सच क्या है
भय, डर, फीयर। आज हर कोई किसी न किसी प्रकार के भय में जी रहा है।किसी को मृत्यु का भय है तो किसी को असफलता, निंदा, भविष्य, मान-सम्मान, करीबी रिश्ते खो जाने, अपमान, भूत-प्रेत फिर सबसे बड़ा भय है… ‘ लोग क्या कहेंगे ‘। इसे सामाजिक भय भी कह सकते हैं। अपने मन और विचारों […]
एक व्यक्ति जीवन से बहुत परेशान हो उठा। बहुत दु:खी, एक समस्या, दूसरी समस्या तीसरी समस्या, संसार, गृहस्थ, क्या करूं सोच रहा था। जहां देखो वहां कठिनाई, जहां देखो वहीं मुसीबतें। वो एक जैन गुरू के पास गया और आपबीती सुनाई। उस गुरू ने सारी बातें उसकी सुनी और उससे कहा एक गिलास पानी लेकर […]
स्वचिंतन, आत्मचिंतन, स्वनिरीक्षण। स्वचिंतन अर्थात् स्व+चिंतन। खुद (आत्मा) का चिंतन, मनन और अवलोकन। चिंतन की गहराई और एकात्मता जितनी सूक्ष्म होगी, विचारों रूपी अमृत उतना गहराई पूर्ण और अनुभव युक्त होगा। एकांत और एकाग्रता इसकी पहली शर्त है। आध्यात्म पथ के राही के लिए स्वचिंतन प्राणवायु की तरह है। कितने ही वेद, ग्रंथ, शास्त्रों का […]
शिव आमंत्रण आबू रोड। जीवन में जब कोई विशेष कार्य हवन-पूजन, आराधना, यज्ञ-जप-तप, ज्ञान-ध्यान की शुरुआत करते हैं तो तन-मन की पवित्रता पर विशेष जोर दिया जाता है। प्रकृति, पृथ्वी और आत्मा का मूल स्वरूप भी पवित्रता है। सात दिव्य गुणों में पवित्रता भी आत्मा का एक दिव्य गुण है। सृष्टि के आदि में प्रत्येक […]
सम्पत सिंह ने व्यापार में अच्छे पैसे कमाने के बाद फनवर्ल्ड के पास एक पाँच बीघा जमीन खरीदी, जिस पर एक दोमंजिला सुन्दर सा घर और चारों तरफ पेड़, पौधे और हरियाली रहने दी। उसमें सम्पत ने एक छोटा सा स्विमिंग पूल बनाया। स्विमिंग पूल के पास एक पचास साठ साल पुराना आम का पेड़ […]
मनुष्य में जो चेतना है वो अनेक गुणों और शक्तियों से भरपूर है । विज्ञान ने भी अपनी खोज में यह पाया है कि यह सारा संसार ऊर्जा के सुक्ष्म कणों से मिलकर बना है । ये कण अविनाशी और अनंत है, जो केवल अपना स्वरूप बदल सकते हैं परंतु नष्ट नहीं होते हैं । […]
सृष्टि चक्र में जो भी महान व्यक्तित्व हुए हैं वह कठिन परिस्थितियों, समस्याओं, वेदना, दु:ख और दर्द की पाठशाला से निकलकर व्यक्तित्व का विश्वविद्यालय बने हैं। उन्होंने दु:ख, तकलीफ और कठिन परिस्थितियों के बीच ही निराशा को आशा, हताशा को उमंग-उत्साह और प्रेरणा की ओर मोड़ दिया। वास्तव में यही वह दौर होता है जब […]
भगवान का स्वरूप सब धर्मों में एक ही है और वह है निराकार… शीख धर्म वाले उसको एकोहंकार कहते है, ख्रिश्चन धर्म वाले पॉईंट आफ लाइट कहते है तो मुस्लिम उसको नूर कहते है।उसके लिए भक्ति मार्ग में बहुत कुछ कहते है लेकिन समझते कुछ भी नही। मुख्य बात वह आत्मा का बाप है उसको […]
मै ही परमात्मा हूं बोलते हुए मैने कई लोगों को देखा है। उनके हर शब्द मे अहंकार पनपता है। जब खुद आत्मा हो यह इस दुनिया मे किसी को मालूम नही तो तुम परमात्मा तक पहुंच भी नही सकतेे। परमात्मा शिव तो एकही है और वह हम सब देहधारी आत्माओं का बाप है। यह जो […]
परमात्मा तो जानी-जाननहार है। वह हम सबकी कुंडली जानते हैं कि मेरा कौन बच्चा सहयोगी, योगी और योग्य है। सृष्टि परिवर्तन के इस यज्ञ में जिस दिन 9 वर्ष की कन्या ने अपना पहला कदम बढ़ाया तो ब्रह्मा बाबा को यह आभास हो गया था कि यह बच्ची एक दिन परमात्म संदेशवाहक बनकर लाखों लोगों […]
सब धर्मों के निराकार पिता परमपिता, परमात्मा शिव इस धरती पर कल्प में एक ही बार अवतरीत होते है लेकिन आत्माओं का और इस धरती का, प्रकृति का कल्पनातीत परिवर्तन करते है। वह निराकार, विदेही है पर एक ब्रह्मा के शरीर मे अवतरीत होने के बाद अपने सब बच्चों को शरीर में होते हुए आत्मिक […]
आप जब कभी मंदिर जाते है तो आपने दरवाजे पर घंटी या घंटे जरूर देखी होगी और ये प्रचलन पौराणिक काल से चला आ रहा है। इस घंटे या घंटी लगाने के पीछे न सिर्फ धार्मिक महत्व है बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। लेकिन ये महत्व क्या है वो बहुत काम लोग ही जानते है। […]