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डायबिटीज़ और कर्मठ जीवन - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
डायबिटीज़ और कर्मठ जीवन

डायबिटीज़ और कर्मठ जीवन

अलविदा-डायबिटीज़

शिव आमंत्रण, आबुरोड। जीवन में स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम का जितना महत्त्व है, प्रतिदिन स्वयं को कर्मठ रखना भी उतना ही आवश्यक है। अनियमित दिनचर्या और भोजन से आज अधिकांश लोग मोटापा का शिकार बन चुके हैं जो की अनेकानेक बीमारियों की जननी है। अधिकतर विकसित राष्ट्रों मेंं जैसे कि अमेंरिका मेंं 60 प्रतिशत से भी ज़्यादा लोग मोटापा के शिकार हैं। आजकल हमारे बच्चे भी मोटे होने लगे हैं। जबकि किशोर अवस्था मेंं खेल कूद कर सभी को फिट रहना चाहिए। इसलिए छोटे-छोटे बच्चे भी टाइप टू डायबिटीज़ के शिकार होने लगे हैं। किशोर अवस्था मेंं मोटापा समाज के लिए एक गंभीर समस्या है। कुछ लोग इसके लिए सचेतन भी हो गए हैं, एवं अनेकानेक शहरों मेंं जगह-जगह मेंं जिम् खाने, वेलनेस सेंटर आदि देखने के लिए भी मिल रहे हैं। बहुत लोगों मेंं नियमित एक्सरसाइज करने के लिए भी प्रेरणा तो जागृत हो गयी है। नियमित रूप से एक्सरसाइज करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। परंतु दिन में एक या आधा घंटे थोड़ा सा एक्सरसाइज कर लेना, फिर सारे दिन कम्प्यूटर के सामने व टीवी के सामने बैठे रहना यह कितना स्वास्थ्यकारी है। वैज्ञानिक रिसर्च द्वारा यह देखा गया है कि लंबे समय तक बैठे रहना स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। जो दिन मेंं तीन चार घंटे से अधिक समय लगातार बैठे रहते हैं उनमेंं डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि ज़्यादा देखने मेंं आ रहा है। एक्सरसाइज तो नियमित करना ही है। यह हमारी दिनचर्या का एक अंग हो जाना चाहिए। सवेरे या शाम किसी भी समय पर एक आधा घंटा समय निर्धारित कर नियमित एक्सरसाइज करें, जिसमेंं चारों ही-एरोबिक (कार्डियो के लिए), एनोरोविक(शरीर को मजबूत बनाने के लिए), लचीलापन और सांस लेने का सब कुछ समाहित हो तो बहुत ही अच्छा होगा। परन्तु फिर सारे दिन मेंं भी हमेंं कर्मठ रहना आवयशक है। इसके लिए निम्नलिखित बातों पर हमेंं अवश्य ही ध्यान देना पड़ेगा।
1) जहां भी लिफ़्ट की व्यवस्था के साथ सीढ़ी है, जितना हो सके हम सीढ़ी का उपयोग करें, ना की लिफ्ट का। परंतु अगर ज़्यादा मंजि़ल चढऩा है तो कम से कम एक दो मंजि़ल सीढ़ी मेंं चढ़ें फिर लिफ्ट का सहारा लें।
२) लंबे समय तक बैठ कर कार्य नहीं करें। हर घंटे मेंं ५ मिनट के लिए भी जरूर उठें और थोड़ा सा टहलकर फिर बैठें।
3) बैठ कर टीवी देखना अवॉइड करें। कार्य करते चलते-फिरते भले देखें।
4) जितना हो सके अपने घर का काम स्वयं ही करें जैसे झाड़ू पोछां, कपड़े साफ़ करना, खाना बनाना, प्रेस करना, बर्तन सफ़ाई करना आदि-आदि। इससे बचत भी होगी तथा स्वयं का स्वास्थ्य भी अच्छा होगा।
5) घर मेंं बगीचों को पानी देना, उन्हें अच्छे तरह से देख रेख का कार्य भी ख़ुद करें। किसी दूसरे से बागवानी ना करवायें। अगर जगह है तो किचन गार्डन बनाएं और स्वयं ही इसका ध्यान रखें। इससे पेस्टीसाइड (किटाणु मारने की दवाई), कैमिकल से भी बचेंगे, भोजन भी स्वादिष्ट होगा।
6) मार्केटिंग करने के लिए स्वयं जाएं। नज़दीक हैं तो गाड़ी, मोटर का सहारा न लें। हाथ से सामान उठाकर लाएं।
7) स्कूल अगर ज़्यादा दूर नहीं है तो बच्चों को छोडऩे के लिए वा लाने के लिए पैदल साथ दें। इससे बच्चे भी स्वस्थ रहेंगे।
8) हॉलिडे मेंं घर की पूरी सफ़ाई सभी परिवार के सदस्य मिलकर करें। बच्चे को भी साथ लें ताकि उनके भी संस्कार अच्छे होंगें।
9) ऑफि़स का कार्य भी जितना हो सके स्वयं करें। दूसरों की सहायता कम से कम लेें। ऑफि़स को भी अपने घर समान स्वच्छ तथा व्यवस्थित रखें। सभी को सहयोग दें इससे वातावरण शक्तिशाली होगी तनाव मुक्त रहेंगे।
10) ऑफि़स ज़्यादा दूर नहीं है तो पैदल जाएं या साईकिल का उपयोग करें। बस मेंं जाना पड़ता है तो एक स्टॉप पहले उतर जाए। कार दूर पार्किंग करें व पैदल जाएं।

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