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विपरीत परिस्थितियों में बार्डर पर डटे रहना यही तो कर्मयोग है: केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री भट्‌ट - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
विपरीत परिस्थितियों में बार्डर पर डटे रहना यही तो कर्मयोग है: केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री भट्‌ट

विपरीत परिस्थितियों में बार्डर पर डटे रहना यही तो कर्मयोग है: केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री भट्‌ट

मुख्य समाचार
  • सुरक्षा सेवा प्रभाग का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू
  • भारत सरकार के रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्‌ट ने किया शुभारंभ

शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान ब्रह्माकुमारीज़ के आनंद सरोवर परिसर में आयोजित तीन दिवसीय सुरक्षा सेवा प्रभाग के राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ भारत सरकार के रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्‌ट, भारतीय नौसेना के पूर्व वाइस चीफ वाइस एडमिरल सतीश नामदेव घोरमाड और मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने किया। सम्मेलन में तीनों सेनाओं जल, थल और वायु सेना के अधिकारी और जवान भाग ले रहे हैं। इसके अलावा असम राईफल्स, नौसेना, सीमा सुरक्षा बल, सीआरपीएफ से भी अधिकारी पहुंचे हैं। सुबह-शाम मेडिटेशन सत्र का आयोजन किया जाएगा।
शुभारंभ पर रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्‌ट ने कहा कि सेना, अधिकारियों को आज योग की जरूरत है। योग से हमारा ध्यान लग जाता है। एकाग्रता बढ़ जाती है। ब्रह्माकुमारीज़ के सुरक्षा सेवा प्रभाग में ध्यान केंद्रित करने के लिए जो मेडिटेशन सिखाया जा रहा है उसका सभी लाभ लें। देश की सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी फोर्स को ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। योग से हमारा ध्यान केंद्रित होता है। ब्रह्माकुमारीज़ का ज्ञान, मेडिटेशन आज सेना के लिए बहुत जरूरी है। राजयोग से जीवन सफल होगा और हम अपना कार्य बेहतर तरीके से कर पाएंगे।

हमारा देश पहले वाला देश नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत की तीनों सेनाएं, जल, थल और वायु तीनों ही बहुत मजबूत हैं। आतंकवाद पूरी तरह से खात्मे की ओर बढ़ रहा है। हमारे जवान सरहद पर बिना थके दिन-रात देश की रक्षा करते हैं। विपरीत परिस्थितियों में बार्डर पर डटे रहना यही तो कर्मयोग है। हम यहां कर्मयोगी बनने आए हैं। तू लाख कमा ले हीरा मोती पर याद रखना कफन में जेब नहीं होती है। बड़े-बड़े योगी हैं, तपस्पी हैं लेकिन अंत में शरीर शांत होता है तो कहते हैं ओम शांति। लेकिन कर्मयोगियों का पुरुषार्थ सदा याद रखा जाता है। एक जसवंत सिंह सैनिक थे जिन्होंने अपने कर्म से सिखाया कि कैसे हम त्याग-तपस्या की मिसाल पेश कर सकते हैं। वहां जो भी जाता है वहां सेना पर्यटकों को नि:शुल्क भोजन, चाय-नाश्ता कराती है। एक दिन सभी को जाना है लेकिन कुछ ऐसा कर जाएं कि लोग याद रखें। अपना काम, अपना नेतृत्व खुद करिए। जो मुझे ड्यूटी मिली है उस पर हम न्यौछावर होते हैं इसलिए सेना के समर्पण को आज सभी याद करते हैं। देश में कई उदाहरण हैं जिन्होंने मिसाल पेश की है।

दादी से आशीर्वाद लेते हुए मंत्री भट्‌ट।

देश की सुरक्षा सुरक्षित हाथों में है-
रक्षा राज्यमंत्री भट्‌ट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब सेनाओं को दुश्मनों को जवाब देने की खुली छूट दी हुई है। तब से सेना का मनोबल काफी बढ़ा है। ऐसे में हमारे देश की सुरक्षा सुरक्षित हाथों में है। जी-20 देशों की अध्यक्षता के दौरान हमारे देश में पैदा होने वाले मोटे अन्न को लजीज व्यंजन बनाकर पूरी दुनिया के शीर्ष नेताओं को परोसा गया। पहले मोटा अनाज केवल गरीबों का भोजन हुआ करता था, लेकिन आज वह फाइव स्टार होटल में भी परोसा जाने लगा है। इससे भारत की संस्कृति और अध्यात्म का पूरी दुनिया ने लोहा माना है। खुश रहने का मंत्र है कि जिस हाल में प्रभु आपने रखा उस हाल में खुश रहिए। हम जहां जिस सेवा में, जो हमारी ड्यूटी हो उस पर पूरा ध्यान हो तब हम अपने कर्तव्य के साथ न्याय कर पाएंगे।

राजयोग से विकारों को जीतते हैं-
भारतीय नौसेना के पूर्व वाइस चीफ वाइस एडमिरल सतीश नामदेव घोरमाडे ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में राजयोग मेडिटेशन सीखने के बाद मेरी सोच बदल गई। वास्तव में राजयोग से हमारा माइंड पावरफुल बनता है और हम दुश्मन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। राजयोग से हमारे अंदर के विकारों पर विजय प्राप्त करते हैं। क्योंकि सबसे बड़ी चुनौती है खुद की कमजोरियों को जीतना, कमजोरी को ताकत बनाना। राजयोग से हम खुद को मानसिक रूप से ताकतवर बना सकते हैं। ब्रह्माकुमारीज़ में सारा कार्य ला एंड लव अर्थात प्रेम और नियम से किया जाता है। यहां बाहरी के साथ मन को स्वच्छ बनाने की शिक्षा दी जाती है। जैसे फोर्स में समय की पाबंदी की हम मिसाल देते हैं वैसे ही यहां भी विश्वभर के सेवाकेंद्रों पर एक ही दिनचर्या लागू रहती है। लाखों लोग इस दिनचर्या का पालन कर रहे हैं।

सम्मेलन में उपस्थित तीनों सेनाओं के अधिकारी व जवान

मेडिटेशन से बढ़ता है आत्मबल-
सुरक्षा सेवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजयोगिनी बीके शुक्ला दीदी ने कहा कि जब हमारा आत्मबल मजबूत होगा तो हम जो कर्म करेंगे वह पूरी एकाग्रता के साथ कर पाएंगे। आज के समय में सबसे जरूरी है खुद को नकारात्मक विचारों, हीन भावना, कमजोर संकल्प से सुरक्षित करना। नॉलेज एक पावर है। आध्यात्मिक ज्ञान से हमारा आत्मबल मजबूत होता है, मन शक्तिशाली होता है। मन के दूषित विकार, मनोभाव दूर हो जाते हैं। मेडिटेशन से माइंड की शक्ति बढ़ जाती है। मन शांत हो जाता है।

मैं आत्मा भी मास्टर सर्वशक्तिवान हूं…
मुंबई से आईं वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका दीपा दीदी ने कहा कि रोज सुबह उठते ही संकल्प करें मेरा जन्म महान कार्यों के लिए हुआ है। मेरे सिर पर सदा परमात्मा का वरदानी हाथ है इसलिए सफलता हुई पड़ी है। मैं भगवान का बच्चा हूं। सर्वशक्तिमान पिता परमेश्वर की संतान मैं आत्मा भी मास्टर सर्वशक्तिवान हूं। कर्नल सती ने कहा कि राजयोग मेडिटेशन को अपनाने के बाद मेरा जीवन बदल गया। आत्मबल बढ़ने के साथ एकाग्रता बढ़ गई। मन शांत हो गया। वास्तव में राजयोग से हमें जीवन जीने की कला मिलती है। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि परमात्मा हम सभी मनुष्य आत्माओं के पिता हैं। जब उनकी याद में रहेंगे तो आत्मा शक्ति का अनुभव करेगी। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

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