- शिक्षाविदों का राष्ट्रीय सम्मेलन माउंट आबू में आयोजित
शिव आमंत्रण, माउंट आबू। ब्रह्माकुमारीज़ शिक्षा प्रभाग द्वारा ज्ञानसरोवर परिसर में विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के शिक्षाविदों के लिए शिक्षक नई पीढ़ी के शिल्पकार विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें पूर्व केन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन एवं वन मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि मैंने इस आध्यात्मिक ज्ञान से अपने जीवन में सुखद परिवर्तन अनुभव किया है। आध्यात्मिकता से ही दिव्यता की ओर उन्मुख हुआ जा सकता है। भगवान ने जब इस दुनिया को और मनुष्य को रचा तो उन्होंने अपनी सर्वश्रेष्ठ सुन्दर रचना रची थी । उन्होंने सदा सुखमय जीवन के लिए कुछ आध्यत्मिक मूल्य भी दिए थे। सबको देने वाला तो परमात्मा है। वही सबका सच्चा सतगुरु है। मैं अपने दिन की शुरुआत ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा सिखाए जा रहे राजयोग मेडिटेशन से करता हूं और दिनभर के लिए स्वयं को चार्ज , ऊर्जा से भरपूर अनुभव करता हूं। संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी डॉ. निर्मला दीदी ने कहा कि सबसे श्रेष्ठ दान है ‘विद्या दान। उसमें ही सर्वश्रेष्ठ है आध्यात्मिक ज्ञान। एक शिक्षक अनेकों का भविष्य बनाने का कार्य करता है। परमात्मा आध्यात्मिकता के बल से भारत का पुर्नउत्थान कर रहे हैं। शिक्षा प्रभाग के अध्यक्ष डॉ. बीके मृत्युंजय ने कहा कि इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय में परम शिक्षक शिव ने हमें चार विषयों- सत्य गीता ज्ञान, सहज राजयोग, मूल्यों व दिव्य गुणों की धारणा एवं मानव मात्र के लिए सेवा भाव, के माध्यम से सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान किया है। हैदराबाद विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. बीजे राव ने कहा कि सच्ची शिक्षा से मनुष्य न केवल शिक्षित कहलाता है, बल्कि वो प्रबुद्ध अलौकिक मानवीय व्यक्तित्व बन जाता है। स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई के उपकुलपति प्रो. डॉ.मुकेश कुमार वर्मा ने कहा कि ज्ञान की महत्ता उसे आचार, विचार व व्यवहार में लाने से है। प्रभाग की उपाध्यक्षा बीके शीलू ने राजयोग की अनुभूति कराई। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के उपकुलपति प्रो. दीपेन्द्र नाथ दास, फार्मास्यूटिकल साइंस एण्ड रिसर्च यूनिवर्सिटी के उपकुलपति प्रो. रमेश गोयल, मूल्यनिष्ठ कार्यक्रम के निदेशक बीके डॉ. पांड्यामणि , राष्ट्रीय संयोजिका बीके सुमन, मुख्यालय संयोजिका बीके शिविका ने भी अपने विचार व्यक्त किए।