शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। जो बहुत ज्यादा विस्तार से बातें करता है, वह क्या कहना चाहते हैं कि यह व्यक्ति बात का बतंगड़ बनाके कहीं हमें फंसा न दे। कई बार तो छोटी सी बात का पहाड़ बना दिया जाता है। जबकि अब समय अनुसार पहाड़ जैसी बातों को राई समान बनाना है न कि राई का पहाड़। कई लोग बातों को बहुत चटपटी बनाकर दूसरों के आगे पेश करते हैं और उसे सुनने में लोग अपना समय और शक्ति नष्ट करते हैं। ऐसा वही करते हैं जिनको किसी तरह अपना मतलब सिद्ध करना
होता है या लोभ वश कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। कहने का भाव कि जब व्यक्ति अंदर से भरपूर होता है तो वह धैर्यवान गंभीर अंतर्मुखी और न्यारा रहता है। इसलिए कभी किसी भी परिस्थिति में फंसता नहीं है। दुनिया में लोग भी अक्सर वाचाल व्यक्ति को ही किसी-न-किसी बात के जाल में फंसाकर उसका फायदा उठाते या अपना दोष उन पर डाल देते हैं। इसी प्रकार मानव में जब लोभ वृत्ति अधिक हावी हो जाती है, तब वह अपने विस्तार को संकीर्ण नहीं कर सकता। इसलिए इन अष्ट शक्तियों में विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति’ आज के युग में महत्वपूर्ण है। इसको धारण करने के लिए अंतर्मुखता और न्यारा बनने की आवश्यकता है। इससे हम लोभ रूपी शत्रु पर विजयी हो सकते हैं। समेटने की शक्ति के लिए व्यर्थ को समाप्त कर बुद्धि को सशक्त कर समर्थ बनाना है।
ये दुनिया एक मुसाफिर खाना है-
इस दुनिया में मनुष्यों ने अपने लिए बहुत सा पसारा डाल रखा है। भौतिक सुख-सुविधाओं के संग्रह की उसकी ऐसी लालसा रहती है कि मानो इस दुनिया से उसे जाना ही नहीं है। कहने में तो वह कहता है कि यह दुनिया एक सराय है या मुसाफिर खाना है। परन्तु जीवन में समय प्रति समय कुछ कार्यों को या बातों को समेटते भी जाना है, यह बात वह भूल जाता है। वास्तव में जीवन के व्यावहारिक और आध्यात्मिक दोनों पहलुओं में समेटने की शक्ति की बहुत आवश्यक्ता है। चाहे वह व्यक्ति एक छोटे से परिवार का कर्ताधर्ता हो या कोई छोटे-बड़े व्यापार का मालिक हो।कोई छोटे-बड़े मंदिर अथवा आश्रम का मुखिया हो। परन्तु सभी जगह समेटने की शक्ति का यथार्थ उपयोग न होने के कारण व्यक्ति अपने पीछे अनेक प्रकार की समस्याएं औरों के लिए छोड़ जाता है। इसलिए देखा गया है कि कई बड़े-बड़े घरों में इसी कारण कई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। समेटने की शक्ति को धारण करने के लिए दो बातों को सदा स्मृति में रखना आवश्यक है।
जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा अच्छा ही होगा…
पहली बात, जब भी जीवन में कोई परिस्थिति या समस्या आ जाए तो व्यर्थ संकल्प चलाने के बजाय हमेशा यह याद रहे कि जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा ही हो रहा है और जो होने वाला है वह भी अच्छा ही होगा। इस सकारात्मक मन स्थिति से अच्छाई नज़र आने लगेगी। यह भी याद रखें कि यह दिन भी बीत जाएंगे। तो बातों को या संकल्पों को फुलस्टॉप लगाना या समेटना आसान हो जाएगा। दूसरी बात यह स्मृति में रहे कि यह दुनिया एक मुसाफिरखाना है और हम इस दुनिया में मुसाफिर हैं या मेहमान हैं तो कोई भी चीज में आसक्ति नहीं होगी और हमेशा यह याद रहेगा कि हम जीवन यात्रा पर हैं।