– 48वीं माइंड-बॉडी-मेडिसिन नेशनल कॉन्फ्रेंस का समापन
शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज़ के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन परिसर में आयोजित मेडिकल विंग की 48वीं माइंड-बॉडी-मेडिसिन नेशनल कॉन्फ्रेंस का समापन हो गया। समापन सत्र में ग्लोबल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. प्रताप मिड्ढा ने कहा कि मेडिकल क्षेत्र में सबसे ज्यादा हमें अपना व्यवहार प्रेमपूर्ण बनाना होगा। प्रेम अपने आप में एक शक्ति है। आपका प्रेमपूर्ण व्यवहार मरीजों के लिए वरदान साबित होता है। आज मेडिकल क्षेत्र में मूल्यों की बहुत जरूरत है ताकि समाज का विश्वास बना रहे।
हैप्पीनेस विषय पर डॉ. प्रेममसंद भाई ने कहा कि अपने आपसे कहें कि ऑल इज वेल। जब हम सदा अपना पद, पैसा, प्रतिष्ठा को ध्यान में रखकर काम करते हैं तो खुशी गायब हो जाती है और तनाव होता है। जब आप घर जाएं तो डॉक्टर बनकर नहीं एक पिता, पति, बच्चे बनकर जाएं। क्योंकि परिवार के लिए आप एक सदस्य हैं। जब हमारा चीजों के प्रति साक्षी भाव होता है तो निर्लिप्त अवस्था रहती है। अभिमान के कारण तरह-तरह की समस्याएं आती हैं। 90 फीसदी समस्याओं का कारण गुस्से में जोर से बोलना है। एक शोध में देखा गया है कि जो पति-पत्नी एक-दूसरे के भोजन का ध्यान रखते हैं, उनकी परवाह करते हैं उनके रिलेशन ठीक रहते हैं। जो व्यक्ति घर से खुश होकर ऑफिस के लिए निकलता है उनकी दुर्घटनाएं कम होती हैं।
अपना जीवन मूल्यवान बनाएं-
कार्यकारी सचिव डॉ. बीके बनारसी लाल ने संस्थान का इतिहास बताते हुए कहा कि यह कार्य परमात्मा का है। यहां जो भी आते हैं वह परमात्मा के बुलावे पर ही आते हैं। यहां तीन दिन में जो शिक्षा ली है उसे अपने जीवन में धारण कर ऐसा बना लें कि लोग कहें कि ये डॉक्टर नहीं भगवान हैं। अपने जीवन को इतना मूल्यवान, गुणवान बना लें कि जो भी आपको देखे वह कहे वाह इनमें इतना परिवर्तन कहां से आया है। गुजरात की डॉ. शिल्पी रावल ने कहा कि यहां तीन दिन में मेडिटेशन के साथ मूल्यनिष्ठ जीवन के बारे में गहराई से जाना। मेडिकल विंग और भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के साथ मिलकर नशामुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है।
कर्मों को बड़ी सावधानी से करें-
अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी दीदी ने कहा कि आज हमारा जो जीवन है उसमें हमारे आत्मा के पूर्व जन्मों के संस्कार का बड़ा रोल होता है। घर में जो बच्चा बनकर आता है वह आत्मा पिछले जन्म से जो लेकर आया है उस अनुसार इस जन्म में उसका रोल होता है। चिंता, दुख, दर्द की एनर्जी में जो कर्म करते हैं तो वह नकारात्मक कर्मों की श्रेणी में जाते हैं। इसलिए संकल्प से लेकर कर्मों को बड़ी सावधानी से करना चाहिए। कर्म का फल मिलना निश्चित है।
वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका डॉ. सविता दीदी ने कहा कि अध्यात्म में जीवन की सारी समस्याओं का समाधान है। समाज में एक डॉक्टर के मूल्यनिष्ठ व्यवहार से हजारों लोगों पर सकारात्मक छिव का निर्माण होता है। डॉ. ऊषा किरण ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में ज्ञान लेने के बाद मेरा जीवन बदल गया। मेडिटेशन को आप सभी भी अपने जीवन में अपनाकर इसके चमत्कार देखें। अलग-अलग सत्रों में मोटिवेशनल स्पीकर प्रो. स्वामीनाथन, डॉ. सचिन परब, डॉ. सतीश गुप्ता, डॉ. प्रियंका बहन ने भी संबोधित किया। ग्लोबल हॉस्पिटल की वरिष्ठ नर्स बीके रूपा ने मंच संचालन किया।