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सच्चाई-सफाई और सादगी की मिसाल था दादी का जीवन: बीके मुन्नी दीदी - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
सच्चाई-सफाई और सादगी की मिसाल था दादी का जीवन: बीके मुन्नी दीदी

सच्चाई-सफाई और सादगी की मिसाल था दादी का जीवन: बीके मुन्नी दीदी

मुख्य समाचार
  • अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका ईशु दादी की चतुर्थ पुण्य तिथि शुभ भावना दिवस के रूप में मनाई


शिव आमंत्रण, आबू रोड (राजस्थान)।  
ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका ईशु दादी की चतुर्थ पुण्य तिथि शांतिवन मुख्यालय सहित देशभर में शुभ भावना दिवस के रूप में मनाई गई। वरिष्ठ भाई-बहनों ने पुष्पांजली अर्पित कर उनके द्वारा विश्व कल्याण में किए गए कार्यों को याद किया।
बता दें कि 6 मई 2021 को ईशु दादी का देवलोकगमन हो गया था। आपकी लगन और ईमानदारी को देखते हुए प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने शुरू से ही आपको हिसाब-किताब रखने की सेवा में लगाया। आपने दादी प्रकाशमणि के साथ कदम से कदम मिलाकर वर्षों तक ब्रह्माकुमारीज़ के आर्थिक लेन-देन की जिम्मेदारी संभाली।
कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित पुष्पांजली कार्यक्रम में अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आधार स्तंभ सदस्यों में से ईशु दादी एक थीं। उनका जीवन सादगी की मिसाल रहा। उनके जीवन में सच्चाई-सफाई और सादगी थी। वह गंभीरता की मूरत थीं।

दादी को पुष्पांजली अर्पित करते हुए वरिष्ठ दीदियां।

एकनामी और एकोनामी की मिसाल थीं दादी-
संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके सुदेश दीदी ने ईशु दादी के साथ के अनुभव सुनाते हुए कहा कि आज जो ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में देश-विदेश में परमात्मा के महावाक्य सुनाए जाते हैं उन्हें नोट करती थीं। पहले ब्रह्मा बाबा महावाक्य उच्चारण करते थे और दादी शार्ट हैंड में उन्हें लिखती थीं। पहले कार्बन कॉपी निकाली जाती थी जिसे सभी जगह भेजा जाता था। कोई भी जो समाचार होता था तो दादी हिंदी में लिखकर सभी जगह भेजती थीं। बाबा उन्हें सिंधी में बताते थे और वह हिंदी में लिखती थीं। वह एकनामी और एकोनामी की मिसाल थीं। शुरु से ही इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय के एकाउंट की जिम्मेदारी दादी को दी गई। जयपुर सबजोन की निदेशिका बीके सुषमा दीदी ने कहा कि दादी में अनेक विशेषताएं थीं। उनके पास एक-एक रुपए का हिसाब होता था।

पुष्पांजली कार्यक्रम में मौजूद लोग।

नियम-मर्यादाओं में रहती थीं अडिग-
ईशु दादी की निज सचिव रहीं बीके कविता दीदी ने बताया कि दादी के साथ वर्षों तक रहने का सौभाग्य मिला। दादी के कभी भी अपने निजी शौक के लिए पैसे खर्च नहीं किए। आप नियम-मर्यादाओं में अडिग रहती थीं। आपके जीवन से बहुत कुछ सीखा है। दादी का एक-एक कर्म प्रेरक और अनुकरणीय रहा।

इन्होंने भी अपने विचार व्यक्त किए-
अतिरिक्त महासचिव बीके करुणा भाई, इंजीनियरिंग प्रभाग के अध्यक्ष बीके मोहन सिंघल भाई, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके गीता दीदी, बीके गोकुल भाई, बीके ललित भाई ने भी अपने विचार व्यक्त किए। बीके अमर दीदी ने दादी के निमित्त भोग लगाया। संचालन बीके डॉ. सविता दीदी ने किया। मधुरवाणी ग्रुप ने कलाकारों ने गीत प्रस्तुत किया।

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