सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
थॉट लैब से कर रहे सकारात्मक संकल्पों का सृजन नकारात्मक विचारों से मन की सुरक्षा करना बहुत जरूरी: बीके सुदेश दीदी यहां हृदय रोगियों को कहा जाता है दिलवाले आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ समाज थीम पर होंगे आयोजन ब्रह्माकुमारीज संस्था के अंतराष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू दादी को डॉ अब्दुल कलाम वल्र्ड पीस तथा महाकरूणा अवार्ड का अवार्ड एक-दूसरे को लगाएं प्रेम, खुशी, शांति और आनंद का रंग: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी
हर बुराई में अच्छाई खोज सकते हैं……… - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
हर बुराई में अच्छाई खोज सकते हैं………

हर बुराई में अच्छाई खोज सकते हैं………

बोध कथा

एक शिष्य अपने गुरु से सप्ताह भर की छुट्टी लेकर अपने गांव जा रहा था। तब गांव पैदल ही जाना पड़ता था। जाते समय रास्ते में उसे एक कुआं दिखाई दिया। शिष्य प्यासा था, इसलिए उसने कुएं से पानी निकाला और अपना गला तर किया। शिष्य को अद्भुत तृप्ति मिली, क्योंकि कुएं का जल बेहद मीठा और ठंडा था। शिष्य ने सोचा – क्यों ना यहां का जल गुरुजी के लिए भी ले चलूं। उसने अपनी मशक भरी और वापस आश्रम की ओर चल पड़ा। वह आश्रम पहुंचा और गुरुजी को सारी बात बताई। गुरुजी ने शिष्य से मशक लेकर जल पिया और संतुष्टि महसूस की। उन्होंने शिष्य से कहा- वाकई जल तो गंगाजल के समान है। शिष्य को खुशी हुई। गुरुजी से इस तरह की प्रशंसा सुनकर शिष्य आज्ञा लेकर अपने गांव चला गया। कुछ ही देर में आश्रम में रहने वाला एक दूसरा शिष्य गुरुजी के पास पहुंचा और उसने भी वह जल पीने की इच्छा जताई। गुरुजी ने मशक शिष्य को दी। शिष्य ने जैसे ही घूंट भरा, उसने पानी बाहर कुल्ला कर दिया। शिष्य बोला- गुरुजी इस पानी में तो कड़वापन है और न ही यह जल शीतल है। आपने बेकार ही उस शिष्य की इतनी प्रशंसा की। गुरुजी बोले- बेटा, मिठास और शीतलता इस जल में नहीं है तो क्या हुआ। इसे लाने वाले के मन में तो है। जब उस शिष्य ने जल पिया होगा तो उसके मन में मेरे लिए प्रेम उमड़ा। यही बात महत्वपूर्ण है। मुझे भी इस मशक का जल तुम्हारी तरह ठीक नहीं लगा। पर मैं यह कहकर उसका मन दुखी करना नहीं चाहता था। हो सकता है जब जल मशक में भरा गया, तब वह शीतल हो और मशक के साफ न होने पर यहां तक आते-आते यह जल वैसा नहीं रहा, पर इससे लाने वाले के मन का प्रेम तो कम नहीं होता है ना।

संदेश: दूसरों के मन को दुखी करने वाली बातों को टाला जा सकता है और हर बुराई में अच्छाई खोजी जा सकती है। जब हम बुराई में भी अच्छाई खोजने लगते हैं तो हमारा नजरिया और दृष्टिकोण चीजों और जीवन के प्रति सकारात्मक हो जाता है। मन शक्तिशाली हो जाता है। जीवन में आने वाली कठिन से कठिन परिस्थिति आसान हो जाती है। जीवन में आनंद ही आनंद हो जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *