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क्षमा करने के लिए त्याग और ज्ञान है आवश्यक - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
क्षमा करने के लिए त्याग और ज्ञान है आवश्यक

क्षमा करने के लिए त्याग और ज्ञान है आवश्यक

दिल्ली राज्य समाचार

दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव पीके त्रिपाठी के विचार

शिव आमंत्रण, दिल्ली। क्षमादान ही महादान है इस विषय पर ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान दिल्ली के लोधी रोड सेवाकेन्द्र द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव पीके त्रिपाठी, ब्रह्माकुमारीज नैरोबी केन्या की निदेशिका बीके प्रतिभा, लोधी रोड सेवाकेन्द्र के वरिष्ठ राजयोगी तथा प्रेरक वक्ता बीके पियुष तथा बीके गिरीजा भी उपस्थित रही।
इस राष्ट्रीय वेबिनार में दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव पीके त्रिपाठी ने कहा, कि क्षमा करने के लिए सबसे प्रेमभाव करना आना चाहिए। यदि व्यक्ति में क्षमाभाव नहीं है तो वह इस मानव के जीवन में भी सूखे पेड़ के समान है। मां प्रेम की प्रतिमूर्ति होती है इसलिए अपने बच्चों की सब छोटी-बडी बाते क्षमा करती रहती है। दूसरा क्षमा करने के लिए त्याग की भी आवश्यकता है। तीसरा ज्ञान भी आवश्यक है।
बीके पियुष ने कहा, हम सदैव गाते आये है कि प्रभु जी मेरे अवगुण चित ना धरो। लेकिन दूसरों के अवगुण देखने का लाइसेन्स अपने पास रखा हुआ है। तो क्षमा करने के लिए हमे दूसरों के अवगुणों को देखना बंद करना होगा। क्षमा करने के लिए हमे आत्मिक भाव अपनाना होगा।
इसके साथ ही केन्या ब्रह्माकुमारीज केन्द्र की निदेशिका बीके प्रतिभा ने कहा, कि जो व्यक्ति ना तो कभी क्षमा करता है और ना ही क्षमा मांगता है वह एक ठहरे हुए पानी की तरह हो जाता है जहां से बदबू आने लगती है। इसलिए व्यक्ति में क्षमाभाव होना जरुरी है। चित्त पर रखी हुई बातों से हमारी ऊर्जा का रिसाव होता है। जो अपने को क्षमा नही करता, अपनी गलतियों को स्वीकार नही करता वह बारबार वही गलतियां करता रहता है।
बीके गिरीजा ने कहा, ब्रह्माकुमारीज में सीखाया जाता है कि यदि कोई गलति हुई है तो क्षमा मांग ले किसी ने गलती की है तो क्षमा कर दे। इससे हमारे सम्बंध टिकाऊ होते है। दूसरों को क्षमा करने का पहला लाभ हमे स्वयं को होता है।

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