- 24 कुमारियों ने शिवलिंग को वरमाला पहनाकर जीवन साथी माना
- माता-पिता और परिजन अपनी बेटी को दुल्हन के रूप में सिर पर चुनरी की चादर बनाकर स्टेज तक ले गए
- सात संकल्प के साथ पूरी हुई समर्पण की प्रक्रिया, अब ब्रह्माकुमारी कहलाएगी
शिव आमंत्रण,8 अक्टूबर 2022, इंदौर। दुल्हन की तरह सफेद साड़ी में सजी कुमारियां। माता-पिता और भाई-बहनें चुनरी की चादर बनाकर जब अपनी बेटियों को स्टेज पर ले गए तो लोग भावुक हो उठे। माता-पिता की आंखों से आंसू छलक आये। लेकिन ये आंसू दुःख के नहीं खुशी के थे। इन्हीं खुशी लिए आंसुओ को पोछते हुए बेटियों के माता-पिता बोले-आज मेरा जीवन धन्य हो गया। दैवी स्वरूप बेटियों को पाकर। मेरे कितने जन्मों के पुण्य कर्म होंगे जो इस जन्म में शक्ति स्वरूपा बेटी मिली।
मौका था ब्रह्माकुमारीज के जोनल हैड क्वार्टर ॐ शांति भवन, न्यू पलासिया के तत्वावधान में आयोजित दिव्य अलौकिक प्रभु समर्पण समारोह का। कार्यक्रम खण्डवा रोड स्थित समारोह परिसर मैरिज गार्डन में आयोजित किया गया। इस दौरान 24 कन्याओं से सात प्रतिज्ञाएं लेकर अपना जीवन ब्रह्मचर्य और साधना के पथ पर चलने का संकल्प लिया। सभी ने परमात्मा शिव के यादगार चिन्ह शिवलिंग पर वरमाला पहनाकर उन्हें अपना जीवनसाथी, शिव साजन के रूप में स्वीकार किया।
धन्य हैं ये कन्याएं: बीके आरती दीदी
सभा को संबोधित करते हुए जोनल निदेशिका राजयोगिनी बीके आरती दीदी ने कहा कि आज इन बहनों ने परमात्मा को अपनाया है और परमात्मा ने इन बहनों को अपनाया है। धन्य हैं ये कन्याएं। आज से सभी माता-पिता यह सोचे कि आज से हमने अपनी कन्यायों को परमात्मा को समर्पित कर दिया है। अब इनकी जिम्मेदारी स्वम् परमात्मा की है। केवल परमात्मा का परिचय जानना ही नहीं परमात्मा के प्रति अर्पित होना ही परमात्मा के कार्य में सहयोगी बनना है।
बीके आरती दीदी ने कुमारियों को कराई ये सात प्रतिज्ञाएं….
- मैं परम प्यारे, परम सद्गुरु, परमशिक्षक, परमपिता परमात्मा को सम्मुख रख आज वायदा करती हूं कि मुझे संपूर्ण निश्चय है कि स्वम भाग्यविधाता परमात्मा हम सबका भाग्य बनाने के लिए सहज ज्ञान और राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं, अतः मैं अपना जीवन स्वयं की खुशी से विश्व कल्याण की बेहद सेवा के कार्य के लिए समर्पित कर रही हूं।
- मैं इस अलौकिक ब्राह्मण जीवन में ज्ञान, योग और पवित्रता की धारणा से संपन्न बन सर्व संबंध एक परमात्मा शिव बाबा से ही जोडूंगी।
- मेरा यह वायदा सदा पक्का रहेगा कि एक परमात्मा दूसरा न कोई ।
- मैं स्वम व दूसरों की आध्यात्मिक उन्नति में सदा सहयोगी रहूंगी।
- परमात्मा द्वारा जो भी ज्ञान, गुण व शक्तियों के खजाने मिले हैं उन्हें सदा बाटती रहूंगी।
- सदा संतुष्ट रह सर्व को संतुष्ट करूंगी।
- मैं हर आत्मा के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना और सद भावना रख सभ्यता पूर्ण शुद्ध व्यवहार करुँगी और सर्व को सहयोग देते हुए आपसी इश्नेह युक्त संबंध बनाकर अपना अलौकिक आध्यात्मिक जीवन आज समर्पित कर रही हूं।
इन्होंने भी रखे विचार–
- राजिम से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके पुष्पा दीदी ने कहा कि अपने लिए तो सब जीते हैं लेकिन जो दूसरों के लिए अपना जीवन जीएं, दूसरों के दुखों को हरने वाला हो वह बेटियां, कन्याएं साधारण नहीं हैं। क्योंकि बिना बड़ी सोच के बढ़ा कार्य नहीं हो सकता है।
- न्यू दिगम्बर पब्लिक स्कूल की निदेशिका सिन्दू मेढके ने कहा कि मैं इन बहनों को प्रणाम करती हूं कि इन्होंने जीवनभर इस तप के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। ऐसा भाग्य लाखों में से किसी एक का होता है।
- अलविदा तनाव अभियान की राष्ट्रीय वक्ता और वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका पूनम बहन ने कहा कि आज की नारी अबला नहीं सबला है। विज्ञान से लेकर धर्म, आध्यत्म के छेत्र में नारी शक्ति ने अपना परचम लहराया है। आज कि युवा पीढ़ी पहले से ज्यादा जागरूक और सतर्क है। वह जीवन के कठिन फैसले पूरे हिम्मत के साथ ले रही है। इस बात को आज इन कुमारियों ने साबित कर दिया है।
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मातापिता के अनुभव…… - राजस्थान के कोटा से आयीं बीटेक कर चुकी कुमारी सुकृति (32) के पिता मोहनचंद राजपूत ने बताया कि मैं भी आध्यात्मिक जीवन शैली के साथ अपना जीवन जी रहा हूं। मेरी बेटी ने आज मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। मेरा जीवन धन्य हो गया है। माता जी माया चंद राजपूत ने कहा कि मैंने शुरू से बच्चों को उनकी लाइफ के फैसले करने के लिए स्वतंत्र रखा। बेटी की खुशी में ही हम लोगों की खुशी है।
- कुमारी प्रियंका (30) के पिताजी बनबारी लाल राठौर ने कहा आज का ये छन मेरे जीवन का अनमोल छन है। माताजी दुर्गा बाई राठौर ने कहा कि बेटी ने आज नाम रोशन कर दिया। अब वह समाज को नई दिशा देगी, इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है।
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इन 24 बहनों ने सपर्पित किया अपना जीवन-
भीकनगांव से कुमारी संगीता, ठीकरी, बड़वानी से कुमारी सीमा, शाहपुरा से कुमारी सीमा, शिव शक्ति रिट्रीट सेंटर से कुमारी प्रिया, जोवट से कुमारी प्रियंका, इंदौर से कुमारी अनिता, कुमारी ट्रवेणी, भवानी मंडी राजस्थान से कुमारी कुसुम, कटनी से कुमारी दुर्गा, कोटा से कुमारी सुकृति, जबबपुर से कुमारी ज्योति, इंदौर से कुमारी पूर्णिमा, धमनोद से कुमारी प्रीति, इंदौर से कुमारी किरण और कुमारी दीपिका, कटनी से कुमारी नेहा, कुमारी बेबी, कुमारी संध्या और कुमारी संध्या, महू से कुमारी दिव्या, इकलेरा से कुमारी सकुन, हरियाणा करनाल से कुमारी प्रभा, करनाल से ही कुमारी सोनिया, लखेरा से कुमारी अनीता ने अपना जीवन समर्पित किया।
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झलकियां….. - समारोह में बेटियों के भाई और पिता पगड़ी बांध कर बारात के रूप में चले, साथ ही जमकर खुशी में नृत्य किया।
- समर्पण करने वाली बीके कुसुम और बीके प्रभा बहन ने अपने जीवन के आध्यात्मिक अनुभव और इस राह पर चलने का संकल्प क्यों लिया का अनुभव शेयर किया। बीके दुर्गा और बीके विद्या ने भी अपना अनुभव बताया।
- प्रीति बहन एवम ग्रुप की और से नृत्य की प्रस्तुति दी गयी। बीके राजेन्द्र गठानी, बीके नारायण भाई ने भी अपनी शुभकामनाएं दी।
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सादर
मीडिया विंग, ब्रह्माकुमारीज, ॐ शांति भवन, न्यू पलासिया, इंदौर