तनाव मुक्ति कार्यशाला में बीके सूरज के विचार
शिव आमंत्रण, नीमच। म.प्र. के नीमच सेवाकेंद्र पर तनाव मुक्ति एवं एकाग्रता विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें माउंट आबू से आए वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षक बीके सूरज ने कहा, कि अपनी संकल्प शक्ति का सदुपयोग ही हमारे जीवन में एकाग्रता एवं सुख शांति प्रदान करेगा।
कार्यशाला का शुभारंभ बीके सूरज, जिला एवं सत्र न्यायाधीश हृदयेश श्रीवास्तव, माउण्ट आबू से पधारी बीके गीता एवं बीके रूपेश के साथ बीके सविता एवं बीके सुरेन्द्र ने विश्व शांति की कामना से दीप प्रज्ज्वलित करके किया ।
प्रमुख वक्ता बीके सूरज ने कुछ तनावमुक्ति व आध्यात्म के टिप्स देकर रनिंग कॉमेन्ट्री द्वारा शक्तिशाली समर्थ संकल्प देकर सभी को मेडिटेशन करवाकर तनावमुक्ति एवं गहन सुख-शांति की अनुभूति करवाई। आपने आने वाली परिस्थितियों से अवगत करवाते हुए बताया, कि कोरोना महामारी तो कुछ भी नहीं अब अधिकतर मनुष्य अपने नकारात्मक सोच, व्यर्थ चिंतन एवं पापों में वृद्धि के कारण डिप्रेशन महामारी के शिकार होंगे और आने वाले कुछ वर्षों में विश्व की 25 प्रतिशत आबादी डिप्रेशन की शिकार होगी तथा सुसाईड केस बहुत तेजी से बढ़ते जाऐंगे। यहीं हमें संभलना होगा, अपने निगेटिव विचार और आत्म विश्वास की कमी को नगण्य न समझकर बहुत गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकें। सकारात्मक संकल्पों से पानी को चार्ज करना सीख लें तो भी हमारा स्वास्थ्य एवं स्वस्थिति आनन्दमय हो सकती है । क्योंकि शरीर का 70 प्रतिशत भाग पानी से संचालित है।+
तनाव मुक्ति विशेषज्ञा बीके गीता ने बताया, कि सारी समस्याओं की जड़ हमारा नकारात्मक एवं व्यर्थ चिन्तन है। यदि प्रात: काल जागते ही हम केवल 5-7 मिनिट प्रभु का ध्यान कर व उनसे दिन भर अपने साथ रहने की कामना के साथ यदि हम दिनचर्या का प्रारंभ करें तो आप दिन भर में अनेक सुखद परिणाम प्राप्त करेंगे तथा रात्रि को सोते समय केवल 10 मिनिट मेडिटेशन कर सर्वशक्तिवान परमात्मा के सामने अपना दिन भर का चार्ट रखकर उनके सानिध्य में निद्रा मग्न होंगे तो हमारी निद्रा एवं प्रात: जागरण अति सुखद व आनन्द मय होगा । किन्तु जरूरत है कुछ आध्यात्मिक प्रशिक्षण की जिससे हम अपनी संकल्प शक्ति जिसमें की एक जबरदस्त रचनात्मक उर्जा छिपी हुई है का सदुपयोग कर सके।
टी.वी. एंकर बीके रूपेश ने आध्यात्म की गहन विविधताओं को सहज करके समझाया एवं बताया कि यदि हम अंर्तमुखी होकर अपने अंतर की गहराईयों को एक छोटे आध्यात्मिक प्रशिक्षण के माध्यम से समायोजित करना सीख लें तो जीवन की सर्व समस्याओं का हल सहज मिल जाएगा । आपने एक सुंदर कोटेशन के द्वारा आध्यात्म की महत्ता बताई – मैं भीतर गया… मैं भी तर गया।
कार्यक्रम के अंत में अनेक न्यायाधीशगण ने प्रश्नोत्तर द्वारा अपनी शंका समाधान की। कार्यक्रम का संचालन बीके सुरेन्द्र ने एवं आभार प्रदर्शन बीके सविता ने किया।