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परमात्मा की याद मे रहेंगे तो सब आपके मित्र बनते जायेंगे - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
परमात्मा की याद मे रहेंगे तो सब आपके मित्र बनते जायेंगे

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एनडीआरएफ पर्सोनेल के वेबिनार बीके स्वामीनाथन के विचार

शिव आमंत्रण, माउण्ट आबू। तनाव प्रबंधन जो वर्तमान समय में सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है उसे स्व जाग्रति से कैसे दूर करें इस पर खास जानकारियां देने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ के सिक्योरिटी सर्विस विंग द्वारा एनडीआरएफ पर्सोनेल के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट थू्र सेल्फ अवेयरनेस विषय पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें मुंबई से कॉरपोरेट ट्रेनर बीके ई वी स्वामीनाथन ने इस विषय पर खुल कर बात की।
इस मौके पर बीके ई वी स्वामीनाथन ने कहा, शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए जैसे आप व्यायाम करते है, अच्छा भोजन लेते है उसी तरह मनोबल को बढ़ाने के लिए अच्छा भोजन और सात्विक विचार चाहिए। उसके साथ साथ मन का व्यायाम भी जरूरी है। कर्म करते आत्मिक स्वरूप मे परमपिता परमात्मा की याद मे रहेंगे तो आपके जीवन मे कोई समस्या नही रहेगी, सब आपके मित्र बनते जायेंगे और जीवन खुशी से भर जायेगा।
इस वेबिनार के दूसरे दिन सेल्फ एंपावरमेंट विषय पर दिल्ली के जीबी पंत हॉस्पिटल से कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मोहित गुप्ता ने कहा, जैसे जैसे हम अपने अंदर की शक्ति को जनरेट करते है तो ऑटोमेटिकली आप पावरफुल बनते है। आप एकेक व्यक्ति केवल शारीरिक रूप से नही, आप के एकेक के संकल्प में इतनी शक्ति है कि परिवर्तन का एक सुंदर स्वरूप निर्माण कर सकते है।
तीसरे दिन लेफ्टिनेंट कर्नल विकास राव चौहान ने कहा, राजयोग का ज्ञान लेके मुझे इक्कीस साल हो गये। यह ज्ञान संपूर्ण है, बहुत ही गहरा है और बहुत ही सुलझा हुआ है। भगवान का यह ज्ञान ही सारे प्रश्रों का निवारण करता है, सारे कारणों को खतम् करता है। रूहानी नाते से हम सबका पिता है एक परमपिता परमात्मा। मै कौन और मेरा कौन यह सिर्फ दो बाते याद रखेंगे तो आपका जीवन खुशनुमा और शक्तिशाली बनेगा।
दिल्ली के द्वारका से-17 सेवाकेंद्र की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके कमला ने सुप्रिम सोर्स और मेडिटेशन विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा, कोई भी कार्य करते हुए अपने को बीच बीच में याद दिलाना कि मै कौन हूं। अपना सत्य स्वरूप क्या है? तो उससे आप को आत्मिक स्वरूप का अनुभव होगा, परमपिमा परमात्मा की याद आयेगी और शक्ति-खुशी प्राप्त होती रहेगी। दो प्रकार की कॉन्शसनेस होती है। एक होता है बॉडी कॉन्शसनेस और दुसरा होता है सोल कॉन्शसनेस। आज इन्सान बॉडी कॉन्शसनेस मे जादा रहते है। इसलिए कमजोर हो गए है। मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो गए है। उन्होने सहभागियों को सकारात्मक और खुशहाल जीवनशैली के लिए प्रोत्साहित किया।

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