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सकारात्मक चिंतन और मेडिटेशन रूपी एक्सरसाइज से मन बनेगा शक्तिशाली - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
सकारात्मक चिंतन और मेडिटेशन रूपी एक्सरसाइज से मन बनेगा शक्तिशाली

सकारात्मक चिंतन और मेडिटेशन रूपी एक्सरसाइज से मन बनेगा शक्तिशाली

जीवन-प्रबंधन

शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। जिस प्रकार शारीरिक तंदरूस्ती के लिए शारीरिक व्यायाम आवश्यक है, उसी प्रकार मन को शक्तिशाली बनाने के लिए मन की एक्सरसाइज़ जरूरी है। मन के लिए एक्सरसाइज है सकारात्मक चिंतन। आज के युग में मानव का मन नकारात्मक दिशा में बहुत जल्दी और सहज मुड़ जाता है। सकारात्मक चिंतन करने के लिए मेहनत लगती है इसका कारण यह है कि मन को सकारात्मक चिंतन करने के लिए शुद्ध और श्रेष्ठ विचारों की खुराक देना आवश्यक है सकारात्मक चिंतन के लिए आध्यात्मिक ज्ञान की खुराक ही हमारे जीवन की गुमशुदा कड़ी है। जैसे ही व्यक्ति को स्वास्थ्य की जागृति आती है, तो दिनचर्या में थोड़ा सा परिवर्तन कर लेता है और सब कुछ व्यवस्थित चलता है। इसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य की जागृति आ जाती है तो दिनचर्या में थोरा सा परिवर्तन करना मुश्किल नहीं होता। जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान की भूमिका को समझने से और उसको अपने जीवन में शामिल कर समझने से आध्यात्मिक ज्ञान का श्रवण करता है तो मन स्वत: ही सकारात्मक दिशा की ओर आकर्षित होता है। आध्यात्मिक ज्ञान का श्रवण करने के लिए व्यक्ति को न अपना कर्तव्य छोड़ना है। और न अपनी जि़म्मेवारियों को छोड़ना है। आत्मा को सकारात्मक चिंतन से सशक्त करने से जीवन सुव्यवस्थित हो जाता है। बड़े से बड़ी परिस्थिति या समस्या आने पर भयभीत या घबराहट में आकर नकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के बजाय, वह सशक्त और सन्तुलित मन: स्थिति से सकारात्मक दृष्टिकोण और चिंतन को अपनाकर, अपनी रचनात्मक सूझबूझ के साथ सबकुछ सहज ही पार कर सकता है। मन को आराम देने का अचूक साधन है राजयोग इसी प्रकार मन को आराम देना भी जरूरी है। व्यक्ति रात को थककर सो तो जाता है, लेकिन उसका मन सूक्ष्म स्तर पर कार्य करता रहता है चाहे स्वप्न के रूप में, चाहे विचारों के रूप में, वह तो सारी रात कार्यरत रहता है। इसलिए व्यक्ति जब सुबह उठता है तब भी उसे ताज़गी का एहसास नहीं होता, लेकिन वह स्वयं थका हुआ महसूस करता है क्योंकि उसका मन थका होने के कारण किसी कार्य पर एकाग्र नहीं हो सकता। न ही उसके मन में रचनात्मक विचार आते हैं। कई बार तो जैसे उसे कुछ सूझता ही नहीं है। समस्या और परिस्थिति आने पर भी उसे समय का बोध नहीं रहता इसलिए कई बार स्पर्धा के युग में वह सफल नहीं हो पाता। तब व्यक्ति अवसादग्रस्त एवं नाउम्मीद हो जाता है, मनोबल टूटने लगता है। मन में नकारात्मक विचार पनपने लगते हैं और वह सोचता है कि वह किसी काम का नहीं, वह जीवन में कुछ नहीं कर सकता और इन्हीं विचारों के कारण उसे रात भर नींद नहीं आती। ये नकारात्मक विचार उसे डिप्रेशन का शिकार बना देते हैं। राजयोग मन को आराम देने की ऐसी रामबाण औषधि है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने प्रयास द्वारा मन को शांत कर सकता है। परन्तुजब व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होता है उस समय राजयोग का अभ्यास भी उसे मुश्किल लगता है। इसलिए इसका अभ्यास तो व्यक्ति को स्वस्थ रहने पर ही शुरू कर देना चाहिए। तब उसका मन सदा ताजगी से भरा हुआ, रचनात्मक एवं प्रसन्नता से भरपूर अनुभव करेगा। दूसरे शब्दों में कहें तो उसको अपने मन को मित्र बना लेना होगा। हमारा यह कहने का अभिप्राय नहीं है कि डिप्रेशन वाला व्यक्ति कभी मेडिटेशन कर ही नहीं पाएगा परन्तु उसके लिए समय अधिक लगेगा। धैर्यता के साथ धीरे-धीरे अभ्यास करने पर वह उस स्थिति से बाहर आ सकता है। मेडिटेशन को पहले से ही जीवन शैली में शामिल कर लेने से सद्विवेक की शक्ति बहुत तेज़ हो जाती है।

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