ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में विश्व मृदा दिवस पर ‘स्वस्थ धरा-खेत हरा’ विषय पर वेबिनार का आयोजन
शिव आमंत्रण, बिलासपुर। ‘‘विश्व मृदा दिवस के अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा टिकरापारा सेवाकेन्द्र में आज ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर ‘स्वस्थ धरा, खेत हरा’ प्रोजेक्ट लाया गया। आज इसी विषय पर वेबिनार आयोजित था जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में बिलासपुर क्षेत्र के सांसद भ्राता अरूण साव जी ने दिल्ली से ही ऑनलाइन अपनी शुभकामनाएं व प्रेरणाएं दी। विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदौर से पधारे गो ऑर्गेनिक अभियान प्रमुख भ्राता गगन अवस्थी व बलौदा क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भ्राता सुरेश साहू ने भी अपने विचार दिए। गौरी बहन ने तेरी मिट्टी में मिल जांवा, गुल बनके मैं खिल जावां….गीत पर नृत्य प्रस्तुत कर धरती माता के प्रति सबके मन में भावनाएं उत्पन्न कर दीं।
बिलासपुर क्षेत्र के सांसद भ्राता अरूण साव ने कहा कि हमारी मिट्टी में विभिन्न रासायनिक तत्व व अनेक जीव-जंतुओं का वास होता है जो हमारी मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हैं। परन्तु पिछले कुछ समय से रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से इन जीवों की संख्या में कमी आने लगी और मिट्टी की उर्वरता नष्ट होती गई। पुनः धरती की उर्वरता बढ़ाने के लिए हमें रासायनिक खादों का प्रयोग नियंत्रित व कम मात्रा में करके हमें जैविक अर्थात् गोबर व वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग को बढ़ावा देना होगा। इसी के लिए यूएनओ व फूड एण्ड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ने 5 दिसम्बर को विश्व मृदा दिवस घोषित किया।
टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि हम सभी के जीवन में चार मां आती है एक हमें जन्म देने वाली मां जो हमारी प्रथम गुरू हैं। दूसरी हैं धरती मां…जो हमे हमेशा देती ही रहती हैं इन दोनों का ऋण नहीं चुकाया जा सकता। तीसरे हैं महात्मा और चौथे हैं परमात्मा। परमात्मा ने जब इस संसार को रचा तब प्रकृति के पांचों तत्व सतोप्रधान थे। तब कहते थे कि जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा वो भारत देश है मेरा…। लेकिन आज कहते हैं देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई है भगवान। अब कलयुग अंत में परमात्मा अवतरित होकर पुनः हमें यही शिक्षा दे रहे हैं कि प्रकृति के पांचों तत्वों को सतोप्रधान बनाना तुम्हारा ही कर्तव्य है। इसलिए परमात्मा को भ ग व् आ न भी कहते हैं। जो यह दर्शाता है कि जो भूमि, गगन, वायु, अग्नि और नीर ये सभी पांच तत्वों के रचयिता हैं। इन्हें पावन बनाने के लिए हमारे मन की स्वच्छता जरूरी है।
