सुंदर संकल्प से सुंदर भविष्य का निर्माण…
हमारे संकल्प ऊर्जा का निर्माण करते हैं। जो हम सोचते हैं उसी प्रकार की ऊर्जा का निर्माण होता है। अत: हमें सुंदर और सकारात्मक संकल्पों की रचना करनी चाहिए। सुंदर विचार ही जीवन को सुंदर बनाएंगे। इस प्रकार सोच को बदलने से जीवन में परिवर्तन आने लगता है। अत: खुशी देने वाले संकल्पों को रचने से जीवन खुशनुमा हो जाता है। सुबह उठते ही पहले 10 मिनट तक इन संकल्पों को रिवाइज करो कि मैं बहुत भाग्यवान आत्मा हूं। मैं बहुत सुखी हूं, मेरा भविष्य बहुत सुंदर है। सुबह-सुबह इन संकल्पों को दोहराने से दिन अच्छा व्यतीत होगा। भाग्य साथ देने लगेगा और जीवन खुशनुमा हो जाएगा। राजयोग के प्रयोग की विधि से समस्याओं का हल निकालना और बीमारियों को ठीक करने का प्रयास करना है। हम कलयुग के अंत में पहुंच गए हैं। इस समय नकारात्मकता की सुनामी चल रही है। इससे बचने के लिए हमेशा स्वमान में रहें। ऐसा करने से निराशा अवसाद से बचा जा सकता है और जीवन में खुशी भी रहेगी। हमें प्रतिदिन पुण्य का काम कर दुआएं लेनी चाहिए। पाप कर्म शांति को छीन लेते हैं। पुण्यों से आत्मा हल्की हो जाती है। हमें लोगों को सुख देकर उनसे दुआएं लेनी चाहिए जो दुआएं मुसीबत के समय में हमारी रक्षा करती हैं।
ब्रेन में छुपे हुए पापकर्म एक्टिव होकर सोने नहीं देते
कार्य व्यवहार में छोटी-छोटी बातों केकारण लोग अपनी शांति को भंग कर लेते हैं। तनाव-ग्रसित होकर दूसरों को भी तनाव के घेरे में बांध ले रहे हैं। खुद से पूछो कि अपनी शांति, खुशी की कीमत ज्यादा या उन बातों की। उत्तर तो स्पष्ट है। मुझे लोग बताते हैं- साढ़े दस बजे नींद आ रही थी चले सोने के लिए। जब बिस्तर पर गए बिल्कु ल फ्रेश। चार बज गए नींद ही नहीं आ रही अभी तक। क्या हुआ, नींद तो आ रही थी तब? मनुष्य केब्रेन की जो नेचुरल गति है वो सोने केसमय सुलाना चाहती है लेकिन बेड पर जाते ही ब्रेन में छुपे हुए पापकर्म एक्टिव हो फ्रेश होकर सोने नहीं दे रहे हैं। फिर दिन भर आलस्य-सुस्ती बनी रहती है। कोई भी कार्य सही तरीके से नहीं हो पाता है। इससे फिर तनाव, डिप्रेशन बना रहता है।
जैसा विचार दूसरों को देंगे, वैसा ही लौटकर आएगा…
जो हम दूसरों को देेंगे, वो डबल होकर हमारे पास आ जाएगा। यह कर्म सिद्धांत है, इसको भूलना नहीं चाहिए। इसलिए जो श्रेष्ठ विचार आपको चाहिए, वही औरों को देते चलें। भक्ति में इसका स्थूल रूप कर लिया। बर्तन दान कर दो, बर्तन आएंगे। अनाज दान कर दो, अन्न आएगा। धन दान करो, धन आएगा। लेकिन हमें क्या करना है अब। सुख दो तो सुख डबल होकर आपके पास आएगा। दूसरों को प्यार दो तो आपकेऊपर प्यार कि बरसात होने लगेगी। जरूरतमंदों की मदद करो तो हजारों कदम आपकी ओर बढ़ चलेंगे। संसार में कोई कितना भी धन इक्कठा कर सोचे-मैं अकेला जीऊंगा नहीं जी सकता। इसलिए एक-दूसरे का मददगार बनो तो मदद मिलती रहेगी।
धैर्यता और सकारात्मकता के हथियार से विजय सुनिश्चित
वर्तमान में प्रत्येक घर-परिवार में दिन-प्रतिदिन समस्याएं बढ़ती जा रहीं हैं। हर एक व्यक्ति किसी न किसी समस्या में घिरा हुआ है। ऐसे में मानसिक रूप से दृढ़ होना बहुत ही आवश्यक है। कठिन से कठिन परिस्थितियों को राजयोग का अयास आसान कर देता है। चाहे युद्ध जैसी स्थिति हो धैर्यता और सकारात्मकता के हथियार से विजय सुनिश्चित आपकी ही होगी। राजयोग के अयास से हमारे जीवन में सद्गुणों का प्रादुर्भाव होता है। भय एवं तनाव दूर रहते हैं। इससे निर्णय शक्ति बढ़ती है। मनुष्य का चिंतन सकारात्मक हो तो बीमारियां भी दूर भाग जाती हैं। राजयोग के अयास से आत्मा में व्याप्त दु:ख और अशांति के मूल कारण काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि दूर होते हैं और मनुष्य के कर्मों में दिव्यता एवं कुशलता आती है।
छोटी आयु के बच्चों में भी दिखते भयानक रोग
आजकल डिप्रेशन छोटी आयु के बच्चों, युवकों मे भी दिख रहा है। जन्म लिया बच्चा डायबिटिक पेसेंट है। पांच साल की लडक़ी को कैंसर डिटैक्ट हुआ। सारे डॉक्टर्स की टीम भी हैरानी से सोच रही है कि इतने छोटे आयु में कैंसर क्यों? मुझसे पूछा गया। मैंने कहा आप लोग इसका उत्तर नहीं जान सकते क्योंकि मेडिकल साइंस यहां तक नहीं पहुंचती है। इसका उत्तर सिर्फ स्प्रीचुअल सांइस केपास है।
दुआएं हमारी मुसीबत के समय रक्षा करती हैं
September 15, 2020 समस्या-समाधानखबरें और भी