं से पूरे विश्व में डर और अशांति का माहौल देखने को मिल रहा है, जिससे विश्व की सभी आत्मायें शांति की तलाश में हैं। पर उन्हें क्षणिक शांति ही मिल पा रही है। अगर हमें वाकई में सच्ची शांति चाहिए तो हमें अध्यात्म की तरफ वापस लौटना होगा। अध्यात्म हमें हमारी आत्मा से जोड़ता है अर्थात यह अंतर्जगत की एक ऐसी यात्रा है जिसमें हम अपने मन और बुद्धि को अपनी आत्मा की तरफ मोड़कर परमपिता परमात्मा से जुड़ते हैं। शांति के सागर से असीम शांति की किरणें हमारी आत्मा में भरकर पूरे विश्व में शांति का प्रकम्पन फैलाते हैं। अंत में एक समय ऐसा आएगा जब हमारी चेतना का सम्पूर्ण विकास होगा। हमारे सारे विकार और वासनाएं समाप्त हो जाएंगी। ब्रह्माकुमारीज़ के साकार संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का जीवन मिसाल है। जिनके शांति के संकल्प और मार्ग आज पूरे विश्व में लाखों लोगों के लिए मार्गप्रशस्त कर रहे हैं। इन लोगों ने अपने आचरण और व्यवहार से समाज में यह साबित कर दिखाया है कि यदि इंसान को सही ज्ञान, मार्गदर्शन मिले तो बदलाव संभव है। साथ ही अध्यात्म का ज्ञान और मेडिटेशन के बल पर ही विश्व को एक सूत्र में बांधा जा सकता है। जरूरत है तो हमें अपनी विचारधारा को वृहद करने की। समय की यही मांग है कि अब बदलाव की जरूरत है। सारे विश्व की निगाहें भारत की ओर हैं क्योंकि भारत में पुरातन संस्कृति अध्यात्म और योग हमें वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना सिखाती है। सर्व भवंतु सुखिन: की भावना और सोची वाली हमारी संस्कृति है।
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