सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
सिरोही के 38 गांवों में चलाई जाएगी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल परियोजना व्यर्थ संकल्पों से अपनी एनर्जी को बचाएंगे तो लाइट रहेंगे: राजयोगिनी जयंती दीदी राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी ने किया हर्बल डिपार्टमेंट का शुभारंभ  मप्र-छग से आए दस हजार लोगों ने समाज से नशे को दूर करने का लिया संकल्प चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का समापन वैश्विक शिखर सम्मेलन (सुबह का सत्र) 6 अक्टूबर 2024 श्विक शिखर सम्मेलन का दूसरा दिन-
अगर अपनी कमी मिटानी है तो किसी की कमी नहीं देखो - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
अगर अपनी कमी मिटानी है तो किसी की कमी नहीं देखो

अगर अपनी कमी मिटानी है तो किसी की कमी नहीं देखो

आध्यात्मिक

शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। आत्म स्थिति में रहना, अपने को आत्मा समझ बाबा से शक्ति खींचना, देही अभिमानी बनना है। ज्ञान का सागर, प्रेम का सागर, शांति का सागर, सर्वशक्तिवान शिवबाबा है। मैं अपने को आत्मा समझकर बाबा से ऐसा संबंध जोडूं जो आत्म-स्थिति में रहने की शक्ति अंदर से अडोल बना दे। अडोल स्थिति कैसे बनी? कभी न चलायमान, न डोलायमान। इसके लिए चाहिए एकाग्रता की शक्ति। बाबा कहते हैं, बच्चे, तुम मास्टर सर्वशक्तिमान हो। वो तब समझेंगे जब स्मृति होगी मैं बाबा की बाबा मेरा। ऐसा महसूस करने से सुख मिलता इलाही है। जो मन, बुद्धि को अपने ऑर्डर में रखता है वो हमेशा खुश रहता है। योग में कर्मातीत, अव्यक्त, संपूर्ण-आप सब ही तो बनने वाले हो। दिन-प्रतिदिन न्यारे बनने से, बाबा का प्यार पाने से धरती पर पांव नहीं रहने चाहिए। फरिश्तों के पांव धरती पर नहीं रहते हैं। साकार में रहते भी अव्यक्त निराकारी रहते हैं। सर्वगुणों में संपन्न बनने के लिए, औरों को भी गुणवान बनने के लिए हम साथ दे रहे हैं। मेरे को तो भगवान ने जो
पार्ट दिया है, उसमें बहुत खुश हूं, मस्त योगी हूं, मस्त फकीर। कितना अच्छा पार्ट बाबा ने दिया है। हर एक का अच्छा पार्ट है। सबके पार्ट को साक्षी हो देखना, यह भी अच्छा है। सबके साथ मिलनसार होकर मिलकर रहना यह बहुत अच्छा पार्ट है। ऐसी कोई आत्मा न हो जो मैं कहूं, यह अच्छी नहीं है, यह सोचना भी नहीं है।

कभी भी कोई आपके चेहरे पर नाखुशी को ना देखे-

कभी भी स्वभाव परिवर्तन न हो। सदा ही क्वीन मदर की बात याद रखना – झुक-झुक, मर-मर, सीख-सीख। सुनने में भी ऐसी सीखने की भावना, स्नेह की भावना, सच्चाई की भावना हो जो हम सब एक के हैं, एक हैं। वन गॉड वन वर्ल्ड वन फैमिली हैं। इतना अंदर बुद्धि बेहद में रहे, खुश रहे। कभी भी कोई आपके चेहरे पर नाखुशी को ना देखे। सदा एक बाप दूसरा ना कोई। एक बाबा के सिवाय दूसरी कोई बात दिल में नहीं रखनी है। बाबा बैठा है, हम निश्चिंत हैं, कोई चिंता की बात नहीं है पर निश्चिंत भी तभी रहेंगे जब हमारे चिंतन में बाबा होगा। शुभ चिंतन होगा अपने लिए, शुभ चिंतक होंगे सबके लिए। पुरुषार्थ में, चाहे सेवा में, चाहे संबंध में, स्व सेवा संबंध तीनों ही श्रेष्ठ हों। जब हम ऐसी चलन चलते हैं, ऐसा भाग्य बनाते हैं, तो हमारे को देख औरों का भाग्य बन जाता है।

अपने को टीचर नहींं समझो, सेवा साथी हो-

ना किसी की कमी देखो, ना सुनो, ना मुख से वर्णन करो, यह थोड़ी भी आदत हो तो मिटा देना। कमी देखना, सुनना फिर मुख से बोलना- बड़ा नुकसानकारक है। अगर अपनी कमी मिटानी है तो किसी की कमी नहीं देखो। अपने को टीचर नहींं समझो, सेवा साथी हो। एक योग अपने लिए लगाते हैं जो कोई याद ना आए, दूसरा सेवा में योग लग जाता है। सेवा करते रहो कभी थकना नहीं है। थकते वो हैं जो आवाज में ज्यादा आते हैं। थकावट उनकी होती है जो देह अभिमान में आते हैं। बाबा की सेवा है, बाबा के बच्चों की सेवा है, हम सेवाधारी हैं, सच्चाई और प्रेम में थकावट नहीं होती है। योग और ज्ञान है तो ऑटोमेटिक देह संबंध से न्यारे और बाबा के प्यारे हो जाते हैं। ऐसी स्मृति अच्छी हो कि सब बाबा के प्यारे बच्चे हैं, भले हजारों बैठे हैं पर सब बाबा के बच्चे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *