दीपावली कार्यक्रम में बीके शीला के विचार
शिव आमंत्रण, गया। आलौकिक प्रकाश से सम्पन्न आत्माएँ कभी किसी के मन को पीड़ा नहीं दे सकती है। जगत की सभी समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक दरिद्रता है। दीपावली का प्रकाश पर्व अन्दर की दरिद्रता समाप्त करके ज्ञान, गुण और शक्तियों की सम्पन्नता लाने का संदेश देता है। उक्त उद्गार ब्रह्माकुमारी संस्थान सिविल लाइन थाना के पीछे, आयोजित दीपोत्सव समारोह में दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए केन्द्र प्रभारी बीके शीला ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा, दीप जलाकर हम ज्ञानरत्न धन की कामना करते हैं ताकि अज्ञान का तामस् जिन्दगी से चला जाये। जीवन में ज्ञान जागृति न होने से ही मनुष्य चोरी चकारी जैसे विकर्म अंधेरे में करता है। मिथ्या समझ के कारण समाज में ये गलतियाँ हो रही है। ईश्वरीय ज्ञान का प्रकाश ही स्वच्छता और पारदर्शिता लायेगा। ईश्वरीय ज्ञान से जागृत आत्माओं के सम्पूर्ण प्रकाश में अत्याचार, षोषण व भ्रष्टाचार जैसी काली प्रवृत्तियाँ समाप्त हो जायेगी व विश्व के कोने-कोने में शांति, प्रेम व भाईचारे की भावनाएं जागृत होगी। यह ईश्वरीय विश्व विद्यालय सम्पूर्ण पवित्रता का ऐसा प्रकाश स्तम्भ है जिसके प्रकाश से हर मानव अपने जीवन का अंध:कार हटा सकता है। जब मनुष्य माया के शासन से स्वंतत्र हो जाता है, नया सतोगुणी शरीर रूपी वस्त्र धारण कर लेता है तब सतयुग का शुभारंभ होता है जिसकी खुशी में आज तक लोग दीपक जगाते और मिठाईयों से मुख मीठा करते हैं।
आज से पाँच हजार वर्ष पूर्व अति सुखकारी समय था व हर दिन खुशियों के दीपक जलते थे। भारत देश पूर्व की भांति अब फिर से जगद्गुरू का स्थान प्राप्त करेगा और इसी भारत देश से ईश्वरीय अध्यात्म की दैदीप्यमान किरणें सम्पूर्ण भू-मण्डल को प्रकाशित करेगी। प्राकृतिक परिवर्तनों के बाद प्रकृति पुन: संतुलन को प्राप्त करेगी तथा खास भारत के अन्न-धन के भंडार पुन: भरपूर होकर सच्ची दीपावली इस दुनिया में आएगी।