सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
श्रेष्ठ-पॉजीटिव संकल्प करेंगे तो ही श्रेष्ठ बनेंगे: बीके शिवानी दीदी अध्यात्म-राजयोग का परमात्म दिव्य ज्ञान करेगा नए युग का सूत्रपात जब हम श्रद्धाभाव, समर्पण भाव से कार्य करेंगे तो जीवन सफल होगा: राज्यमंत्री राजेश्वर सिंह भारत ही एकमात्र देश है जो विश्व को दिशा, शांति और धर्म दे सकता है: केंद्रीय मंत्री भगवंत खुबा संविधान से पहले हमारी सनातन संस्कृति और सभ्यता है: मुख्यमंत्री वैश्विक शिखर सम्मेलन आज से, देश-विदेश से छह हजार हस्तियां करेंगी शिरकत वैश्विक शिखर सम्मेलन 22 से, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिश्व शर्मा होंगे शामिल
राजयोग के अभ्यास से प्रभु की छत्रछाया का अनुभव होता है - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
राजयोग के अभ्यास से प्रभु की छत्रछाया का अनुभव होता है

राजयोग के अभ्यास से प्रभु की छत्रछाया का अनुभव होता है

बातचीत

बचपन में जब भी मन्दिर में जाता था तो वहां पर देवी-देवताओं की मूर्तियों को देखकर मन में विचार उठते थे कि इनको ऐसा बनाने वाला कौन है, इनकी पूजा क्यों हो रही है? ऐसे बहुत से प्रश्न मन में उठते थे इन सभी प्रश्नों का उत्तर मुझे ब्रह्माकुमारीज़ में 7 दिन का कोर्स करने के बाद मिला। अब मुझे पता चल गया है कि निराकार परमपिता परमात्मा ही कलियुग के अंत में इस धरा पर अवतरित होकर ब्रह्मा तन को आधार बनाकर हम बच्चों को ऐसी शिक्षा देते हैं कि जिसको जीवन में धारण कर हम भविष्य में सतयुगी देवी-देवता बनते हैं। राजयोग के निरंतर अभ्यास से जीवन में बहुत परिवर्तन आया है। जीवन में आई कठिन परिस्थितियों को भी राजयोग द्वारा बहुत सहज तरीके से पार कर लिया। इससे जीवन में धैर्यता, सन्तुष्टता, गंभीरता आदि गुणों का समावेश हुआ, जीवन जीने की कला सीख ली। राजयोग से हर पल प्रभु की छत्रछाया का अनुभव होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *