सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ समाज थीम पर होंगे आयोजन ब्रह्माकुमारीज संस्था के अंतराष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू दादी को डॉ अब्दुल कलाम वल्र्ड पीस तथा महाकरूणा अवार्ड का अवार्ड एक-दूसरे को लगाएं प्रेम, खुशी, शांति और आनंद का रंग: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी इस विद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक की साक्षी रही हूं: दादी रतनमोहिनी दूसरों की जिन्दगी बचााने के लिए 512 यूनिट रक्तदान ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र से रोज बनेगी 500 यूनिट बिजली
राजयोग संसार की सबसे गुह्यतम विद्याओं में से एक है - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
राजयोग संसार की सबसे गुह्यतम विद्याओं में से एक है

राजयोग संसार की सबसे गुह्यतम विद्याओं में से एक है

समस्या-समाधान

अनुभव ही योग में सबसे बड़ा गाइड
राजयोग संसार की सबसे गुह्य विद्या है। जिसमें अगर कोई मनुष्य परफेक्ट हो जाए तो उसे संसार की और विद्यायें प्राप्त करने की आवश्यकताएं न रहें। योग की सूक्ष्मता को कोई भी मनुष्य अपने अनुभवों से ही जाना सकता है। अनुभव ही इस सबजेक्ट में सबसे अच्छे गाइड हैं। यूं तो हम जानते हैं कि योग की परिभाषा भगवान ने एक ही लाईन में दे दी कि अपने को आत्मा समझ मुझ परमात्मा बाप को याद करो। परन्तु इसमें अति गुह्यता भी है। क्योंकि जिस चीज का महत्व मालूम होता है उस चीज को हम वैल्यु देते हैं। उसके बारे में हम दृढ़ता पूर्वक पुरूषार्थ करते हैं।
योग का सकाश सबसे बड़ा सहयोग
यदि हमारे शरीर में कोई बीमारी लग जाये और हमें महसूस हो जाये कि ये बीमारी हमें बहुत कष्ट देती है तो हम उस बीमारी को ठीक करने में पूरा जोर लगा देते हैं। इसी तरह योग के बारे में भी दो बातें जो कि साकार मुरलीयों के महावाक्य हैं दोनों जो बच्चे मुझे आठ घण्टा रोज याद करते हैं। वो मेरे सबसे अधिक सहयोगी हैं। जब तुम योगयुक्त होते हो तो विश्व मेें शांति की किरणें फैलती है। तो बहुत बड़ा सहयोग इस संसार को बदलने में हमारी योगबल का है। और हम बाबा के बहुत सहयोगी है। जिन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। जिन्होंने अपना सबकुछ तन-मन-धन परमात्मा कार्यों में लगा दिया। वही सबसे बड़ा सहयोगी होगें। योग का सकास सबसे बड़ा सहयोग है।
योग से प्रकृति पवित्र बन जाती है
योग अङ्गिन से ही बुराई विनाश की अङ्गिन प्रगट होती है। संसार का शुद्धिकरण होता है। प्रकृति पवित्र बनती है। हम दो मोटी चीजों को देखें प्रकृति में, हवा कितनी दूषित है। न जाने हवा के माध्यम से हमारे शरीर में हम सांस लेते हैं। हमारे शरीर में क्या-क्या जा रहा है। बीमारीयां फैल रही है। आकाश का यदि चित्र खींचा जाए किसी सूक्ष्म माइक्रोस्कोप से तो दिखाई देगा आकाश में गंदगी के सिवाय कुछ नहीं है। तीसरी चीज को भी आप जानते हैं पानी। आज अनेक बीमारीयां दूषित पानी के कारण हो रही है। जो बहुतों को पता नहीं होता। इन तीनों चीजों का प्युरिफिकेशन विनाश काल में हो जायेगा। जिसमें बहुत बड़ी भूमिका होगी हमारी योगबल की। तो हमें श्रेष्ठ योगी बनना है।
अपने संकल्पों से एक-दूसरेको सुख देना होगा
सभी अपने-अपने घरों को भी निर्विघन बनाएं। बाबा का एक संकल्प है। वहीं संकल्प हम सबका भी हो जाये। विनाशकाल में इस संसार में इतनी दु:ख, अशांति होगी कि कोई साधन मनुष्य को शांत नहीं कर पायेगा। दवाईयां, डॉक्टर्स, धन-सम्पत्ति, खान-पीना। मनुष्य के दु:खों को समाप्त नहीं कर पायेगा। ऐसे में हमारे सभी स्थान सभी के घर ऐसे सुन्दर तीर्थ बन जाएं। किसी को अशांति हो उसे पता हो इनके घर में जाकर पन्द्रह मिनट बैठ जाएं चित्त शांत हो जाएगा। हमारे दु:ख समाप्त हो जाए। ये होने वाला है। और ये सब काम हमें ही करना है। क्योंकि हमारे वायब्रेशन से स्थान के वायब्रेशन को बदलते हैं। हमें बहुत ज्ञान सुनाने की जरूरत नहीं होगी बल्कि हमारी दृष्टि से अपने स्थानों को ऐसा पावरफूल बनाकर अपने श्रेष्ठ भावनाओं से अपनी संकल्पों से हमें दूसरों को सुख देना होगा।
लोग स्वीकार करेंगे दुनिया रहने लायक नहीं रही
संसार की स्थिति दिन प्रतिदिन दैनिय होती जा रही है। अब मानसिक रोग बढ़ रहें हैं। डिप्रेशन बड़ रहें हैं। नींद की समस्या बढ़ रही हैं। शारीरिक रोग बढ़ रहेंं हैं। भयानक स्थिति होती जा रही हैं। और ऐसा प्रतित हो रहा हैं कि और आने वाले पाँच साल में संसार का हाल और बेहाल हो जायेगा। भगवान का महावाक्य है कि जब संसार का हर व्यक्ति पुकार उठेगा कि हे प्रभु! ये संसार रहने लायक नहीं रहा इसे नष्टकर दो। तब फाइनल विनाश होगा नहीं तो लोग कहेंगे कि इतनी अच्छि दुनिया हे भगवान! तूने खत्म कर दी। जब सभी स्वीकार कर लेंगे कि ये दुनिया रहने लायक नहीं बची है। तो कोई किसी पर दोष नहीं दे पायेगा। भगवान को भी नहीं कह पायेगा कि तुमने ये क्या कर दिया। सबके मन से एक ही आवाज निकलेगी। बहुत अच्छा किया तुमने। तो हमें योगबल को बढ़ाना हैं। योगबल संसार का सबसे बड़ा बल। जिसके पास योगबल होगा। आने वाले समय में वहीं विश्व की स्टेज पर होंगे। आने वाले समय में उन आत्माओं के द्वारा सेवाएं होंगी जो अपने को सर्व खजानों से भरपूर किया होगा। ज्ञान लम्बा-चौड़ा सुनाने का मौका नहीं होगा। लोग सुन नहीं पायेंगे। या घर बैठे टीवी से सुन लिया करेंगे। हम योगबल और सर्व खजानों से सम्पन्न स्थिति के द्वारा आत्माओंं की सेवा करेंगे। तो स्वयं का योगबल बढ़ाना है। तो संकल्प करें। गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बहुत सारी बातें सुनाकर कहा कि तू योगी बन। योगी ही संसार में सर्वश्रेष्ठ है। योगी तपस्वीयों से भी श्रेष्ठ हैं।

तपस्या और योग में क्या अंतर है

अब हम जानते हैं तपस्या तो लोग भी बहुत करते हैं। संन्यासी साधक। हमारा योग आर्थात् परमपिता परमात्मा शिव बाबा से कनेक्शन सर्वशक्तिमान से संबंध तो योगी जीवन बनाने के लिए हमें किन-किन चीजों की आवश्यकता है। अगर सवेरे हमारा योग बहुत अच्छा होगा तो सारा दिन हम योगी आत्मा को आकर्षित करेगा। सारा दिन हम योगयुक्त और अंतर्मुखी होगें तो सवेरे हमारा अमृतवेला का योग बहुत अच्छा होगा। इन दोनों का बहुत गहरा कनेक्शन है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *