सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
मेडिटेशन से आती है मन और बुद्ध को नियंत्रित करने की कला: राजयोगिनी जयंती दीदी ब्रह्माकुमारीज़ ने बनाया रिकार्ड, देशभर में 88581 यूनिट रक्तदान ब्रह्माकुमारीज़ मुख्यालय पहुंचे देशभर से राजा-महाराजाओं के वंशज दादी ने जीवनभर प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया: राजयोगिनी बीके मोहिनी दीदी देशभर में 670 रक्तदान शिविर आयोजित, 50 हजार यूनिट रक्त एकत्रित पत्रकार अपने जीवन में अध्यात्म और योग को शामिल करें: राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी सात देशों के 2700 धावकों ने लगाई दौड़, दो हजार फिनिश पाइंट तक पहुंचे
हमारी माँ है, खुले दिल से करे उस से प्रेम - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
हमारी माँ है, खुले दिल से करे उस से प्रेम

हमारी माँ है, खुले दिल से करे उस से प्रेम

मध्य प्रदेश राज्य समाचार

खुले दिल से करें प्रकृति से प्रेम वेबिनार मे व्यक्त विचार

शिव आमंत्रण, ग्वालियर। ग्वालियर सेवाकेंद्र के युवा प्रभाग द्वारा यूथ फॉर ग्लोबल पीस के अंतर्गत एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय रखा था खुले दिल से करें प्रकृति से प्रेम। कार्यक्रम में मुख्य रूप से बीके ज्योति (ग्वालियर), खजुराहो सेवाकेंद्र प्रभारी बीके विद्या, भारत मिशन 100 करोड वृक्ष के राष्ट्रीय संयोजक रोहित उपाध्याय और बीके प्रह्लाद उपस्थित रहे।
बीके विद्या ने बताया की आज विश्व में सबसे ज्वलंत समस्या है पर्यावरण प्रदुषण। आज मानव ने प्रकृति का अधिक से अधिक सुख लेने की होड में अन्दाधुंद शोषण किया और शहरीकरण के लिए जंगलों को साफ किया। इन्हीं पेडो-पौधों के कारण आज वायु प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण आदि हमारे सामने हैं। वृक्ष हमारी धरती माँ का श्रृंगार है। जिस प्रकार फेफडे साँस लेने में बहुत ही अहम् कार्य करते हैं उसी प्रकार वृक्ष भी मनुष्यों को शुद्ध हवा देने में अति सहयोगी है। आध्यात्मिकता हम सभी को प्रकृति के प्रति जो हमारी जिम्मेदारी है वो महसूस कराती है साथ ही साथ प्रकृति के धर्म को निभाते हुए यह संसार फिर से प्रदुषण मुक्त हो जाये इसकी भी प्रेरणा देती है। अंत में उन्होंने सभी से विनम्र अनुरोध करते हुए ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाकर उसकी देखभाल की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा।
100 करोड वृक्ष मिशन से रोहित उपाध्याय ने बताया, कि प्रकृति हमारी है, हमे उससे प्रेम करना है और वर्तमान समय में यह बात बहुत स्पष्ट है की आज भी प्रकृति हम सब से बहुत प्रेम करती है क्योंकि वो हमारी माँ है और माँ अपने बच्चों को कभी नहीं भूलती। सभी को इस बात पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है कि वृक्षों को नुकसान पहुंचाये बिना अपने कार्य करें तथा ऐसी विधियाँ बनाये की ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगे और यह भी ध्यान रखे की जो पुराने पेड हैं उन्हें जितना हो सके बचे रहने दे। नए पेड लगाना बहुत ही आवश्यक है परन्तु उसके साथ पुराने पेडों का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है।
बीके ज्योति ने कहा, कि वर्तमान समय प्रदूषण, बीमारियाँ आदि बढऩे का सबसे बडा कारण है कि लोग अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के बजाए उन्हें काटते जा रहे हैं। उन्होंने एक उदाहरण सहित बहुत अच्छी रीती समझाया की सभी गंगा जल को बहुत पवित्र मानते हैं क्योकि उसके आस पास का वायुमंडल बहुत ही सकारात्मक और पवित्र होता है और उस वायुमंडल का प्रभाव जल पर भी पढता है। उसी प्रकार हमारी सोच का भी इस पर्यावरण से बहुत गहरा सम्बन्ध है। सबसे पहले हमे हमारी सोच को समर्थ बनाना है क्योकि जैसा हम सोच रहे हैं वैसा ही वातावरण तैयार कर रहे हैं और जिस दिन हमारी सोच में परिवर्तन आ जायेगा उस दिन पर्यावरण भी शुद्ध हो जायेगा। साथ ही पूरी दुनिया हरी भरी हो जाएगी। अगर हम यह सोचेंगे की हमारा कनेक्शन पिता परमात्मा से जुडा हुआ है, उनसे पॉवर आ रही है और प्रकृति के पांचो तत्वों में जा रही है तो जब ऐसा अभ्यास करेंगे तो निश्चित ही पूरा पर्यावरण पवित्र और स्वच्छ हो जायेगा।
कार्यक्रम के अंत में बीके ज्योति ने सभी को मैडिटेशन कराया तथा बीके प्रह्लाद ने इस कार्यक्रम का संचालन किया एवम् अन्त में सभी का आभार व्यक्त किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *