– 48वीं माइंड-बॉडी-मेडिसिन नेशनल कॉन्फ्रेंस जारी
– अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी दीदी ने मिरेकल्स इन हीलिंग पावर विषय पर किया संबोधित
शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। डॉक्टर्स का मरीजों के साथ किया गया स्नेहपूर्ण व्यवहार उन्हें दवा से भी ज्यादा असर करता है। क्योंकि आज ज्यादातर बीमारियों का कारण रिश्तों में प्यार-स्नेह की कमी, अपनेपन की कमी, दुख, दर्द और चिंता है। डॉक्टर द्वारा मरीज के लिए बोले गए मोटिवेशनल शब्द उसे जल्द ठीक होने में मिरेकल्स हीलिंग का काम करते हैं। इसलिए आप सभी की जिम्मेदारी है कि मरीजों से मिलते समय बहुत ही प्यार, खुशी और दयाभाव के साथ इलाज करें। क्योंकि मरीज पहले से ही शरीर और मन से बीमार है। ऐसे में आपका व्यवहार उसके मन पर छाप छोड़ देता है।
उक्त उद्गार अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी दीदी ने व्यक्त किए। मौका था ब्रह्माकुमारीज़ के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन परिसर में चल रही मेडिकल विंग की 48वीं माइंड-बॉडी-मेडिसिन नेशनल कॉन्फ्रेंस का।
मिरेकल्स इन हीलिंग विषय पर शिवानी दीदी ने कहा कि सतयुग में सभी दिव्य आत्माएं थीं। सर्वगुण संपन्न, सतोप्रधान अर्थात देने वाली, देवताई गुण थे। मैं आत्मा देने वाली थी। फिर त्रेतायुग में आने पर दो कलाएं कम हो गईं। द्वापरयुग में और कलाएं कम होने से मैं आत्मा मांगने वाली बन गई। कलियुग में पांच विकारों के वशीभूत होकर आत्मा खुद को मारने वाली बन गई। खुद को तनाव, दुख, चिंता, द्वेष, ईर्ष्या, नफरत से मार रहे हैं। परिणामस्वरूप आत्मा अपने मूल देवताई गुणों, शक्तियों, विशेषताओं को भूल गई है। अब फिर हमें आत्मा के सात दिव्य गुण- ज्ञान, शांति, प्रेम, पवित्रता, सुख, शक्ति और आनंद को जागृत करना है। खुद को आत्मा समझकर परमात्मा को याद करते हैं तो आत्मा की बैटरी चार्ज होने लगती है, पावर बढ़ जाती है। इसके लिए जरूरी है कि रोज सकारात्मकता बढ़ाने वालीं पुस्तकें या परमात्मा के महावाक्य पढ़ें।
शिवानी दीदी ने ये मंत्र बताए-
– अपनी व्यस्त दिनचर्या में से एक घंटा अपने लिए जरूर निकालें। मेडिटेशन करें। अपनी कमजोरी और ताकत को पहचानकर उसे लिखें। कमजोरी को दूर करने की कोशिश करें।
– व्रत अर्थात हमें रोज एक संकल्प लेना है कि आज हम इस बुरे विचार का व्रत करेंगे। आज एक अच्छे विचार के साथ पूरा दिन बिताएंगे।
– त्योहार हमें जीवन में सात्विकता अपनाने, कुछ अच्छा अपनाने और बुरी चीजों को छोड़ने की शिक्षा देते हैं।
– तीन महीने खुद पर प्रयोग करके देखें कि अन्न का मेरे मन पर क्या असर पड़ता है। तीन माह के लिए नॉनवेज छोड़कर खुद पर प्रयोग करें।
– दुआ, दवा से भी ज्यादा काम करती है। आपके पेशे में सबसे ज्यादा दुआ कमा सकते हैं तो इसके उलटा भी कमा सकते हैं।
आर्ट ऑफ हैपी लिविंग-
आर्ट ऑफ हैपी लिविंग विषय पर संबोधित करते हुए लंदन से आईं मोटिवेशनल स्पीकर बीके गोपी दीदी ने कहा कि खुशी हमारी मन की अवस्था है। ऐसी स्थिति बनाएं कि व्यक्ति है नहीं है, साधन है या नहीं है लेकिन खुशी न जाए। जब हम विवेक के आधार पर कर्म करते हैं तो खुशी मिलती है। विवेक को अपना दोस्त बना लें। जब विवेक की जागृति होती है तो खुशी के लिए निर्णय लेना आसान हो जाता है। जिसके जीवन में सत्यता है वह सदा अंदर से खुशी में नाचता रहेगा। जो लोग लोकलाज के कारण अंदर की आवाज को दबा देते हैं तो उनके जीवन में खुशी भी दूर हो जाती है। एक है खुद से खुश रहना, दूसरा है संबंध-संपर्क में खुश रहना और तीसरा है कामकाज से खुश रहना। जिसके जीवन में यह तीन प्रकार की खुशी रहती है तो जीवन एक कला बन जाता है। मोटिवेशनल स्पीकर ईवी गिरीश, डॉ. सतीश गुप्ता ने भी अपने विचार व्यक्त किए।