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जब बाबा ने भाई बनकर मेरी मदद की - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
जब बाबा ने भाई बनकर मेरी मदद की

जब बाबा ने भाई बनकर मेरी मदद की

बातचीत

शिव आमंत्रण,सागर (मप्र)। 4 वर्ष 1998 में मेरे दादाजी-दादीजी और बुआ जी ब्रह्माकुमारीका से जुड़े थे तो बचपन में मैं भी उनके साथ सेवाकेंद्र पर जाती थी। वहां मुझे मुरली क्लास, प्रवचन कुछ समझ नहीं आते थे लेकिन प्रोग्राम में डांस करना बहुत पसंद था। लेकिन घर में कभी भी डांस नहीं करती थी, इस बात पर कभी-कभी मेरी पिटाई भी हो जाती थी। ये सिलसिला चलता रहा। एक समय ऐसा भी आया जब पिताजी ने सेंटर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। एक दिन सेवाकेंद्र प्रभारी बीके छाया दीदीजी ने पिताजी को फोन किया और कहा कि दीपिका को सेंटर भेजो तो पिताजी ने सहर्ष ही सहमति दे दी। तब (वर्ष 2010) से सेंटर पर ही समर्पित रूप से सेवाएं दे रही हूं। एक बार हमारे यहां दो समुदायों के बीच दंगा हो गया, संयोग से उसी दिन बड़ी दीदी ने कहा कि आपको गैरतगंज जाना है। मैं जिस बस में जा रही थी उसमें एक भी सवारी नहीं थी। बस कुछ आगे बढ़ी तो रास्ते में ड्राइवर और कंडक्टर भय का माहौल बनाने लगे। इस पर मैंने तुरंत बाबा का आह्नान किया और दुर्गा स्वरूप व विध्न विनासक स्वरूप का स्वमान शुरू कर दिया। बाबा को भाई के रूप में याद किया। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि यदि आप सच्चे दिल से परमात्मा को याद करते हैं तो वह सदा हमारी सहायता के लिए बंधा हुआ है। अचानक पूरी बस सवारियों से भर गई। भगवान कहते हैं बच्चे, मेरे कदम पर एक कदम बढ़ाओ मैं हजार कदम बढ़ाऊंगा, यह बात मैंने जीवन में अनुभव की है।

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