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योग में पांच स्वरूप का अभ्यास जरूर करें - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
योग में पांच स्वरूप का अभ्यास जरूर करें

योग में पांच स्वरूप का अभ्यास जरूर करें

आध्यात्मिक
  • शिव बाबा कहते हैं स्वदर्शन चक्रधारी होने से पाप भी कटेंगे।

हम सभी ने बाबा की मुरलीयों में सुना है। स्वदर्शनचक्रघुमाने से तुम्हारे पाप कट जायेंगे। मनमनाभव होने से पाप कटेंगे। बीजरूप से पाप कटेंगे। तो स्वदर्शनचक्रधारी होने से भी पाप कटेंगे। तो पांचों स्वरूपों का अभ्यास स्वदर्शनचक्र का अभ्यास है। रोज सुबह यदि उठकर पांच स्वरूपों का अभ्यास पांच बार कर लिया जाये तो सभी समस्याएं समाप्त हो जायेंगी। याद कर लें अनादि स्वरूप निराकार आत्मा, दूसरा आदि स्वरूप देव स्वरूप, तीसरा पूज्य स्वरूप, ब्राह्मण स्वरूप और फरिश्ता स्वरूप। हर एक के साथ हम थोड़ी-थोड़ी कमेन्ट्री दें अपने को, बड़ी कमेन्ट्री भी दी जा सकती है। खुद को पहले छोटी से शुरू करें। तीन-तीन सेकेण्ड, फिर पांच-पांच सेकण्ड और फिर दसदस सेकण्ड। मैं आत्मा हूं मुझसे चारों ओर किरणें फैल रही है शान्ति की, तीन सेकण्ड के लिए देखें इसको। मैं देवता हूं सतयुग में डबल ताजधारी। देव युग में ले चलें अपने को तीन सेकण्ड के लिए। मैं इष्ट देव मैं इष्ट देवी मन्दिर में हूं। ये बहुत अच्छा स्वरूप है। मेरे सामने हजारों भक्त और मैं अपनी दृष्टि से, हाथ से सभी को शान्ति के वायब्रेशन्स दे रही हूं। बहुत अच्छा अनुभव होगा। चौथा ब्राह्मण स्वरूप के लिए हमें किसी न किसी स्वमान में स्थित होना है। मैं आपको बहुत सिम्पल सी बात बता रहा हूं कि हम लोगों ने पिछले एक मास में इसका बहुत अभ्यास किया। सवेरे उठते ही आप पहला संकल्प कर लें कि बाबा मेरा सद्गुरू है। और सद्गुरू ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख दिया।सद्गुरू का वरदानी हाथ आ गया मेरे सिर पर और उसके हाथ से निकलने लगी रंग बिरंगी किरणें जो हमारे सारे शरीर में फैलने लगी है। एक मिनट तक ले आओं अपने को इस स्वरूप में। सर्वशक्तिमान की शक्तियां ब्रह्मा बाबा के सूक्ष्म शरीर द्वारा आत्मा में और हमारे पूरे शरीर में फैलने लगी है। ब्राह्मण स्वरूप का ये अभ्यास करें। फिर मैं फरिश्ता हूँ लाईट के शरीर में हूँ। इसको रिपीट करें। दूसरी बार करें। तीसरी बार करें। चौथी बार, 5वी बार। एकाग्रता बहुत अच्छी हो जायेगी। नींद सवेरे आती है ओ समाप्त हो जायेगी। और योग करने को मन करेगा। परमधाम की स्थिति जिसको बीजरूप ज्वाला स्वरूप कहते हैं। पावरफूल मुक्त स्थिति कहते हैं। बन्धनों से मुक्त। मैं आत्मा परमधाम में हूँ बाबा के साथ बस बाबा की किरणें मुझमें समा रहीं है। इसके अलावा ज्यादा संकल्प नहीं किरणें लेते रहना। संकल्प हमारे तब शांत हो जाते हैं जब हमारी बुद्धि स्थिर हो जाती है। बुद्धि से हम विजुअलाईज कर रहे हैं। सर्वशक्तिमान की किरणें आ रही है। मन शान्त हो जायेगा। उतना ही योग शक्तिशाली होगा। मन में ज्यादा संकल्प होंगे योग कम शक्तिशाली होगा। ये परमधाम की स्थिति अभ्यास के द्वारा प्राप्त हो जाती है। जैसे-जैसे इसका अभ्यास करेंगे वैस-वैसे ज्यादा से ज्यादा समय हम परमधाम में बाबा के साथ रहने का अनुभव कर सकेंगे। इसके अलावा एक दूसरी स्थिति बहुत अच्छी है। आप ऐसा अभ्यास करें। मैं फरिश्ता ग्लोब के ऊपर बैठा हूँ। धरती के गोले के ऊपर सर्वशक्तिमान बाबा मेरे सिर के ऊपर छत्र है। उसकी किरणें मुझमें समा रही है। कुछ देर अपने को इस स्थिति में स्थित करेंगे। फिर वे किरणें मुझसे चारों ओर फैल रही है। सारे विश्व में पहुंच रही है। कमजोर आत्माओं को बाबा की पावरफूल शक्तियां मिल रही है। थोड़ी-थोड़ी देर ऐसा अभ्यास करेंगे। एक-एक मिनट करना चाहिए फिर तीन मिनट फिर पांच मिनट। जब आपको एक घण्टा योग में बैठना हो तो भिन्न-भिन्न तरह का अभ्यास करें। दूसरा योग का अभ्यास बिल्कुल सरल हो और भी अपने को एक संकल्प देंगे। मैं मास्टर ज्ञानसूर्य हूँ और ज्ञानसूर्य शिव बाबा की किरणें मुझ पर आ चारों ओर फैल रही है। इस स्थिति के बारे में बाबा के बहुत ही शक्तिशाली महावाक्य हैं। शक्तिशाली महावाक्य का अर्थ है ज्ञानसूर्य से शक्तियों की किरणें लेकर सारे संसार में फैलाना बाकि सभी कार्य निमित्त मात्र है। ज्ञानसूर्य की इन किरणों से माया के किटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसे हम याद करेंगे।

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