वर्तमान मानव जीवन में धन की गरीबी, स्वास्थ्य की गरीबी, चरित्र की गरीबी किसी दवाई वा भक्ति, पूजा-पाठ, कर्मकांड से दूर नहीं हो सकती है। यह सब तो हम बचपन से व कई जन्मों से करते आए हैं जिसका परिणाम दिन प्रतिदिन जीवन और ही इन कमियों से बढ़ता चला गया। आज अनेक धार्मिक संस्थाएं, ट्रस्ट इस कार्य में लगी हुई है फिर भी गरीबी, स्वास्थ्य वा चरित्र का संकट दूर नहीं हो पाया। कारण है सद्विवेक की कमी। जैसे एक मां बाप अपने बच्चे को पढ़ा कर डॉक्टर, इंजीनियर एक जन्म के लिए बना देते हैं जिससे उसका एक जीवन तो संपन्नता से बीत जाता है लेकिन फिर दूसरे जन्म में उसे पुन: पढ़ाई करके ही धन को हासिल करना पडता है। फिर भी स्वास्थ्य और चरित्र की गरीबी तो बनी ही रहती है। अगर हम सदा के लिए इन चीजों को खत्म करना चाहते हैं, स्वयं को-देश को-विश्व को शक्तिशाली, समृद्ध बनाना चाहते हैं तो उसके लिए सत्य ज्ञान, समझ, सद्विवेक की आवश्यकता है। कहा जाता है ‘जहां सु-मति है वहां संपत्ति सभी तरह की है।’ जहां अविनाशी सत्यता है वहा सभी तरह की संपन्नता है। इसीलिए ईश्वर से सत बुद्धि मांगी जाती है। वर्तमान संकट काल में स्वयंभू परमपिता शिव परमात्मा गरीब नवाज बन इस धरा पर आकर सत्य ज्ञान द्वारा आत्माओं को 84 जन्मों के लिए धन, स्वास्थ्य, चरित्र, वैभव से परिपूर्ण बना रहे है। धन दान करके किसी गरीब को अल्प कालीन पूर्ति तो कर सकते हैं परंतु फिर भी वह गरीब ही बना रहता है। उसके संस्कार मांगने के ही रहेंगे। वह लिए हुए धन को वापिस चुका न पाने के कारण गरीबी की दलदल में और ही फसता जाता है। किसी को धन दान कर के आपने परोपकार का कार्य नहीं किया बल्कि उसे और ही खड्डे में गिराकर हमेशा गरीब बने रहने का काम किया। अगर धन दान के साथ उसी वक्त आत्मिक ज्ञान, स्वयं की पहचान देकर किया जाए तो पुन: गरीबी की रेखा से ऊपर उठकर इतना संपन्न मालामाल बन जाता है जिससे वह आत्मा दाता या देवता बन जाती है। इसलिए परमात्मा को गरीब नवाज कहा गया है। गरीब नवाज अर्थात पतितों को पावन बनाने वाला। जहां जीवन में पवित्रता है वहां सभी तरह की संपन्नता है। इसलिए देवताओं के चित्रों में पैरों में कमल, पदम की निशानी बताई गई है। अर्थात शरीर भान से, पतित संसार से, विकारों से न्यारा कमल फूल समान पवित्र बताया गया। दूसरा कमल फूल को पदम भी कहते हैं। इसी पवित्र ज्ञान से जीवन पद्मा पद्म गुना धन, स्वास्थ्य, चरित्र की प्राप्ति करा देता है जो 21 जन्म तो हम संपन्न रहते हैं बाकी जन्म याचक आत्माओं को दान देकर भी अपनी संपन्नता कायम बनी रहती है। इसीलिए भारत में राजाओं की दान वीरता के बावजूद भी उनकी राजाई बनी रहती है। – बीके नारायण, ओम शांति भवन, न्यू पलासिया, भीलवाड़ा, इंदौर

अविनाशी सत्य ज्ञान ही बनायेगा हेल्दी-वेल्दी-हैप्पी…
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