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परमात्मा का लाइट के रूप में हुआ साक्षात्कार, मीट-चिकन छूटा - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
परमात्मा का लाइट के रूप में हुआ साक्षात्कार, मीट-चिकन छूटा

परमात्मा का लाइट के रूप में हुआ साक्षात्कार, मीट-चिकन छूटा

बातचीत सच क्या है
  • छत्तीसगढ़ रायपुर के मोहिबुल हुसैन ने राजयोग के प्रयोग से किए कई साक्षात्कार

शिव आमंत्रण, रायपुर (छग)। बचपन से ही मैं अल्लाह की बहुत इबादत करता था। साथ ही अल्लाह की सेवा में मस्जिद, दरगाह में अपना ज्यादा समय लगाता था। मेरा ख्वाब था कि जीवन में एक बार अल्लाह का दीदार करना है। इसके लिए मैंने काफी इबादत की। लेकिन मेरी तलाश पूरी नहीं हो सकी। लेकिन वर्ष 2013 में ब्रह्माकुमारीज़ में राजयोग कोर्स करने के बाद जब मेडिटेशन शुरू किया तो मुझे परमपिता शिव परमात्मा का लाइट के रूप में साक्षात्कार हुआ। मेरे जीवन की 42 साल से जारी तलाश पूरी हो गई। यह कहना है छत्तीसगढ़ रायपुर के मोहिबुल हुसैन का। हुसैन वर्ष 2013 में ब्रह्माकुमारीज़ के संपर्क में आए। आपके जीवन में आए सकारात्मक बदलाव आज अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बना हुआ है। मधुबन न्यूज से विशेष चर्चा में हुसैन ने बताया कि मैं ब्रह्माकुमारीज़ के एमजी रोड सेवाकेंद्र पर राजयोग सीखने के लिए गया। वहां तीन दिन गया लेकिन मुझे जीवन से जुड़े सभी प्रश्नों के जवाब नहीं मिले। इस पर वहां से कल्पना दीदी मुझे चौके कॉलोनी सेवाकेंद्र लेकर गईं। जहां ब्रह्माकुमारी दीदी ने सात दिन का कोर्स प्रारंभ किया। वहां कोर्स के दौरान दीदी ने कहा कि आप बाबा के कमरे में योग लगाइए।चूंकि इस्लाम में अल्लाह को नूरए-इलाही कहा गया है और किसी देहधारी की पूजा नहीं करते हैं। साकार में बैठ कर किसी को याद नहीं करते हैं। इसलिए मेरा मन इसे स्वीकार नहीं कर रहा था। इसके बाद भी मैंने निश्चय किया कि सात दिन का कोर्स पूरा करुंगा। ब्रह्माकुमारीज़ के ज्ञान को पूरा समझूंगा।

और निराकार लाइट की दुनिया में खो गया :- हुसैन ने बताया कि कोर्स के दौरान पांचवें दिन में ही मुझे सारा ज्ञान मिल गया, जिसे मैं इस्लाम में 42 साल से ढूंढ रहा था। कोर्स पूरा होने के बाद आठवें दिन मैं मुरली क्लास में बैठा। उस दिन बाबा को देखते-देखते एक अजीब सी दुनिया में खो गया। वहां मुझे अजीब शांति मिली। बाबा को देखने के बाद मैं एक लाल प्रकाश की
दुनिया में जाता था। वहां अकेला रहता था और जो शांति की अनुभूति होती थी उसे शब्दों में बया नहीं कर सकता। इस तरह मुझे कई बार शिव बाबा का लाइट के रूप में साक्षात्कार हुआ है।

अंतर्मन से आती थी आवाज… मैं 15 साल दस फीट के दहकते अंगारों पर चला। चाकू -ब्लेड से अपने शरीर को भी काटता था।लेकिन मेरी अंतर्रात्मा कहती थी कि इस ब्लड को किसी को दे दिया जाए तो किसी का जीवन बच सकता है। जब मैं मौलाना साहब से कहता था कि यदि हम ब्लड डोनेट करें तो किसी का जीवन बच जाए लेकिन वह मुझे डांटते थे कि इस्लाम में इस तरह की बातें नहीं करना नहीं तो इस्लाम से खारिज हो जाओगे।

शादी में चिकन देखते ही हीनभाव आया और छोड़ दिया :- कोर्स के दौरान पांचवे दिन एक सब्जेक्ट आया कि जैसा अन्न, वैसा मन, जैसा पानी वैसी वाणी। दीदी ने बताया कि आपको अंडा, मटन, मांस, मछली नहीं खाना है। खाने में शुद्धता लाइए, बहुत कुछ चैंजेस देखने को मिलगा। लेकिन यह बात आसानी से मेरे दिमाग में नहीं बैठी। इस पर मैंने गहन चिंतन किया। जब कोई गाली देता, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता तो मैं सोचता था कि क्या यह अन्न का प्रभाव है। एक दिन दोस्त की शादी में गया। वहां चिकन देखते ही मन में अजीब सा हीन भाव आया। दूसरे दिन अन्न की शुद्धि पर मुरली चली। इस पर मैंने सबसे पहले बिरयानी का त्याग किया और बाद में अंडा, मीट, मटन सब छोड़ दिया।

योग में बाबा ने दी प्याज लहसुन छोड़ने की प्रेरणा :- जब मैंने मीट-मटन छोड़ दिया था। लेकिन प्याज-लहसुन खाता था। इस पर फिर दीदी ने कहा कि बाबा के बच्चे प्याज-लहसुन नहीं खाते हैं। इस पर मैंने अमृतवेला योग में बाबा से पूछा कि बाबा ये चीजें खाने के लिए आप क्यों मना करते हैं तो बाबा ने जवाब दिया कि बच्चे इन्हें खाने से शरीर में गर्मी आती है, इंद्रियां चलायमान-चंचल होती हैं तो इसमें मनुष्य दो तरह से विकर्म करता है। पहला क्रोध, गुस्सा के रूप में और दूसरा है काम वासना की तरफ प्रेरित होता है। इसलिए बाबा, बच्चों को इन्हें खाने के लिए मना करते हैं। क्योंकि देवी-देवताओं को शुद्ध-सात्विक अन्न का ही भोग लगाया जाता है। फिर एक साल के अंदर पूरी तरह से प्लाज लहसुन का त्याग कर दिया। मैं अपने जीवन और अनुभव से कह सकता हूं कि ब्रह्माकुमारीज़ में दिया जा रहा आत्मा- परमात्मा का ज्ञान स्पष्ट और सत्य है। राजयोग ही वह जरिया है जिसके द्वारा हम परमात्मा से मिलन मना सकते हैं।

दस साल के योगाभ्यास में कई बार हुए साक्षात्कार :- मुझे ज्ञान में चलते एक साल ही हुआ था कि मन में तीव्र संकल्प आया कि मुझे बाबा का साक्षात्कार करना है। हम दूर-दूर तक नहीं सोच सकते कि बाबा को देख सकते हैं। इस पर मुझे योग में प्रेरणा मिली कि रात में दो बजे उठकर आपको बाबा से रुहरिहान करना होगा। लगातार छह महीने तक रात में दो बजे से योग करना
शुरू किया। इसके बाद एक दिन मुझे बाबा की लाइट का दिव्य साक्षात्कार हुआ। सफेद रोशनी दिखी। फरिश्ता स्वरूप में ब्रह्मा बाबा दिखे। सबसे बड़ी बात मैं जो भी सवाल बाबा से करता था तो वह बात दूसरे दिन मुरली में आ जाती थी। तो कहीं न कहीं मुझे लगता था कि मैं अल्लाह, शिव बाबा के बहुत करीब हूं। मैं 2014 से नियमित अमृतवेला 3-4 बजे उठकर योग करता हूं। दस साल के योगाभ्यास में मुझे कई बार परमात्मा का लाइट के रूप में साक्षात्कार हुआ। कभी ब्रह्मा बाबा फरिश्ते के रूप में दिखे।

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