- सहनशीलता आपसी रिश्तों की नींव और आधार
शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। भाइयों की जिंदगी का आधे से ज्यादा समय ऑफिस या कारोबार में जाता है। ऐसे में हमारे वर्कप्लेस पर कलीग्स के साथ रिश्ते कैसे हैं यह बहुत मायने रखता है। कई बार हम सही होते हैं लेकिन मिस कम्युनिकेशन के कारण गलतफहमी हो जाती हैं। जो रिश्ते पहले लॉफुल और लवफुल थे उनमें अब दूरियां आ गई हैं। ऐसे सिचुएशन में जरूरी है कि हम आपसी रिश्तों की गहराई में जाएं। उन बातों के बारे में जानने की कोशिश करें जहां से हमारे रिलेशन में दूरियां आईं थीं। जब आप एकांत में, शांत मन से सोचेंगे तो खुद ही समाधान पर पहुंच जाएंगे कि हमारे अमुख बात और बिहेवियर के कारण गलतफहमियां पैदा हो गईं। रिश्तों में मजबूती, आपसी प्रेम के लिए सबसे जरूरी है पेशंस, धैर्य होना।सहनशील होना। आज टोलरेंस पावर (सहनशीलता की शक्ति) नहीं होने से रिश्ते टूट रहे हैं। घर-परिवार हो या ऑफिस, सब जगह आपसी रिश्ते बिगड़ने का मुख्य कारण ही है टोलरेंस पॉवर की कमी। टोलरेंस पावर ही आपसी रिश्तों की नींव और आधार है।
जब तक हम खुद न चाहें कोई हमें हर्ट नहीं कर सकता :
हम देखते हैं जो लोग आपसे वह व्यवहार कर रहे हैं जो आपको पसंद नहीं है उनके पास भी उतने ही पावर हैं। वो क्या कर सकते हैं वो अपने अनुसार जो वे सही समझते हैं बोल सकते हैं। वो झूठ बोल सकते हैं, धोखा दे सकते हैं, गलत व्यवहार कर सकते हैं, चिल्ला सकते हैं, रो सकते हैं वह सबकुछ कर सकते हैं। लेकिन वो हमारे माइंड के अंदर नहीं घुस सकते हैं। लेकिन हम कहते हैं कि उन्होंने हमें हर्ट किया, इनसल्ट किया। उन्होंने मुझे अनादर, अपमान किया। यह तो हमारी भाषा है, वो तो ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते, वो तो वहां सिर्फ खड़े होकर बोल कर सकते हैं। अब उसके पास आपकी च्वाइस है। उन्हों को लेना है या नहीं लेना है। अब लेना है तो कितना लेना है। और लेकर उसके बारे में कितना रोना है और रोना है तो फिर कब तक रोना है। बातों को पकड़कर रखना है तो कब तक पकड़कर रखना है। छोड़ना है तो कब तक छोड़ना है। नहीं छोड़ना है तो जब शरीर छोड़ेंगे तब भी साथ में लेकर जाएंगे। ये सारे पावर किसके पास हैं। ये पावर हमारे पास है लेकिन हम अपने पावर को यूज नहीं करते हैं। क्योंकि हम ब्लेम करते हैं उनकी वजह से ये बोल कर हम अपने पावर को खत्म कर देते हैं। जब अपने पावर को यूज करना बंद कर देंगे तो उस दिन से अपनी ताकत कम होकर खत्म होती जाएगी।
नाराजगी भी एक मन से रोना है :
किसी ने कभी आपको हर्ट किया? उनको लेकर आइए और अपने लेफ्ट हैंड पर बिठाइए क्योंकि वे मुक्ति मांग रहे हैं। बहुत टाइम हो गया, यहां देखो उन्होंने क्या किया? कितने पावर थे उनके पास? क्या बोला क्या किया? क्या व्यवहार किया सामने किया, पीठ पीछे किया। बहुत पावर उतने ही पावर हैं। उन्होंने जब किया तो मैंने कैसे सोचा। इतना करो तो भी यही सुनने को मिलता है। मेरी तो कोई रिपेक्ट ही नहीं है, वैल्यु नहीं है। बस करते जाओ यहां के लिए शुक्रराना तो कोई है नहीं। ये तो सिर्फ शिकायत करते रहते हैं ये मेरी थॉट्स थी। जब मैंने ये वाली थॉट्स क्रियेट की तो मेरे मन ने रोना शुरू कर दिया। किसी के तो आंखें भी रोना शुरू कर देती हैं। जब मैंने ऐसा मन में रोना शुरू किया तब हमने ऐसा नहीं कहा मैंने ऐसी थॉट्स क्रियेट की तब रोयी। मैंने कहा आपने मुझे रूलाया और सारी पावर किसको दे दी। फिर उनके तरफ देखते हैं कि अब आप पहले सॉरी बोलो, तब हम ठीक होंगे। वो कहते हैं मैं क्यों सॉरी बोलूं मैंने तो ऐसा कुछ नहीं बोला। तो क्या हम तब तब रोते रहें। चाहें आंखों से रोऊं या मन से रोऊं। नाराजगी भी एक मन से रोना है। नाखुश होना ये भी एक रोना है। जितनी देर हम ऐसे रो रहे हैं, हम कह रहे हैं उनकी वजह से कहकर खुद को बड़ी चोट लगाते हैं। फिर कहते हैं ये वाली बात मुझे कभी नहीं भूलनी है। ये किलयरेटी लेकर आएं कि सही नहीं किया। लेकिन उनकी पावर उतनी ही थी जो उन्होंने किया। जो उन्होंने किया तो उनके कर्मों ने किसकी शक्ति घटाई?उनकी शक्ति घटाई। उनके कर्म ने उनकी शक्ति घटाई। उनके कर्मने उनका भाग्य बनाया। उनको जो कर्म करता हुआ देखकर मैंने जो कर्म किया। मेरे कर्मने मेरी शक्ति बढ़ाई। शक्ति बढ़ाना या घटाना हमारी च्वाइस थी। अपमानित होने के पीछे देह अभियान होता है। देह अभियान के कारण खुद की पहचान भूल जाते हैं। खुद को सम्मान और स्वमान में न रहने के कारण अपमानित महसूस होता है।