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कोरोना काल में पत्रकारों का बलिदान भुलाया नही जा सकता - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
कोरोना काल में पत्रकारों का बलिदान भुलाया नही जा सकता

कोरोना काल में पत्रकारों का बलिदान भुलाया नही जा सकता

गुजरात राज्य समाचार

मीडिया के ऑनलाईन सम्मेलन में व्यक्त विचार

शिव आमंत्रण, बड़ोदरा। पारुल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग तथा ब्रह्माकुमारीज संस्थान के मीडिया प्रभाग द्वारा दो दिवसीय ऑनलाईन सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करुणा, वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह, दैनिक भास्कर के पूर्व समूह सम्पादक श्रवण गर्ग, पारुल विश्वविद्यालय के प्रोवोस्ट प्रो एम एन पटेल, गुजरात विद्यापीठ के डीन पुनिता हामे, मीडिया प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक बीके सुशांत तथा मीडिया प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके शांतनु मुख्य रुप से प्रतिभागी थे। विशिष्ट पत्रकारों ने कहा कि कोविड काल में पत्रकारों की सेवा हमेशा के लिए याद की जायेगी।
इस मौके पर मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करुणा ने कहा, मीडिया शब्द ने अभी बहुत ही व्यापक स्वरूप धारण किया है। हम इतने सालों से सेवा कर रहे है मीडिया की तो वह हम ही लोग है इसलिए मै समझता हूं मीडिया सदा ही कोशीस करेगा कि देश पहले बाद में हम।
पत्रकार एनके सिंह ने कहा, आप देखते हो उससे सत्य कही दूर रहता है। उसको परखने के लिए हमे बहुत सावधानी से उस तरफ देखना पडेगा, हमारा उद्देश स्पष्ट रखना पडेगा और यह उद्देश आप मूल्यनिष्ठ, नैतिक होंगे और नई आयडियाज के लिए अपने को ओपन रखेंगे तो ही सामने आयेगा।
वर्तमान कोरोना काल में मूल्यनिष्ठ मीडिया पर आयोजित पत्रकारों के लिए वेबिनार एक नयी दिशा दे गया। इस परिचर्चा में शामिल बुद्धिजीवियों ने कहा, कि कोरोना काल में जिस तरह से मीडियाकर्मियों ने अपने जान की बाजी लगाकर लोगों तक सुचनाएं पहुंचायी हैं वह सराहनीय है। हालांकि इसमें बहुत सारे पत्रकार अपने जीवन की जंग भी हार गये।
राजस्थान विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो संजीव भानावत, पारुल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के डीन प्रो. रमेश रावत ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, कि कोरोना काल में पत्रकारों के बलिदान को भुलाया नही जा सकता है। इसलिए अपने जीवन से ज्यादा पत्रकारों ने अपने मिशन को तरजीह दी।
मीडियाकर्मियों को ऐसे मुश्किल हालातों से निपटने के लिए राजयोग ध्यान करने की भी सलाह दी गयी। इसके साथ ही कुछ समय के लिए राजयोग का अभ्यास भी कराया गया।

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