- फैमिलियरटी का बहुत खराब कीड़ा है जो नष्टोमोहा, सम्पूर्ण पावन बनने नहीं देता
शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। किसने पूछा तुम ब्रह्मा बाप को इतना प्यार क्यों करती हो? बाबा कितना हमको अपने पांव पर खड़ा करने के लिए निराधार बनाता है। गुप्त सहारा इतना देता है जो एक सेकंड भी नहीं छोड़ता है। हम थोड़ा दूर होते हैं तो युक्तियों से समीप बुला लेता है। अच्छा सोचने का तरीका सिखाता है। बुद्धि को चलाना, सिखाता है। हम बच्चे हैं, अभी भी हमारे बचपन के दिन भूल नहीं सकते हैं। पालना ही ऐसी मिली है जिससे हमारे ईश्वरीय संस्कार बन जाएं। पालना ऐसी है जो सब कर्मबन्धन से मुक्त कर देती है। बाबा ने कहा सेकंड में नष्टोमोहा हो सकते हैं, किसको अनुभव है? हमको यह अनुभव है, एक सेकंड में, एक मिनट भी नहीं लगा। लौकिक बाप खड़ा है, बाबा की दृष्टि मिलते ही आवाज निकला ‘तू मेरा है’। लौकिक बाप का अति प्यार, उसका अति मोह लेकिन हमारा मोह नहीं गया। मोह को छोड़ना सेकंड में बुद्धि का काम है। ब्रह्मा बाबा, शिवबाबा कुछ पता नहीं लेकिन ईश्वरीय आकर्षण ने अपने तरफ खींच लिया। उसका फायदा यह हुआ, लौकिक वा ईश्वरीय परिवार में किसी में मोह नहीं रहा। कोई छोड़कर आए लेकिन यहां फैमिलियरटी में आ जाए, यह बीमारी सुख से, शान्ति-प्रेम से जीने नहीं देती। सच्चा नष्टोमोहा बनने नहीं देती। मोह जीत बनने में फैमिलियरटी विघ्न डालती है। बात करने की खींच होगी, लेन-देन करने की, चीज़ देने लेने की बीमारी लग जाती है, यह कैंसर की बीमारी है। जैसे टीवी देखना टीबी की बीमारी है। अन्दर से सारी शक्ति खत्म कर देती है। फैमिलियरटी की बीमारी कैंसर की बीमारी है, लग गई तो बिरला कोई बचता है। सपूत औरसर्विसएबुल बनने में विघ्न डालने वाली यह बीमारी है। एक से छूटेंगे तो दूसरे तीसरे से लग जाएंगे। छोड़ेगी नहीं। अन्दर की यह कमजोरी है, कमजोर को इन्फेक्शन हो जाता है। बाबा भी भल उम्मीद रखे अभी ठीक है, लेकिन फिर आ जाती है। इसलिए बाबा ने इलाज सुनाया – एक ही बात मुझे अन्दर से मीठे बाबा की याद में रहना है और पवित्रता ऐसी धारण करनी है जो सत्यता को परखने की, सही रास्ते पर चलने की, परीक्षाओं को पार करने की शक्ति बाबा से खींच सकूं।
फैमिलियरटी से दूर रहें : फैमिलियरटी बाबा से शक्ति लेने से वंचित कर देती है, बीच में दीवार आ जाती है, देही-अभिमानी बनने नहीं देती। जिस घड़ी कोशिश करेंगे, अन्दर देह-अभिमान का कीड़ा है तो जहां रग होगी वहां बुद्धि जाएगी। जिगर से बाबा नहीं निकलेगा। शुक्रिया बाबा, मीठा बाबा.. बाबा ही सबकुछ देने वाला है। धन मेरे पास कुछ नहीं हो, परन्तु कभी ऐसा ख्याल नहीं आया होगा कि फलाना मुझे देने वाला है, उससे ले लूं। बाबा बैठा है, पता नहीं कैसे आ जाता है। कभी ख्याल ही नहीं चल सकता। साहूकारों को नशा होगा ‘मैं देता हूं, इसलिए बाबा को गरीब बच्चे प्यारे लगते हैं, बाबा गरीब निवाज है।
प्रकृति का मालिक हमारा बाप है : प्रकृति साथ तब देती है जब किसी भी प्रकार से हम अधीन नहीं हैं। प्रकृति के बिगर आत्मा पार्ट नहीं बजा सकती। पांच तत्वों की स्टेज है, पांच तत्वों के शरीर में आत्मा बैठी है लेकिन साथ दे। वह तब होगा जब आत्मा
को अन्दर से नशा हो कि इस प्रकृति का मालिक हमारा बाप है। इसको सतोप्रधान बनाने के लिए मैं बैठी हूं। जिस स्थान पर बैठी हूं उसमें भी अटैचमेंट न हो। सर्विस साथी भी मेरे नहीं हैं जो फैमिलियरटी हो। सर्विस में साथ दे रहे हैं तो उनका भाग्य है।