सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
सिरोही के 38 गांवों में चलाई जाएगी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल परियोजना व्यर्थ संकल्पों से अपनी एनर्जी को बचाएंगे तो लाइट रहेंगे: राजयोगिनी जयंती दीदी राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी ने किया हर्बल डिपार्टमेंट का शुभारंभ  मप्र-छग से आए दस हजार लोगों ने समाज से नशे को दूर करने का लिया संकल्प चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का समापन वैश्विक शिखर सम्मेलन (सुबह का सत्र) 6 अक्टूबर 2024 श्विक शिखर सम्मेलन का दूसरा दिन-
आध्यात्म के समावेश से जीवन होगा ‘भयमुक्त’ - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
आध्यात्म के समावेश से जीवन होगा ‘भयमुक्त’

आध्यात्म के समावेश से जीवन होगा ‘भयमुक्त’

सच क्या है

य, डर, फीयर। आज हर कोई किसी न किसी प्रकार के भय में जी रहा है।किसी को मृत्यु का भय है तो किसी को असफलता, निंदा, भविष्य, मान-सम्मान, करीबी रिश्ते खो जाने, अपमान, भूत-प्रेत फिर सबसे बड़ा भय है… ‘ लोग क्या कहेंगे ‘। इसे सामाजिक भय भी कह सकते हैं। अपने मन और विचारों की समीक्षा करने की जरूरत है कहीं हम भी तो भय में नहीं जी रहे हैं?
भविष्य कैसा होगा ? कहीं नौकरी चली गई तो क्या करेंगे? डर-भय अंतर्मन के वह नकारात्मक विचार हैं जो बचपन से हमारे अंदर परिवार, समाज के माध्यम से घर कर जाते हैं। हम भविष्य के बारे में सोच-सोचकर भयभीत रहते हैं जबकि वह घटनाएं या परिस्थिति हमारे साथ घटित भी नहीं हुई है। जब किसी एक नकारात्मक विचार या संकल्प को बार-बार दोहराया जाए तो वह हमारे अंतर्मन का हिस्सा बन जाता है। विख्यात लेखक एम शर्न के अनुसार- भय का अर्थ है मानसिक रूप से नकारात्मक भावनाओं और नकारात्मक दृष्टिकोण से युक्त होना। इसके अलावा भय के सैकड़ों कारण हैं।

भय का कारण जानने की जरूरत: भयमुक्त होने के लिए सबसे जरूरी है अपने विचारों की जांच करना। एकांत के किसी कोने में जाकर चिंतन करना होगा, आखिर अमुख बात का कारण क्या है? क्यों वह संकल्प बार-बार मन में आता है? कब आता है? जब वह आए तो हम कैसे उसे परिवर्तित कर सकते हैं। जो व्यक्ति अपने जीवन में छोटी-छोटी गलतियां नहीं करता है और प्रत्येक कर्म को तराजू की तरह तौलकर, उसके भूत-भविष्य को देखकर आगे बढ़ता है। ऐसा व्यक्ति सदा निर्भय रहता है। साथ ही जिसके मन में सदा देने का भाव, दातापन और कल्याण का भाव हो, सद्भावना का भाव हो, ऐसे व्यक्ति का जीवन भी अचल-अडोल रहता है। जो सदा दूसरों से मांगने और अपेक्षा रखता है वह भी सदा निर्भय नहीं रह सकता है।

आध्यात्मिक सशक्तिकरण: आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही वह मूल तत्व है जो मनुष्य को इस काबिल बनाता है कि वह अपनीआंतरिक कमियों को दूर कर सके। इसी से मनुष्य की आस्था खुद में पक्की हो जाती है। जीवन में आध्यात्म को शामिल करने से हमारा चिंतन आत्मा के उत्थान, कल्याण और मुक्ति-जीवनमुक्ति की ओर अग्रसर हो जाता है। इससे मनुष्य जीवन की भौतिक परिस्थितियों, समस्याओं से घबराता नहीं है क्योंकि उसके अंतर्मन में निरंतर ज्ञान रूपी अमृत प्रवाहित हो रहा होता है। जीवन को सच्चाई, सफाई के साथ ऐसे जिया जाए कि आज ही आत्मा पंछी उड़ जाए तो कोई अफसोस न रहे।

सर्वोच्च सत्ता के साथ सर्व संबंध: जीवन में कितनी ही विपरीत परिस्थितियां हों लेकिन हमारा ईश्वर पर, स्वयं पर इतना अटल निश्चय हो कि मन को हिला न सकें। जब हमारे मन के तार सर्वोच्च सत्ता के साथ जुड़े रहते हैं तो नदी की निरझर धारा की तरह उनकी शक्तियां और वरदानों की अनुभूति होने लगती है। लेकिन हिम्मत का पहला कदम हमें ही बढ़ाना होगा। परमात्मा ने कहा है- मेरे बच्चों! तुम हिम्मत का एक कदम बढ़ाओ, मैं हजार कदम बढ़ाऊंगा। मैं तुम्हारी मदद के लिए बंधा हुआ हूं।

राजयोग ज्ञान है अमृत समान: भयमुक्त होने में राजयोग का ज्ञान मन और आत्मा के लिए अमृत का कार्य करता है। जब हम अंतर्मन से यह स्वीकार कर लेते हैं कि आत्मा तो अजर-अमर-अविनाशी है।मैं सर्वशक्तिमान की संतान, मास्टर सर्वशक्तिमान हूं। मैं निर्भय हूं, निडर हूं, महावीर हूं। जब इन सकारात्मक शुभ व श्रेष्ठ संकल्पों को दिन में बार-बार दोहराते हैं, उन संकल्पों को अंतर्मन से फील करते हैं और उनके अनुसार अपने कर्म करने का अभ्यास करते हैं तो धीरे-धीरे भय का भूत हमारे मन और आत्मा से विदाई ले लेता है। चिंतन करें कि मेरे पास निर्भयता की शक्ति है। हजार भुलाओं वाला, सर्व का नाथ, दु:ख-हर्ता-सुखकर्ता, ईश्वर, परमात्मा मेरे साथ हैं, फिर भला मुझे किसी बात से क्या डरना। जैसे-जैसे हमारे जीवन में मन वचन-कर्म, दृष्टि-वृत्ति की पवित्रता बढ़ती जाती है तो वह आत्मा निर्भय बनती जाती है। क्योंकि पवित्र आत्मा दुनियावी सभी
बातों से निर्भय, निडर और निश्चिंत होती है। उसके सोच और कर्म में समभाव होता है। कर्म के बाद पछतावा नहीं होता है। वह वर्तमान में जीवन जीता है और सदा भयमुक्त, आनंदित जीवन जीता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *