सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
श्विक शिखर सम्मेलन का दूसरा दिन- वैश्विक शिखर सम्मेलन- शाम का सत्र (4 अक्टूबर) जब हम शांत होते हैं, तभी दूसरों के प्रति सहानुभूति और प्रेम का भाव रख सकते हैं: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आध्यात्मिक सशक्तिकरण से समाज बनेगा स्वस्थ और खुशहाल हमारी जिंदगी में आध्यात्मिक सशक्तिकरण बहुत जरूरी है: अभिनेत्री आस्था चौधरी वैश्विक शिखर सम्मेलन में देश-विदेश से जुटेंगी पांच हजार हस्तियां, राष्ट्रपति करेंगी उद्घाटन वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए एक पथ प्रदर्शक है मीडिया
असंभव को भी संभव कर सकती है ‘शांति की शक्ति’ - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
असंभव को भी संभव कर सकती है ‘शांति की शक्ति’

असंभव को भी संभव कर सकती है ‘शांति की शक्ति’

आध्यात्मिक

शिव आमंत्रण, आबू रोड (राजस्थान)। यह निराधार की साधना है, अभ्यास निराधार का करना है। जो हमने आधार बना रखे हैं, वह सभी आधार, जिस-जिस को हम अपना सपोर्ट समझते हैं, वह सभी एक मन की विचित्रता मात्र है। एक दिन सारे आधार गिर जाने हैं, यह यात्रा अकेले हो जाने की है। अकेली आत्मा उस अकेले परमात्मा की ओर चली जाए, यही यात्रा है। जो यात्रा कल हमने की है उस यात्रा को आज भूलना नहीं है, कल की यात्रा याद रखना और आज की यात्रा याद रखने से एक और एक ग्यारह हो जाएंगे। अखंड पवित्रता का व्रत धारण करना है। शरीर को देखते हैं तो शरीर की मेमोरी वापस आती है। आत्मा में देह की यादें हैं। बाबा कहते हैं- जो बच्चे अपने को ज्ञानी समझते थे परंतु ज्ञानी हैं नहीं, ज्ञान की सीढ़ी हमने जो चढ़ी है वह सिर्फ सूचना मात्र है। जानने से मुक्त होना है। अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। इस ज्ञान मार्ग में हमारी सबसे बड़ी बाधा ज्ञान ही है। ज्ञान अर्थात ज्ञान होने का भ्रम है। हमने जान लिया, समझ लिया, पता है यह अड़चन है। पहले मानें कि हमने अभी तक कुछ नहीं जाना है, तब यह यात्रा चालू होगी। अभी तक जो जाना, समझा है वह सिर्फ सूचना मात्र है। ज्ञान कोई सुनाए, हमें सिर्फ सुनना है, हमारी उत्सुकता सिर्फ ज्ञान लेने की और ज्ञान को धारण करने की रखना है। आध्यात्मिकता अर्थात ऊर्जा को बढ़ाना है। ऊर्जा के ऊपर कार्य करना है। शरीर और आत्मा के बीच एक शक्ति आती है उसका नाम प्राण है।
सबसे ज्यादा ऊर्जा कहां खर्च?
सबसे ज्यादा ऊर्जा बोलने में खर्च होती है। खाना पचाने में ऊर्जा खत्म होती है। व्यर्थ के चितंन में हमारी ऊर्जा नष्ट हो जाती है। ऊर्जा का शुद्धीकरण करना है। ऊर्जा को बदलना है, ट्रांसलेशन करना है। आज की मुरली का वरदान शांति की शक्ति सर्वश्रेष्ठ शक्ति है। सभी शक्तियां इसी शांति की शक्ति से निकली हैं। एक ही शक्ति है, एक ही दिव्य गुण है, एक ही सब्जेक्ट है। एक सब्जेक्ट ज्ञान है, ज्ञान ही योग है, योग ही धारणा है, धारणा ही सेवा है, अगर श्रीमत पर नहीं चलते तो धारणा हो नहीं सकती। सभी शक्तियां शांति की शक्ति से निकली हैं। साइंस की शक्ति भी शांति की शक्ति से निकली है। शांति की शक्ति असंभव को भी संभव कर सकती है। दुनिया कहती है कि परमात्मा हजारों सूर्य से तेजोमय है लेकिन आप अपने अनुभव से कहते हो कि परमात्मा हमारा बाप है। हमने परमात्मा, भगवान को पा लिया है। परमात्मा शांति का सागर है। जो जो हमें असंभव लगता है उसकी लिस्ट बनानी है।
प्राणिक लिविंग जीवन…
हमने आत्मा को जाना है, परमात्मा को जाना है, शरीर को भी जानते हैं। अब शरीर और आत्मा की बीच की शक्ति, ऊर्जा है, उस शक्ति पर कार्य करना है। उस प्राणिक लिविंग जीवन पर कार्य करना है। रोज नए 30 शब्दों को निकालना है। डिक्शनरी से निकालो, डिक्शनरी खरीदो। मन को नई-नई चीजें पसंद हैं, इसलिए नए-नए शब्द निकालने हैं। नए शब्दों से नई नवीनता आएगी। उन पर स्वमानों का अभ्यास करना है। योग में उन शब्दों का प्रयोग करना है। क्योंकि शब्दों में ऊर्जा है, शब्द बदलने से चेतना बदल जाती है। आज सारे दिन में 10 नए शब्द ढूंढ़ने हैं। मैं बलशाली हूं। मैं बलबीर हूं। मैं बलवान हूं। इन शब्दों को बदलने से आत्मा में, चेतना में शक्ति आ जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *