शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। स्वास्थ्य केवल शरीर तक सीमित नहीं है; यह आत्मा, मन और शरीर का एक समग्र संतुलन है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान शरीर के उपचार पर केंद्रित है, लेकिन वास्तविक स्वास्थ्य आत्मा की शुद्धता और शांति से उत्पन्न होता है। जब आत्मा स्वस्थ होती है, तब विचार निर्मल होते हैं, मन शांत रहता है और शरीर भी स्वतः ही ऊर्जावान व रोगमुक्त हो जाता है। स्वस्थ जीवन के लिए सबसे आवश्यक है – शुद्ध और सकारात्मक चिंतन। जब हम अहंकार, लोभ, क्रोध और भय जैसे नकारात्मक संस्कारों से ग्रसित होते हैं, तो ये ऊर्जा को कमजोर करते हैं और विभिन्न मानसिक व शारीरिक रोगों को जन्म देते हैं। आध्यात्मिकता हमें सिखाती है कि हम अपने मूल स्वरूप – शांति, प्रेम, आनंद और शक्ति को पहचानें और इन दिव्य गुणों को अपने जीवन में पुनः स्थापित करें। जब आत्मा परमात्मा के दिव्य प्रकाश में स्थित होती है, तब उसमें स्नेह, संतोष और आंतरिक शक्ति का संचार होता है। यह सकारात्मक ऊर्जा हमारे पूरे व्यक्तित्व को सशक्त बनाती है और रोगमुक्त जीवन के लिए एक सुदृढ़ आधार प्रदान करती है। स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण आधार है – सात्विक आहार, शुद्ध संकल्प और आत्म-अनुशासन। सात्विक भोजन न केवल शरीर को पोषण देता है बल्कि मन को भी शुद्ध करता है। इसी प्रकार, नियमित योगाभ्यास, मौन साधना और सेवाभावना का जीवन मानसिक शांति और आत्मिक बल को बढ़ाता है। इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर हम यह संकल्प लें कि हम केवल शरीर की देखभाल तक सीमित न रहकर आत्मा के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देंगे। जब आत्मा पवित्र और शांत होगी, तो मन सकारात्मक और शरीर निरोगी रहेगा।

सकारात्मक ऊर्जा व्यक्तित्व को सशक्त बनाती है
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