सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
नकारात्मक विचारों से मन की सुरक्षा करना बहुत जरूरी: बीके सुदेश दीदी यहां हृदय रोगियों को कहा जाता है दिलवाले आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ समाज थीम पर होंगे आयोजन ब्रह्माकुमारीज संस्था के अंतराष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू दादी को डॉ अब्दुल कलाम वल्र्ड पीस तथा महाकरूणा अवार्ड का अवार्ड एक-दूसरे को लगाएं प्रेम, खुशी, शांति और आनंद का रंग: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी इस विद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक की साक्षी रही हूं: दादी रतनमोहिनी
ब्रम्हचर्य में बल है - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
ब्रम्हचर्य में बल है

ब्रम्हचर्य में बल है

बोध कथा

यादगार शास्त्र रामायण में हनुमान जी का चरित्र ऐसे पात्र के रूप में जाना जाता है जो निश्छल और निस्वार्थ भाव से प्रभु के कार्य में मददगार रहे। इसीलिए उन्हें सभी जगह बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से स्मरण किया जाता है। जहां भी श्रीराम जी की पूजा होती है, वहां हनुमान का स्थान अवश्य होता है।

हनुमान जी अखंड ब्रह्मचारी थे। उनकी पूजा में उनके इस गुण का बखान अवश्य होता है। ब्रह्मचर्य में ही बल है। आज भी पहलवानों के अखाड़े में हनुमान जी का मंदिर पाया जाता है। भले ही पहलवान स्वयं इस व्रत का पालन करते हों या नहीं, लेकिन पूर्ण श्रद्धा भाव से इन्हें ही अपना इष्ट स्वीकार करते हैं। पवित्रता केवल शारीरिक नहीं बल्कि दृष्टि और वृत्ति की भी हो, इसका उदाहरण रामायण में भी है। ऐसा कहा जाता है कि जब हनुमान जी सीता जी की खोज करने के लिए लंका में गए तो वहां महलों में तमाम महिलाओं को उन्होंने देखा। जब वे लौटे तो उन्हें इस बात से बहुत ग्लानि हुई कि उन्होंने अनेकों स्त्रियों के मुख देखे। इस पर जामवंत ने उन्हें समझाया कि आप पश्चाताप ना करें क्योंकि आपकी दृष्टि में कोई विकारी भाव नहीं था बल्कि स्त्रियों के मुख देखने के पीछे सीता माता की खोज ही आपका उद्देश्य था।

आज लोग रामचरितमानस बड़े भाव से पढ़ते और सुनते हैं। फिर भी महिलाओं के प्रति अत्याचारों में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी होती जा रही है। यदि उपरोक्त भावना और भाव जनमानस में पैदा हो जाए तो समाज में काम विकार के कारण हो रहे अधिकांश अपराधों पर लगाम लग जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *