एक धर्मात्मा ने जंगल मेंं एक सुंदर मकान बनाया और उद्यान लगाया, ताकि उधर आने वाले उसमेंं ठहरें और विश्राम करें। समय- समय पर अनेक लोग आते और ठहरते। दरबान हरेक आने वाले से पूछता, आपको यहां कैसा लगा। बताइए मालिक ने इसे किन लोगों के लिए बनाया है। आने वाले अपनी-अपनी दृष्टि से उसका उद्देश्य बताते रहे। चोरों ने कहा- एकांत मेंं सुस्ताने, योजना बनाने, हथियार जमा करने और माल का बंटवारा करने के लिए। व्यभिचारियों ने कहा- बिना किसी रोक-टोक और खटके के स्वेच्छाचारिता बरतने के लिए। जुआरियों ने कहा-जुआ खेलने और लोगों की आंखों से बचे रहने के लिए। कलाकारों ने कहा, एकांत का लाभ लेकर एकाग्रता पूर्वक कला का अभ्यास करने के लिए। संतो ने कहा-शांत वातावरण मेंं भजन करने और ब्रह्मलीन होने के लिए। कुछ विद्यार्थी आए, उनने कहा- शांत वातावरण मेंं विद्या अध्ययन ठीक प्रकार होता है। हर आने वाला अपने दृष्टिकोण द्वारा अपने कार्यों की जानकारी देता गया। दरबान ने निष्कर्ष निकाला- जिसका जैसा दृष्टिकोण होता है, वैसा ही उसका व्यक्तित्व और नजरिया होता है।

दृष्टिकोण व्यक्तित्व का आइना
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