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हम लोग सनातन को भूल रहे हैं, यह हमारी सबसे बड़ी भूल है: एक्टर रॉकसन वाटकर - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
हम लोग सनातन को भूल रहे हैं, यह हमारी सबसे बड़ी भूल है: एक्टर रॉकसन वाटकर

हम लोग सनातन को भूल रहे हैं, यह हमारी सबसे बड़ी भूल है: एक्टर रॉकसन वाटकर

मुख्य समाचार
  1. वाटकर बोले- मेरे शरीर में नौ साल से खून नहीं बन रहा, आज जिंदा हूं तो अध्यात्म के कारण
  2. समाज सेवा प्रभाग के राष्ट्रीय सम्मेलन में तीसरे दिन दो सत्रों में वक्ताओं ने रखे विचार

शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान मेरा नौ साल से शरीर में खून नहीं बन रहा है, डॉक्टरों ने कहा था कि आप छह माह ही जीवित रहेंगे, फिर भी मैं आज जिंदा खड़ा हूं तो उसका कारण है अध्यात्म। मुझे नहीं पता कि जीवन का कौन सा पल मेरा अंतिम क्षण हो। मैं हर पल मौत को सामने देख रहा हूं। यदि मालिक मुझे जिंदा रख रहा है तो इसका मतलब है कि वह मुझसे कुछ अच्छा कराना चाहता है। जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तब अध्यात्म का रास्ता हमेशा खुला रहता है। हम लोग सनातन को भूल रहे हैं, यह हमारी सबसे बड़ी भूल है। कुछ लोग हिंदुस्तान के कल्चर को खत्म करने की सोच रहे हैं। लेकिन मुझे आश्चर्य हो रहा है कि बॉलीवुड के लोग चुप क्यों हैं।
उक्त उद्गार मुख्य अतिथि मुंबई से आए प्रोड्यूसर और हॉलीवुड-बॉलीवुड एक्टर रॉकसन वाटकर ने व्यक्त किए। एक्टर वाटकर अब तक 300 से अधिक हॉलीवुड और 200 से अधिक बॉलीवुड की फिल्में कर चुके हैं। वह ब्रह्माकुमारीज़ के शांतिवन परिसर स्थित डायमंड हाल में चल रहे समाज सेवा प्रभाग के राष्ट्रीय सम्मेलन के सुबह के सत्र में संबोधित कर रहे थे।
शिकायत से सम्मान की ओर विषय पर उन्होंने कहा कि सोच बदलो, दुनिया बदल जाएगी। विचारों को बदलो, सब बदल जाएगा। मुझे मानव जीवन मिला है तो मैं देश, समाज के लिए कुछ अच्छा करुं। यही जीवन का मकसद है। आज का युवा भारत की संस्कृति को भूल रहा है। मैंने कभी भी गुटखा, तंबाकू, वाइन का विज्ञापन नहीं किया है और न ही करुंगा। मेरा मकसद है भारत की आध्यात्मिक शक्ति को सबके सामने रुबरु कराना। मेरा मकसद पैसा कमाना नहीं है। मैं सनातन संस्कृति से विश्व को रुबरु कराना चाहता हूं।

मंचासीन अतिथिगण व गीत प्रस्तुत करते मधुरवाणी ग्रुप के कलाकार।

प्रशंसा वही कर सकता है जिसका दिल बड़ा है-
एक्टर वाटकर ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में आकर बहुत खुश हूं। इसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। यहां मैंने साक्षात् में स्वर्ग देखा। मधुबन वाले बाबा, मुरली वाले बाबा, आपका क्या कहना… गीत दिल को छू गया। मैंने यहां सीखा है कि आप शिकायत न करें, प्रशंसा करें। शिकायतें कभी खत्म होने वाली नहीं हैं। यदि हम प्रसन्न रहेंगे, खुश रहेंगे तो हमें देखकर दूसरे भी खुश रहेंगे। मेरा जल्द ही एक सीरियल आ रहा है आध्यात्मिक भारत। इसमें भारत की आध्यात्मिक विरासत को दिखाया जाएगा। हम लोग आध्यात्मिक भारत- ब्रह्माकुमारीज़ पर जल्द एक फिल्म बनाएंगे। प्रशंसा वही कर सकता है जिसका दिल बड़ा है।

परमात्म शक्ति से शूल बन गए फूल-

गुजरात भुज से आए कच्छ-भुज क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बाबूभाई ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़कर और राजयोग मेडिटेशन अपनाने के बाद मेरा जीवन बदल गया। जीवन में अनेक परिस्थितियां आईं लेकिन परमात्म शक्ति की बदौलत राह के शूल, फूल के समान बन गए। चंडीगढ़ से आईं वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके सुमन दीदी ने कहा कि आप सभी को अपने जीवन से, परिवार से, पड़ोसियों से, रिश्तेदारों से शिकायत है उसे आज ही परमात्मा को सौंपकर जाएं। उन्हें यहीं पर छोड़ कर जाएं। अपने आप को खुशनसीब समझें कि मुझे इतना अच्छा जीवन मिला है। मेरा भाग्य कितना अच्छा है। संचालन दिल्ली की बीके भावना बहन ने किया।

दूसरे सत्र में मंचासीन अतिथिगण।

(दूसरा सत्र- तनावमुक्त जीवन)
क्षमताओं का उपयोग करके अपना सर्वश्रेष्ठ निर्माण कर सकते हैं-
कुरूक्षेत्र के राष्ट्रीय स्वयं सेवक के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने कहा कि मनुष्य का जीवन अत्यन्त दुर्लभ होने के साथ सर्वश्रेष्ठ भी है। गाय का बछड़ा जन्म लेते ही चलना शुरू कर देता है और मनुष्य जन्म लेने के एक वर्ष बाद चलना सीखता है। कोयल का स्वर जन्म लेने के साथ ही मीठा होता है। मनुष्य जन्म के लगभग डेढ़ साल बाद वह बोलना सीखता है। हाथी जन्म लेते ही शक्तिशाली होता है। मनुष्य की क्षमताएं प्रकृति की सीमाओं भी परे हैं। मनुष्य उन क्षमताओं का उपयोग करके अपना सर्वश्रेष्ठ निर्माण कर सकता है।

अपना तनाव उस परमात्मा को गिफ्ट कर दें-
दिल्ली से आईं प्रभाग की कार्यकारी सदस्य बीके विजया दीदी ने कहा कि अब समय है कि हम अपना तनाव उस परमात्मा को गिफ्ट कर दें। हम सब परमात्मा की अनमोल सम्पत्ति हैं। अच्छाईयों का एक-एक तिनका चुनकर जीवन भवन का निर्माण होता है। बुराई का एक हल्का झोंका उसे मिटा डालने के लिए पर्याप्त होता है। वस्त्रों का व्यक्तित्व होगा तो लोग पसंद करेंगे। विचारों का व्यक्तित्व होगा तो लोग अनुसरण करेंगे। विचारों के अनुरूप व्यक्तित्व होना चाहिए। विचारों में सद्भावना, शुभकामना, सहानुभूति, सत्यता, ईमानदारी, दिव्यता, शान्ति और प्रेम है तो हमारा जीवन भवन दूर से ही लोगों को आकर्षित करेगा।

सम्मेलन में मौजूद समाजसेवी।

तनाव का मतलब है परिवर्तन की जरूरत है-
भोपाल जोन की जोनल संयोजिका बीके शैलजा दीदी ने कहा कि परिस्थितियों का आना स्वाभाविक है किन्तु उनमें भी मुस्कुराते हुए सफलतापूर्वक बाहर आना जीवन जीने की कला है। परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है। ब्रह्माकुमारीज़ में जो आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है, उसे जीवन का अंग बनाने से तनाव मुक्त रह सकते हैं। जीवन में आने वाला तनाव हमें संदेश देता है कि हमें अपना परिवर्तन करना चाहिए।

हमारे कार्य से परमात्मा प्रसन्न हो जाएं-
उत्तराखण्ड से आए खेल प्रभाग के बीके मेहरचन्द भाई ने कहा कि आत्मिक ज्ञान से स्वयं को प्रफुल्लित रखकर हम तनावमुक्त रह सकते हैं। आत्मिक धन से सम्पन्न होकर ही हम शान्ति की अनुभूति कर सकते हैं। ज्ञान योग तनाव मुक्त जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। हमारा कार्य ऐसा हो जिससे परमात्मा प्रसन्न हो जाएं। बिना ज्ञान और योग के जीवन में परिवर्तन नहीं हो सकता है। लखनऊ से आईं बीके राधा दीदी ने कहा कि परम ज्योति परमात्मा ने ब्रह्मा के माध्यम से नई सृष्टि की रचना की। आप सभी भाग्यशाली हैं जो इस धरा पर आए हैं। बीके तारा बहन ने राजयोग के अभ्यास से सभी को गहन शांति की अनुभूति कराई। मंच संचालन मुम्बई से आईं बीके मीना बहन ने किया। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने गीत प्रस्तुत किया।

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