राजयोग ध्यान से कैसे माइंड पावर बढ़ जाती है और एकाग्रता की शक्ति का विकास होता है, इसकी मिसाल हैं जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा। मप्र के विदिशा जिले के गंजबासौदा में पदस्थ न्यायाधीश शर्मा ने आठ साल की अध्यात्मिक यात्रा में अनेक अनुभूतियां की हैं। राजयोग ध्यान की बदौलत उन्होंने मात्र पांच माह की तैयारी में ही जिला न्यायाधीश की परीक्षा उत्तीर्ण कर मिसाल पेश की है। शिव आमंत्रण से विशेष बातचीत में उन्होंने अध्यात्म से जुड़े अपने अनुभव सांझा किए।
स्वयं शिवबाबा ने मुझे चुना है…
मैं पिछले आठ वर्ष से निरंतर राजयोग का अभ्यास कर रहा हूं। इस ज्ञान के लिए स्वयं परमपिता परमात्मा शिवबाबा ने मुझे चुना। वर्ष 2007 तक ब्रह्माकुमारी संस्थान के बारे में मुझे कोई परिचय नहीं था और न ही मैंने कभी मेडिटेशन के बारे में सोचा था। वर्ष 2007 में इंदौर में व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 की परीक्षा पास करने के बाद सायंकाल के समय कॉलोनी में घूमने निकला था। इस दौरान रास्ते में एक मकान पर सहज राजयोग मेडिटेशन का बोर्ड लगा दिखाई दिया। इस पर मुझे उसके बारे में जानने की इच्छा उत्पन्न हुई। शाम को सेवाकेन्द्र पहुंचा, वहां निमित्त बहनों ने मेरा परिचय प्राप्त किया और सात दिवस के कोर्स के बारे में बताया। बहनों के मीठे और सरल व्यवहार को देखकर मन में संकल्प आया कि मुझे भी ऐसा ही बनना है। फिर मैंने सात दिवस का कोर्सकिया और राजयोग का प्रारंभिक परिचय प्राप्त किया। कुछ समय पश्चात मेरी पोस्टिंग आ जाने से ज्ञान को निरंतर नहीं कर सका, लेकिन मन ही मन खिंचाव शिवबाबा और उनसे मिलन के प्रति रहा। वर्ष 2015 में सागर जिले की खुरई तहसील में पदस्थापना होते ही पुनः सेवाकेन्द्र पर जाने का अवसर मिला। वहां सेवाकेंद्र प्रभारी बीके किरण बहनजी के मार्गदर्शन में माउंट आबू ज्ञान सरोवर में 10 जुलाई 2015 को जाने का अवसर मिला। वहां पहले दिन बीके ऊषा दीदी ने गीता का अाध्यात्मिक रहस्य पर क्लास कराई। साथ ही अन्य वरिष्ठ भाई-बहिनों की क्लास ने मन मोह लिया। सम्पूर्ण शिविर अटैंड किया। इतना प्यार और स्नेह मिला कि वहां से आने का मन ही नहीं था ।
ब्रह्ममुहूर्त में राजयोग ध्यान शुरू किया-
मैरे लौकिक घर में श्रीराम-जानकी, श्रीराधा- कृष्ण का मंदिर होने से भक्ति से अटूट रिश्ता था। शिविर के बाद जब ठीक से स्वयं एवं परमात्मा की पहचान मिली, तब यह निश्चय हुआ कि भक्ति का फल प्राप्त हो गया है। फिर प्रातः काल अमृतवेला (ब्रह्ममुहूर्त) में नियमित राजयोग ध्यान का अभ्यास शुरू किया। जब ज्ञान हुआ कि इस सृष्टि के बीज परमात्मा शिव से मिलन हो रहा है और अटूट सुख प्राप्त हो रहा है, तब कोई भौतिक क्रियाएं आदि करने की आवश्यकता ही नहीं रही है। इस तरह परमात्मा पर अटूट निश्चय और विश्वास बढ़ता गया। आज अमृतवेला 3 से 3.30 बजे उठकर नियमित रूप से राजयोग ध्यान करता हूं। राजयोग ध्यान में बाबा मुझे दिन-प्रतिदिन गहरे अनुभुव करा रहे हैं। मन को अपने मुताबिक मोड़ने की कला प्राप्त हुई है।
बापदादा से मिलन में शरीर का भान भूल गया-
इसके बाद बीके किरण बहन जी के मार्गदर्शन में संपूर्ण धारणाएं की और प्रथम बार अकेले और द्वितीय एवं तृतीय बार युगल एवं बच्चों सहित बापदादा से मिलन का सुख प्राप्त किया। द्वितीय बापदादा मिलन के समय पूर्ण अशरीरी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। घंटों तक देह का भान ही मिट गया। शरीर एक बर्फ की सफेद शिला के रूप में दिखाई दे रहा था। शरीर में आने पर यह महसूस हो रहा था कि क्या मैं इस धरती का ही निवासी हूं?
विद्यार्थियों के लिए चमत्कारिक है-
सन् 2017 में जिला न्यायाधीश की परीक्षा का विज्ञापन आया। राजयोग के अभ्यास द्वारा मात्र पांच माह की तैयारी में उक्त परीक्षा पास की। राजयोग द्वारा प्राप्त हुई एकाग्रता के कारण ही मेरे लिए यह संभव हो सका। उक्त परीक्षा के बाद मुझे शिव बाबा के सदा साथ और मदद करने का पूर्ण आभास और प्रगाढ़ निश्चय हुआ। मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि समस्त विद्यार्थियों के लिए राजयोग का अभ्यास चमत्कारिक परिणाम दिला सकता है।
पांडव भवन में शिव बाबा की उपस्थिति महसूस की-
वर्ष 2023 की जूरिस्ट कॉन्प्रेस में पुनः ज्ञान सरोवर आने का अवसर मिला। यहां मेडिटेशन में अनुभूति हुई कि शिव बाबा कह रहे हैं कि आत्मिक भाव को और बढ़ाओ। पांडव भवन में स्वतः ही परमधाम और स्वर्ग का अनुभव होता है। यहां अमृतवेला शिवबाबा और ब्रह्मा बाबा की उपस्थिति महसूस की। इस ज्ञान-योग की पढ़ाई में धर्मपत्नी श्रीमति दिव्या शर्मा का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ। वह भी कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। मैं यही सोचता हूं इस ज्ञान और अनुभव के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है। हर मनुष्य को इसे समझना और गहराई से अनुभव करना परम आवश्यक है, तभी जीवन का उद्देश्य सफल हो सकेगा। प्यारे शिबबाबा का मुझे ज्ञान प्रदान करने हेतु चुनने के लिए लाख-लाख शुक्रिया।