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भारत की संस्कृति कभी दुनिया को नहीं, खुद को जीतने की रही - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
भारत की संस्कृति कभी दुनिया को नहीं, खुद को जीतने की रही

भारत की संस्कृति कभी दुनिया को नहीं, खुद को जीतने की रही

मुख्य समाचार

– वैश्विक शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन राजनीतिक और मीडिया के दिग्गजों ने रखे अपने विचार
– रात में सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों ने बिखेरे देशभक्ति के रंग

शिव आमंत्रण,12 सितंबर, आबू रोड/राजस्थान। पाकिस्तान जैसे देश में अलकायदा के चीफ तैयार होते हैं और हमारे देश में कंपनियों के चीफ, लीडर तैयार होते हैं। भारत और पाकिस्तान की संस्कृति और सभ्यता में यह अंतर है। हमारी संस्कृति कभी दुनिया को जीतने की रही ही नहीं, हमें तो वेदों-पुराणों में यही सिखाया गया कि जीतना है तो खुद को जीतो। हमारा सारा ज्ञान ही स्व का है। सारा अनुसंधान ही अंतर खोजने का है।
यह बात भाजपा प्रवक्ता और सांसद राज्यसभा सुधांशु त्रिवेदी ने वैश्विक शिखर सम्मेलन में संबोधित करते हुए कही। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन आबू रोड में विश्व शांति का अग्रदूत भारत विषय पर चार दिनी सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जितनी भी चीजें हैं जो जीवन को बदल सकती हैं वह अंदर खोने पर ही मिलती हैं। जब तक आत्मा के केंद्र पर नहीं जाएंगे, ज्ञान मिल नहीं सकता है। हमारे यहां कहा जाता है कि ज्ञान प्राप्त करना है तो ध्यान लगाकर बैठो। यह अमृतकाल की शुरुआत है, हम जगतगुुरु बनने के लिए उठ रहे हैं।

सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों ने एक से बढ़कर एक देशभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुति दी। 

हमारे देश में क्रांति नहीं संक्रांति आती है-
सांसद त्रिवेदी ने कहा कि यदि मनुष्य के ऊपर समाज के नियम-मर्यादा का बंधन नहीं हो तो 99 फीसदी मनुष्य का जीवन मूल्यों के विपरीत हो। मानवीय मूल्यों की संभावना कम होती है। मकर संक्रांति पर सूर्य अपनी गति बदलता है और दक्षिणायन से उत्तराणायन होते हैं। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमने दुनिया में चायना, ब्रिटेन, रुस, अमेरिका की क्रांति सुनी है, सिर्फ भारत में क्रांति नहीं सुनी है। क्योंकि क्रांति वहां होती है जहां सबकुछ बाहर पाने की इच्छा हो। परंतु जहां अंदर खोजने का प्रयास होता है वहां संक्रांति होती है। इसलिए इस देश में क्रांति नहीं होती है, संक्रांति आती है। यही कारण है कि एक समय हम दुनिया के सबसे ताकतवर देश होते हुए भी कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है।

ब्रह्माकुमारीज चेतना के विकास का अनुसंधान है-
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज में चेतना के उन्नयन की साधना में साधक जुटे हैं। यह चेतना के विकास का अनुसंधान है। यह स्थान बोलने का नहीं, अनुभूति का है। हम जितना अंदर जाएंगी, अनुसंधान करेंगे तभी बदलाव होगा। एक कवि ने कहा है या अनुरागी चित्त की गति समझे नहीं कोई, जो-जो डूबे श्याम रंग त्यों-त्यों उज्जवल होए… जब हम अंदर जाते हैं तो हमारा अंतस उज्जवल होता है।

नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह।

भारत की आंतरिक विशेषता और गुण हैं शांति-
नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कहा कि जब हम मूल के अधिनायक, लीडर जैसे कि विषयों की ओर देखते हैं तो भारत से बेहतर उदाहरण कुछ नहीं है। भारत में कई सदियों से ज्ञान प्रथा हिस्सा रही है। हम दस हजार वर्षो के इतिहास द्वारा ज्ञान के लंबे गलियारों से गुजरे हैं। मुझे विश्वास है कि हमारा देश अभी भी विश्वगुरु मुकाम पर कायम रहेगा। क्योंकि जब हम आसपास देखते हैं तो विश्वभर में समाधान केंद्र के तौर पर भारत पर ही नजर होती है। शांति भारत की आंतरिक विशेषता और गुण हैं जो कि हम विश्व को सिखा रहे हैं। शांति ने ही हमें विशेषता के रूप में आगे बढ़ाया है। ब्रह्माकुमारीज के प्रयास बहुत ही सराहनीय हैं।

शहीद भगतसिंह सेवादल के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. जितेंद्र सिंह शुंटी।

जब रात ढाई बजे पीएम का फोन आया-
शहीद भगतसिंह सेवादल के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. जितेंद्र सिंह शुंटी ने कहा कि मैं 25 साल से ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर रहा हूं जिनका कोई नहीं है। अब तक 4200 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कर चुका हूं। कोरोना काल में जब कोई शवों को हाथ लगाने के लिए तैयार नहीं था, खून रिश्तों तक ने मुंह मोड़ लिया था, तब हमने उनका अंतिम संस्कार किया। मेरे इस कार्य में लंदन से पढ़कर आए बेटा और पत्नी ने भी पूरा सहयोग दिया। जब छोटे-छोटे बच्चे पिता की लाश लेकर आते थे तो ऐसे दृश्य देखकर मन व्यथित हो जाता था। रोडपति हो या करोड़पति सबमें मौत का डर देखा। 26 अप्रैल की रात ढाई बजे बजे आता है और जब मैं फोन रिसीव करता हूं तो वहां से आवाज आती है मैं नरेंद्र मोदी बोल रहा हूं। प्रधानमंत्री का रात को फोन करके हौसला बढ़ाना, आज भी याद है। अगले ही दिन उपराष्ट्रपति जी का फोन आया और उन्होंने कहा कि सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिडिय़न मैं बाज तुड़ाऊं तबे गोविंद सिंह नाम कहाऊं। इसके बाद मुझे पद्यश्री के लिए चुना गया। मेरा यही संदेश है कि जब आप यहां से जाएं तो आपस में शांति से रहें।

इन्होंने भी रखे अपने विचार-
– भिवानी – महेंद्रगढ़ से आए लोकसभा सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि हजारों साल पुरानी सबसे प्राचीन सभ्यता और संस्कृति हमारी रही है। आप सभी जब इस पवित्र परिसर से जाएं तो शांति का संदेश लेकर जाएं। 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनें विश्व को योग और आध्यात्म का संदेश देने के लिए दिन-रात सेवा में जुटीं हैं, जितना हो सके इन बहनों का सहयोग करें।
– दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्रा ने कहा कि देश का लीडर ऐसा हो जिसके चरित्र का लोग अनुसरण कर सकें। जैसे महात्मा गांधी जी से पहले अपने जीवन में मूल्यों को धारण किया फिर उन्होंने दूसरों के लिए प्रेरणा दी।
– राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार ने कहा कि हम पहले विश्वगुरु थे, क्योंकि हमारी शिक्षा का मॉडल गुरु-शिष्य परंपरा का था। लेकिन बाद में हम मेकाले की शिक्षा पर चले गए और आज फिर हम गुुरु-शिष्य की परंपरा को फिर से अपना रहे हैं। एक दिन फिर हमें विश्वगुरु के पद पर होंगे।
– – आंध्रप्रदेश के अराकु से लोकसभा सांसद सुश्री गोड्डेती माधवी, माई एफएम के सीईओ राहुल जे नामजोशी, दक्षिणपंथी मीडिया थिंक टैंक के डॉ. सुव्रोकमल दत्ता,  नोयडा से जी मीडिया की एचआर हैड सुश्री रुचिरा श्रीवास्तव, जी हिंदुस्तान के प्रबंध संपादक शमशेर सिंह, उदयपुर से प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अतुलभ बाजपेयी, जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के वाइस चेयरमैन किरीट भंसाली, अहिंसाधाम फाउंडेशन मुंबई के महेंद्र सांगोई, मैनेजिंग ट्रस्टी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
– संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके संतोष दीदी, अतिरिक्त महासचिव बीके बृज मोहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके शीलू बहन, कटक से बीके लीना बहन, गुरुग्राम से आईं ओआरसी की निदेशिका बीके आशा बहन, ग्लोबल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. प्रताप मिड्ढा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मधुरवाणी ग्रुप ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। नेपाल के दिव्य सांस्कृतिक ग्रुप ने याक नृत्य की प्रस्तुति दी।

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