अलीराजपुर में दुआओं द्वारा दवा कार्यक्रम का उद्घाटन
शिव आमंत्रण, अलीराजपुर। वर्तमान समय प्राकृतिक बीमारियां व पूर्व जन्म के किए कर्म के गलत परिणामों का कष्टदायी फल मानव जीवन में दिन प्रतिदिन दुख-अशांति-तनाव-निराशा-डिप्रेशन, जैसे घातक बीमारियों का प्रकोप सारे विश्व में बढ़ता ही जा रहा है। अब क्या होगा, कल क्या होगा जैसे विचारों ने जीवन का असली आनंद, गहरी निद्रा का सुख छीन लिया है। जीवन के चारों ओर काले बादल छा गए है। कोरोना जैसी घातक तक बीमारी ने तो जनमानस के अंतर्मन में मौत का खौफ बिठा दिया है। हमें मालूम होना चाहिए कि वर्तमान समय ऐसे विश्व व्यापी रोग क्यों फैल रहे है। इसका साफ कारण है इस तमोगुणी सृष्टि का अंत का काल चल रहा है। जैसे प्रभात काल आने का समय होता है तो घोर अंधेरी रात स्वत: ही प्रस्थान कर लेती है। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता बीके नारायण ने महात्मा गांधी मार्ग पर स्थित ब्रह्माकुमारी सभागृह में दुआओं के द्वारा बीमारियां व समस्याओं का निदान कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किये।
उन्होने बताया, कि वर्तमान समय की कई घातक बीमारियों में आधुनिक मेडिकल साइंस फेल होती जा रही है। इन रोगों का स्थाई समाधान किसी के पास नहीं है अगर है तो वह शांति की शक्ति, योग शक्ति, दुआओं के बल में है। कहां जाता है जहां दवा कार्य नहीं करती वहां दुआएं कार्य करती है। ऐसा ही साहसिक कार्य ब्रह्माकुमारी के माध्यम से जनमानस की निशुल्क सेवा हेतू दुआओं व शुभकामनाओं द्वारा मानसिक रोग व समस्याओं के निवारण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। अपना नाम, बीमारी, समस्या का नाम, शहर, अपना 7470869292 इस नंबर पर भेज कर अपनी समस्या का निराकरण कर सकते हैं। इसके दुआओं का संपूर्ण फायदा लेने के लिए अपनी दवाइयां भी जारी रखें। इस अवसर पर विधायक नागर सिंह चौहान ने कहा, कि मानव का असली धर्म है मानव की सेवा करना। यह सब धर्मों का सार है। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि मानव जीवन की दुख, तकलीफों को हम कैसे कम कर सके। इसके लिए ब्रह्माकुमारी का वर्तमान माहोल में उठाया गया साहसिक प्रयास शहर वासियों के लिये ऐतिहासिक सौगात है।
बीके माधुरी ने दुआ द्वारा रोगों पर विजय की मेडिटेशन कॉमेंट्री द्वारा डेमो प्रस्तुत किया। उन्होंने सर्व मेहमानों का स्वागत किया।
डॉ. कन्हैया लाल पोरवाल ने बताया, कि बीमारियों के दिन प्रतिदिन ग्राफ बढऩे में मानव के कर्म जिम्मेवार है। अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाकर बीमारियों के भार से हम हल्के हो सकते हैं। इसके लिए आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता है।