अनिल विग जो एचसीएल कंपनी में उच्च प्रबंधक थे उनका मानना है कि परमात्मा पर निश्चय रखने से हमारा काम तो होता ही है। जब हम ये सोच लेते हैं कि ये नहीं होगा तो वह प्रकंपन पहले ही पहुंचकर वह कार्य नहीं होने देते। जब सोच सकारात्मक होगी तो वैसा होना ही है। राजयोग के अभ्यास से नामुमकिन को भी मुमकिन करने की शक्ति मिलती है। राजयोग एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमार विचारों की सर्जरी कर देता है।
शिव आमंत्रण आबू रोड। जीवन कैसा भी हो परन्तु यदि उसे सही दिशा में मोड़ा जाए तो वह सही पटरी पर दौडऩे लगता है। इसके लिए चाहिए कि वह अपने जीवन रूपी गाड़ी में कैसा विचारों और कर्म रूपी पेट्रोल का इस्तेमाल करता है। एचसीएल जैसी बड़ी कंपनी में प्रबंधक रहे दिल्ली के अनिल विग का जीवन लोगों के लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने जीवन में जैसे ही ज्ञान-योग का पेट्रोल भरा पूरा जीवन बदल गया। प्रस्तुत है शिव आमंत्रण से विशेष बातचीत।
मेडिटेशन सिखाता है मैनेजमेंट
मैं ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान से पिछले ११ साल से जुड़ा हुआ हूँ। सन् 2008 में जब हम बीके शिवानी दीदी का प्रोग्राम देख रहे था तो ऐसा लगा कि ये सारी बातें हमारे ही जीवन और परिवार से संबंधित हैं। उन्हीं पर वो चर्चा कर रही थीं तो एकदम दिल को छू गया। जैसे-ऑफिस, संबन्धों में मधुरता और बाहर में कैसे अपना बैलेंस बनाना है? लव और लॉ का बैलेंस कैसे रखना है? ये सारी चीजें सीखी। इससे पहले हमने अंदर की शक्ति के बारे में कभी नहीं जाना। लेकिन यहां पर हमें अपने आप को सेल्फ एम्पावर करने का जो ज्ञान मिला और इस ज्ञान को देखते हुए हमें जिज्ञासा हुई कि ये हमें जब टीवी पर इतना अच्छा लग रहा है तो क्यों ना हम इसके सोर्स में जाएं और जो सेन्टर है वहां पर हम इस राजयोग का क्यों न ठीक ढंग से कोर्स करें और फिर इसका अभ्यास भी करें। फिर हमने अपने नजदीक में मंडावली सेंटर पर गए। वहां ब्रह्माकुमारी दीदी ने हमें इसके बारे में समझाया। जैसे ही मैंने सेन्टर में प्रवेश किया तो वहां के बाइव्रेशन शक्तिशाली लगे और मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हुआ। हम सपरिवार ही वहां गए थे। मेरी धर्मपत्नी नीलम विग सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत है, साथ में बेटा अभिनव और बेटी रितिका। सात दिन के कोर्स के दौरान सेंटर इंचार्ज सुनीता दीदी ने न केवल हमारे समय के हिसाब से कोर्स कराया बल्कि हमें बहुत सहयोग भी किया।
मेरे अंदर के बदलाव को लोगों ने भी देखा
सात दिन के कोर्स के दौरान रोज-रोज नई-नई चीजें पता चल रही थीं। जैसे आत्मा क्या है? शिव और शंकर में अंतर, 84 जन्मों की कहानी और भी नई-नई बातों के बारे में। कैसे हम आत्मा की शक्तियों को जागृत करें? आहिस्ते-आहिस्ते हमने कोर्स पूरा किया और उसके बाद मुरली (आध्यात्मिक सत्संग) शुरू की। मुरली सुनते-सुनते हमारे जीवन और व्यक्तित्व में बहुत बदलाव आया। जिसे देख कर आसपास, ऑफिस के लोग और परिवार के सदस्यों ने कहा कि आप में कुछ बदलाव आ रहा है। खान-पान भी धीरे धीरे सात्विक हो गया। हर समय जो भारीपन महसूस करते थे जिससे कुछ भी ठीक नहीं कर पाते थे। जिसके कारण गड़बड़ भी होती और बिल्कुल ही थका-थका सा महसूस करते थे लेकिन यहां पर आने के बाद राजयोग के अभ्यास से जीवन जीने की कला सीख ली। इसके बाद और भी गुण धारण होते रहे। जीवन में निर्भयता आ गई। पहले भय लगता था परिवार ठीक-ठाक रहे। अपने अंदर ऐसा महसूस होने लगा कि कोई शक्ति है जो हमारे अंदर जागृत हो गई है और इससे जीवन में नेगेटीविटी भी चली गई। पहले सोचते थे पता नहीं ये काम होगा या नहीं और अब महसूस होता है सब कुछ हुआ पड़ा है।
सबने कहा आज तो ये काम नहीं हो सकता
कुछ वर्ष पूर्व की बात है। मकान की रजिस्ट्री होनी थी, उसमें माताजी, एक भाई जो केरल से दिल्ली आया था और दूसरा भाई उत्तरांचल से एक दिन के लिए आया था। उसी दिन काम होना था तो निश्चित समय पर हम सभी डॉक्यूमेंट तैयार कर कोर्ट पहुंच ही रहे थे कि सुबह 11:30 बजे वकील का कोर्ट से फोन आया कि आज कम्प्यूटर में कुछ खराबी आ गई है, इसलिए काम नहीं हो पाएगा। कल ही काम हो पाएगा। पर मुझे ये आज ही करना था क्योंकि मेरे भाई बाहर से आए हुए थे। इसलिए हम और दूसरी पार्टी सब चाहते थे कि ये काम आज ही हो जाए। वकील के फोन आने के बाद उसी समय मैंने परमात्मा को याद किया कि बाबा अभी आपको ही ये देखना है आपही का मैं बच्चा हूँ। आप का ही ये काम है। इस तरह से मुझे अंदर से आवाज आई कि ये काम बस हुआ ही पड़ा है। लेकिन उस समय सब लोग ये कह रहे थे कि ये काम नहीं हो सकता।
स्वयं परमात्मा ने की हमारी मदद
मैं निराश नहीं हुआ हर कोई कह रहा था कि काम नहीं होगा। पर अन्दर से मुझे भरोसा था कि निश्चिततौर पर काम होगा। एक डिप्टी कमिश्नर हैं जो साकेत कोर्ट में बैठते है। उनका एक दिन पहले का भी ये एक्सपीरिएंस है कि एक मंत्री पंजाब से आए थे तो वो थोड़ा लेट हो गए। इस पर डिप्टी कमिश्नर ने मंत्री को भी साफ मना कर दिया था कि हम अपने कोर्ट को एक्स्ट्रा टाइम में नहीं खोलेंगे। मैंने उन लोगों से कहा कि आ रहा हूं। आप सब लोग वहीं रहें। फिर मैं कोर्ट पहुंचा तो वहां काफी भीड़ थी और लोगों का काम नहीं होने से वह नारे भी लगा रहे थे। तो मुझसे कहा कि अब आप कैसे करेंगे? मैंने कहा कि मुझे कमिश्नर से मिलना है। अपने भाई और वकील के साथ वहां गया और परमात्मा को याद करके बोला बाबा आपको सब कुछ करना है मेरी अर्जी है, आपकी मर्जी है। मुझे पूरा यकीन था कि ये काम परमात्मा अवश्य करवाएंगे। मैंने उनके स्टाफ को अपने मिलने की स्लिप दी। उस समय बड़े अधिकारी भोजन कर रहे थे। उन्होंने भोजन के बाद मुझे बुलाया और पूछा कि आपका क्या काम है तो मैंने उन्हें अपनी सारी स्थिति बताई और कहा कि आप इस काम को आज ही कर दीजिए। अचानक उन्होंने मुझे देखा पता नहीं उन्हें कौन सी चीज का आभास हुआ और उन्होंने अपने स्टाफ को बुलाया और दो लाइन की एक चिट्ठी लिखवाई और वो चिट्टी मेरे हाथ में दे दी और मुझे कहा आप कोर्ट में जाइए और लंच के बाद आप का काम स्पेशल होगा। आपको कोई परेशानी हो तो मुझे कॉल कर देना। हम कोर्ट में पहुंचे तो कोर्ट का स्टाफ भी अचंभे में रह गया कि ऐसा कैसे हो गया और मुझे तो पता था कि बाबा मेरे साथ है तो बाकी जो मेरे परिवार वाले थे, वकील था, दूसरी पार्टी थी सब हैरान थे कि ये कैसे हो गया? ये कौन सी शक्ति थी जिसने ये सब करवा दिया तो कोर्ट ने हमें पूरा सपोर्ट किया। हमारा पूरा काम किया और 1 घंटे में सबकुछ करके हमें फारिग कर दिया।
मेडिटेशन से आती है कार्यकुशलता
ये ज्ञान मिलने के पहले हम अपनी जिंदगी को सिर्फ मैनेज कर रहे थे। मैनेजमेंट में रोज ऊपर नीचे चलता ही रहता था और भय जैसी कई चीजों का अहसास रहता था और कार्य कुशलता में भी कमी आती थी। परिवार के अंदर संबंधों में भी आती थी। इससे हमारी लाइफ का बैलेंस नहीं हो पाता था। ये ज्ञान लॉजिक सहित है जिससे हमारी बुद्धि खुलती है जिससे नए-नए प्रयोग होते हैं। इसलिए अपनी जिंदगी को बैलेंस बनाकर चलाने और निर्भय होकर जीने के लिए सभी लोगों को ये ज्ञान जीवन में अपनाना चाहिए। राजयोग के अभ्यास से नामुमकिन को भी मुमकिन करने की शक्ति मिलती है। मेरा मानना है कि राजयोग के अभ्यास से विचारों की सर्जरी हो जाती है। हर एक संकल्प सकारात्मकता में बदल जाता है और कार्यकुशलता में भी बढ़ोतरी होती है।
ब्रह्माकुमारीज़ धर्म-पंथ से अलग है
जहां धर्म सिर्फ एक पंथ और एक ही दिशा में चलते हैं वहीं ब्रह्माकुमारी कोई पंथ नहीं है। ये जैसे दुनिया में यूनिवर्सिटी है उसी तरह सब यहां पर लॉजिकल ज्ञान है। यहां पर व्यक्ति का व्यक्तित्व निखारा जाता है। उसे जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। मेरा अनुभव कहता है कि “ईश्वर हमारे साथ है तो डरने की क्या बात है” इसलिए उस परमात्मा पर संपूर्ण निश्चय कर जीवन को सफल बनाएं। वर्तमान में आप लोधी रोड सेवाकेंद्र पर रोजाना मुरली क्लास करते हैं।